TIO, वॉशिंगटन।

अमेरिका में पांच नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। ऐसे में यहां सियासी पारा चरम पर है। इस बीच, रिपब्लिकन की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। विशेष वकील जैक स्मिथ गोपनीय दस्तावेज मामले को फिर से शुरू करने के लिए दलीलें दे रहे हैं। अटलांटा की 11वीं यूएस सर्किट कोर्ट आॅफ अपील्स में दायर एक संक्षिप्त विवरण में स्मिथ ने दलील दी कि ट्रंप के खिलाफ चल रहे मामले को न्यायाधीश कैनन द्वारा खारिज किया जाना और वो भी ऐसा तर्क देना योग्यता की कमी थी।

यह है मामला
दरअसल, ट्रंप को गोपनीय दस्तावेज को अवैध रूप से अपने पास रखने के मामले में बड़ी राहत मिली थी। फ्लोरिडा की एक अदालत ने इस आपराधिक मामले को खारिज कर दिया था। मामले में न्यायाधीश एलीन कैनन ने फैसला सुनाया था कि अभियोजन पक्ष का नेतृत्व कर रहे विशेष वकील जैक स्मिथ को गैरकानूनी तरीके से नियुक्त किया गया था। स्मिथ के पास मामला अदालत में रखने का अधिकार नहीं था।

कई और मामलों को करेगा प्रभावित
स्मिथ की टीम ने कैनन के इस फैसले को न केवल अन्य विशेष वकीलों को प्रभावित करने वाला बताया, जिनमें से कई अन्य अदालतों में ट्रंप और हंटर बाइडन के खिलाफ मामले चल रहे हैं, बल्कि यह संघीय सरकार में नेताओं की शक्ति को भी प्रभावित करने वाला करार दिया। स्मिथ के कार्यालय ने 81 पेज में तर्क देते हुए कहा, ‘यदि अटॉर्नी जनरल के पास निम्न अधिकारियों को नियुक्त करने का अधिकार नहीं है, तो यह निष्कर्ष विभाग के प्रत्येक सदस्य की नियुक्ति को अमान्य कर देगा, जो महत्वपूर्ण प्राधिकार का प्रयोग करता है और किसी स्थायी पद पर आसीन है, सिवाय उन कुछ सदस्यों के जिन्हें विशेष रूप से कानून द्वारा पहचाना गया है।’ अभियोजकों ने कहा, ‘जिला अदालत का तर्क रक्षा, राज्य, ट्रेजरी और श्रम विभागों सहित कार्यकारी शाखा में सैकड़ों नियुक्तियों के बारे में भी सवाल उठाएगा।’

ट्रंप पर राष्ट्रपति रहते हुए गोपनीय दस्तावेज रखने का आरोप
दरअसल पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रपति पद पर रहते हुए कई गोपनीय दस्तावेज अवैध रूप से अपने निजी आवास मार ए लागो में रखे। जब एफबीआई एजेंट उन गोपनीय दस्तावेजों को वापस लेने गए तो उन पर सरकारी काम में बाधा डालने का प्रयास का आरोप भी लगाया। इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने ये दस्तावेज वापस कर दिए थे।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER