TIO, नई दिल्ली ।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल अधिनियम को हटाने पर विचार करेगी। एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार वहां से सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को अकेले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता था लेकिन अब वे विभिन्न आॅपरेशन का नेतृत्व कर रहे हैं।

क्या होता है एएफएसपीए
बता दें, एएफएसपीए सशस्त्र बलों के उन जवानों को अधिकार देता है, जो अशांत क्षेत्रों में काम कर रहे हैं कि अगर “सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव” के लिए उन्हें जरूरत पड़ती है तो वे तालाशी, गिरफ्तारी और गोली चला सकतें हैं। सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए अऋरढअ के तहत किसी क्षेत्र या जिले को अशांत घोषित किया जाता है।

फारूक-महबूबा को आतंकवाद पर बोलने का अधिकार नहीं
साक्षात्कार के दौरान, शाह ने विपक्षी नेता फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर निशाना साधा। शाह ने कहा कि दोनों नेताओं पर आतंकवाद पर बोलने का अधिकार नहीं है। जितनी फर्जी मुठभेड़ें उनके समय में हुईं हैं, इतनी कभी नहीं हुईं हैं। पिछले पांच वर्षों में एक भी फर्जी मुठभेड़ नहीं हुई। बल्कि फर्जी मुठभेड़ों में शामिल लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। हम कश्मीर के युवाओं के साथ बातचीत करेंगे न कि उन संगठनों के साथ जिनकी जड़ें पाकिस्तान में हैं।

आतंकियों की कमर तोड़ रही है सरकार
शाह ने आगे कहा कि मोदी सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए 12 संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। 36 व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में नामित किया है। आतंक के वित्तपोषण को रोकने के लिए 22 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 150 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। उन्होंने कहा कि 90 संपत्तियां भी कुर्क की गईं और 134 बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER