राकेश अचल

विधिक संहिताओं को धता दिखाते हुए विश्वगुरु भारत ने सदियों भारत को गुलाम बनाकर रखने वाले ब्रिटेन को भी अब बुलडोजर संहिता का मुरीद बना दिया है .जाहिर है कि दुनिया में चाहे जो सत्ता में हो जनता के साथ बुलडोजर बनकर ही व्यवहार करना चाहता है .ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को लेकर प्रधनमंत्री गुजरात क्यों पहुंचे,इसे लेकर अब कयास लगाए जा रहे हैं .

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों दूर की कौड़ियां हैं ,जिन्हें वे अक्सर इस्तेमाल करते रहते हैं. वे जब से देश के प्रधानमंत्री बने हैं तब से हर विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को उसकी भारत यात्रा के दौरान अपने गृह प्रदेश गुजरात जरूर ले जाते हैं .ब्रिटेन से पहले उन्होंने चीन के राष्ट्रपति को एक से अधिक बार गुजरात ले जाकर साबरमती के तट पर झूला झुलाया ,विदेशी अतिथियों के लिए अब दिल्ली नहीं बल्कि गुजरात तीर्थ बना दिया गया है .डोनाल्ड ट्रम्प भी गुजरात दर्शन कर चुके हैं .

मध्यप्रदेश का होने के नाते मुझे अक्सर शिकायत रहती है कि मोदी जी किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश नहीं लाते .हर बार गुजरात को ही प्राथमिकता देते हैं,ये पक्षपात है और इसे रोका जाना चाहिए .खैर ये तो विनोद की बात हुई .हकीकत ये है कि विदेशी अतिथियों को गुजरात ले जाना प्रधानमंत्री जी की मजबूरी है .उनके पास दिखने कि लिए गुजरात मॉडल कि अलावा और कोई दूसरा मॉडल है ही नहीं .दूसरा मॉडल उत्तर प्रदेश में राम मंदिर का था जो अब मॉडल नहीं रहा,क्योंकि उस पर काम शुरू हो गया है .दूसरे उस मॉडल से दूसरे देशों को क्या लेना देना ?
जानकार कहते हैं कि बोरिस जॉनसन को गुजरात ले जाने कि पीछे प्रधानमंत्री जी का मकसद गुजरातियों को प्रभावित करना है क्योंकि गुजरात में विधानसभा कि चुनाव होने वाले हैं और दुर्भाग्य से राज्य में सत्ता प्रतिष्ठान विरोधी लहर चल रही है ,हालाँकि गुजरात में 27 साल से भाजपा का अखंड शासन है .हालाँकि भाजपा को गुजरात में 7 साल में तीन बार मुख्यमंत्री बदलना पड़े .आजादी कि बाद से पांच बार राष्ट्रपति शासन झेल चुके गुजरात में इस बार भाजपा का शासन बचाये रखना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी प्राथमिकता है .मोदी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को दिल्‍ली की बजाय पहले गुजरात बुलाकर बड़ा दांव चला है जिससे दोनों को ही बड़ा फायदा होने की उम्‍मीद है।

पढ़ने-लिखने में दिलचस्पी रखने वाले लोग जानते हैं कि इस समय भारत और ब्रिटेन कि प्रधानमंत्री की दशा एक जैसी है .एक पक्ष तो ये है कि बोरिस जॉनसन पीएम इन दिनों अपनी कुर्सी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कोरोना लॉकडाउन के दौरान पार्टी करने के मामले में बोरिस जॉनसन बुरी तरह से फंसे हुए हैं और उन्‍हें हटाने की मांग तेज हो गई है। हालांकि बोरिस ने इस्‍तीफा देने से इंकार किया है और माफी मांगी है। इस पूरे मामले को लेकर बोरिस के समर्थक भी काफी भड़के हुए हैं। उनका कहना है कि पार्टीगेट के बाद बोरिस ने अपना समर्थन खो दिया है। यही नहीं ब्रिटिश सांसद बोरिस जॉनसन के खिलाफ संसद को भ्रमित करने के आरोप पर एक अहम वोट‍िंग करने जा रहे हैं।

आपको बता दें कि बोरिस जॉनसन की प्रधानमंत्री बनने के बाद यह पहली भारत यात्रा है। इससे पहले वह 26 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस के दिन मुख्‍य अतिथि के रूप में भारत आने वाले थे लेकिन कोरोना के कारण यह यात्रा रद हो गई थी। विश्‍लेषकों मानना है कि बोरिस जॉनसन इस भारत यात्रा को भुनाकर देश में अपनी छवि को अच्‍छी बनाना चाहते हैं।ब्रिटेन की मीडिया के मुताबिक बोरिस जॉनसन की यात्रा का उद्देश्य दुनिया की सबसे तेजी से उभरती शक्तियों और बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत के साथ व्यापार, सुरक्षा और राजनयिक संबंध बनाना है। इसके साथ ही साथ ब्रिटेन मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में भारत को चीन के प्रमुख प्रतिद्वंदी के रूप में देखता है। व्यापारिक संतुलन बनाने और व्यापार बढ़ाने के लिए इस यात्रा की काफी अहमियत है।

अब दूसरा पक्ष मोदी जी का देखिये .अपने गृह राज्‍य गुजरात में विरोधियों से मिल रही कड़ी टक्‍कर को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने विदेशों में बसे गुजरातियों पर नजरें गड़ा दी है। गुजरात एक ऐसा राज्‍य है जहां से बड़े पैमाने पर लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्‍सों मेंजा बसे हैं। विश्‍व के 190 देशों में से 129 देशों में गुजराती रहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक ब्रिटेन में करीब 8 लाख गुजराती रहते हैं। इन्‍हीं अप्रवासी गुजराती लोगों पर अब मोदी की नजर है जो घरेलू स्‍तर पर भी काफी प्रभाव रखते हैं। ये अप्रवासी गुजराती पैसे से भी काफी समृद्ध हैं और गुजरात में बड़े पैमाने पर पैसा भी भेजते हैं। माना जा रहा है कि बोरिस जॉनसन का भव्‍य स्‍वागत करके विदेशों में बसे गुजराती परिवारों को संदेश देने की कोशिश की गई है।

प्रधानमंत्री जी ने बोरिस को उस बुलडोजर की भी सवारी करा दी जिसकी वजह से भारत इन दिनों पूरी दुनिया में चर्चित है. अमेरिका तो इस बुलडोजर संहिता कि इस्तेमाल की वजह से भारत पर मानवाधिकारों कि हनन का आरोप भी लगा चुका है ,लेकिन बोरिस को इससे क्या लेना देना ?बोरिस आपने यहां बुलडोजर संहिता का इस्तेमाल कर पाएंगे ,इसमें संदेह है क्योंकि इंग्लैंड भारत नहीं है .भारत में आज भी सत्ता कि सर पर औपनिवेशिक रंग चढ़ा है .यहाँ विधान और संविधान कि बजाय सत्ता बुलडोजर से चलाई जा रही है ,ब्रिटेन में ये नामुमकिन है .

बहरहाल याद रखिये कि मोदी जी इसी तरह का रिश्ता अतीत में अमेरिका कि तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रैम्प कि साथ बना चुके हैं .मोदी जी ने ट्रम्प का और ट्रम्प ने मोदी जी का चुनाव प्रचार किया था .मोदी जी तो दूसरी बार जीत गए लेकिन ट्रम्प को ये मौक़ा नहीं मिला .बोरिस जॉनसन की किस्मत में क्या लिखा है ,अभी से कहना कठिन है .क्या ब्रिटेन में रहने वाले लाखों गुजराती प्रधानमंत्री मोदी जी कि इशारे पर बोरिस को वोट दे देंगे ?शायद हाँ,शायद नहीं .बहरहाल जो भी हो .मोदी जी प्रयोगधर्मी हैं ,प्रयोग कर रहे हैं .मुमकिन है उनका प्रयोग उनके लिए गुजरात विधानसभा चुनावों में कोई लाभ दिला दे .बोरिस को भी विश्वगुरु की संगत का कुछ लाभ मिल जाये तो फिर क्या कहने हैं .

बहरहाल बोरिस जॉनसन ने महात्मा गाँधी कि आश्रम में जाकर चरखा चलाकर देख लिया है .अब देखते हैं की ये चरखा ब्रिटेन में कितना असर छोड़ता है ,क्योंकि इसी चर्खाधारी की वजह से 75 साल पहले अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा था ,तब किसी भी दूसरे स्वयं सेवक को दुनिया नहीं जानती थी .जानती भी कैसे तब दूसरा कोई अधनंगा फकीर देश में था ही नहीं .

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER