TIO, कैलिफोर्निया

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दो महीनों में यूक्रेन और रूस का दौरा कर चुके हैं। रूस की यात्रा के बाद अमेरिका के साथ लगातार संबंध बिगड़ने की बात उठ रही थी। हालांकि, अब अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री ने पीएम मोदी की रूस यात्रा को लेकर चिंताओं को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि वॉशिंगटन हर पांच मिनट में नई दिल्ली से वफादारी की परीक्षा नहीं ले सकता।

पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने भारत अमेरिका रक्षा त्वरित पारिस्थितिक तंत्र (इंडस-एक्स) में भारत-अमेरिका संबंधों को स्थायी और द्विदलीय बताया। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि जो भी व्हाइट हाउस में आता है, वह इस रिश्ते के महत्व को जानता है। उन्होंने आगे कहा कि जैसा कि भारत कहता है कि देशों को रणनीतिक स्वायत्तता चाहिए और मुझे इससे कोई समस्या नहीं है। लेकिन यह हमारे (अमेरिका और भारत के) गहरे हित हैं, जो अंतत: एक मजबूत साझेदारी की ओर ले जाएंगे।

‘रक्षा के मामले में नहीं होगा कुछ खास’
स्टैनफोर्ड के हूवर इंस्टीट्यूट की निदेशक राइस ने रूसी सैन्य उपकरणों को कबाड़ बताया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा से रक्षा के मामले में कुछ खास प्रगति नहीं होगी। पूर्व विदेश मंत्री ने संकेत दिया कि अमेरिका मानता है कि भारत के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने में वह धीमा रहा है और उसने कुछ महत्वपूर्ण समय और अवसर गंवाए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच सीमा रहित संबंधों से अवगत हैं और यह भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

स्थिति शीत युद्ध से भी गंभीर
चीन को अमेरिका का प्रतिद्वंद्वी बताते हुए कोंडोलीजा राइस ने कहा कि स्थिति शीत युद्ध से भी गंभीर है। इसका कारण यह है कि मास्को सैन्य दृष्टि से तो एक महान देश है, लेकिन तकनीकी और आर्थिक दृष्टि से वह बौना है। जबकि चीन ने प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया है और वह वैश्विक नेटवर्क तथा आपूर्ति श्रृंखलाओं में इतनी अच्छी तरह से एकीकृत हो गया है कि उससे निपटना कठिन है। बता दें, जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रशासन के तहत भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते को आगे बढ़ाने में राइस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER