चुनावी सफर में शशी कुमार केसवानी

जो भी लोग राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव नहीं लड़ने पर बहुत खुश हो रहे थे, उन्हें याद रखना चाहिए कि अब स्मृति ईरानी के लिए अमेठी जीतने का रास्ता और भी कठिन हो गया है। लोग बता रहे हैं कि अमेठी में स्मृति ईरानी के खिलाफ जोरदार लहर है और अगर कहीं स्मृति ईरानी अब केएल शर्मा से हारती हैं तो यह उनके लिए बेहद ही दु:खद विषय होगा क्योंकि राहुल गांधी के सामने हारना और किसी और के सामने हारने में बहुत ही फर्क है। वैसे स्मृति ईरानी की पहचान राहुल गांधी की वजह से ही होती थी, क्योंकि उनका मुकाबला राहुल गांधी से ही होता था। अब उनसे यह पहचान भी छिन गई है।

पिछले दिनों स्मृति के एक समर्थक ने बताया था कि अंधभक्त चौकीदार अब परिवार का हिस्सा नहीं बना है। वहीं स्मृति ने उस व्यक्ति को अपने पास बुलाकर उसका सम्मान किया और कुछ देर बाद फ्लेक्स पर फोटो भी डाल दी। पर असल में वह व्यक्ति बाहर निकलते ही कहा कि मैं क्षेत्र की समस्याएं बताने गया था ना कि भाजपा का सदस्य बनने। अमेठी में आजकल इस तरह का खेल स्मृति के खिलाफ खूब खेला जा रहा है। अमेठी की जनता भी स्मृति से इस बात को लेकर नाराज है कि वे लगातार राहुल के खिलाफ बयान पर बयान दिए जा रही हैं। पर राहुल गांधी उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोल रहे। जिससे वहां के मतदाता स्मृति से कुछ नाराज भी हैं। जिनके मुख्य कारण स्मृति के भर-भर कर वादे करना और उन वादों पर कोई खास काम न होना। यहां तक कई नाले सड़क पर बहते हैं रहते हैं, जिसका काम नगर पालिका का रहता है, उसके लिए भी स्मृति को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। गंदे पानी की वजह से अमेठी से लखनऊ जाने वाली बसों का बस अड्डा भी बुरे हालों में होने की वजह से सड़क से ही सवारी लेता है, जिसकी जिम्मेदारी भी स्थानीय लोग स्मृति पर ही थोप रहे हैं। इसके अलावा मुख्य कारण हैं….

पहला कारण अब तक ये चुनाव राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी चल रहा है अमेठी से लड़ने पर राहुल बनाम स्मृति ईरानी हो जाता जिसे अरेंज मीडिया भयंकर तरीके से इस्तेमाल करने वाला था। दूसरा कारण कांग्रेस स्मृति ईरानी को अपने एक कार्यकर्ता से हरवाना चाहती है ताकि पब्लिक को पता चले स्मृति ईरानी के खिलाफ पब्लिक थी। तीसरा कारण राहुल गांधी को अकेले अमेठी में बिजी करना इंडी गठबंधन के लिये घातक साबित होने वाला था। चौथा कारण राहुल गांधी के खिलाफ पूरे अमेठी का अरेंज मीडिया सेटअप किया हुआ था केएल शर्मा के मैदान में आने से मीडिया का सेटअप पूरा बर्बाद हो गया।

पाँचवा कारण स्मृति ईरानी और भाजपा अब तक पूरी तैयारी राहुल गांधी के हिसाब से कर रहे थे अंत में शर्मा को लाकर पूरी स्ट्रेटेजी फेल कर दी है। कारण और भी बहुत हैं, जिसका खुलासा आने वाले समय में करेंगे। पर यह तय है कि स्मृति के ईरानी के लिए यह चुनाव करो या मरो का हो गया है। भाजपा के अंदर वैसे भी स्मृति से कई बड़े नेता पहले से ही नाराज हैं। जो पीछे से स्मृति को नुकसान ही पहुंचाएंगे। यहां तक की संघ भी अपनी नाराजगी का इजहार दबी जुबान में उनके बयानों को लेकर कर चुका है। अमेठी के नतीजे जो भी आएं लेकिन मुकाबला रोचक हो गया है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER