शशी कुमार केसवानी
चुनावी चंदे से चल रहा है धंधा। इलेक्टोरल बॉन्ड के सुनहरे सपने दिखाकर लोगों को बताया गया कि अब देश में कहीं धांधली नही होगी, पर हुआ उल्टा। जिन कंपनियों ने 130 करोड़ का चंदा दिया है, उनके आॅफिस का गेट देखकर कोई विश्वास ही नहीं कर सकता कि यह मोहल्ले की झांकी के लिए 1100 रुपए का चंदा मुश्किल से दे सकता है। पर भारी आश्चर्य इस बात का है ऐसे ही कई कपंनियां है, जिनकी बैलेंस सीट इतनी कमजोर है फिर उन्होंने करोड़ों रुपए का चंदा देकर अरबों रुपए के मुनाफे के काम लिए हैं। हर राजनीतिक पार्टी अपने हिसाब से इसका मजा लूट रही है। पर भाजपा पर सवाल इसलिए उठता है कि उसके ही शासन में उसी के सरकार के चलते इस तरह की धांधली होती रही है। संघ या संघ से जुड़े अन्य संगठनों ने किसी भी तरह की आवाज तक न निकाली। आखिर ऐसा क्या है कि जिससे पूरी पार्टी चुप है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी अपलोड होने के बाद लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। 30 कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने छापेमारी के ठीक बाद राजनीतिक दलों को मोटा चुनावी चंदा दिया। कई और कंपनियों ने अपने नेट प्रॉफिट की तुलना में कई गुना ज्यादा चुनावी चंदा दिया। कोलकाता की कंपनी मदनलाल लिमिटेड ने 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले दो बार में 182.5 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे, जबकि इस दौरान उसका नेट प्रॉफिट महज 1.81 करोड़ रुपए था। 2020-21 में भी यह 2.72 करोड़ रुपए ही रहा। 2022-23 में महज 44 लाख था।
यही नहीं, सबसे ज्यादा चंदा देने वाली 30 कंपनियों में से 14 ऐसी हैं, जिन पर केंद्रीय या राज्य जांच एजेंसियों की कार्रवाई हुई है। डीएलएफ कॉमर्शियल ने 30 करोड़ का चंदा दिया। भूमि आवंटन में अनियमितताओं पर जनवरी 2019 में सीबीआई ने कंपनी पर छापा मारा था।
फ्यूचर गेमिंग ने 6 गुना चंदा दिया
सभी आंकड़े करोड़ रुपए में (नेट प्रॉफिट 2019-20 से 2022-23 के बीच)
कंपनी चुनावी बॉन्ड राशि नेट प्रॉफिट
फ्यूचर गेमिंग 1368 215
क्विक सप्लाई चेन 410 109
एमकेजे इंटरप्राइजेज 192 58
मदनलाल लिमिटेड 183 1.81
हेल्थकेयर कंपनियों ने 534 करोड़ रुपए चंदा दिया
स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े उपकरण और दवा बनाने वाली 14 कंपनियों ने 534 करोड़ चंदा दिया है। राशि 20-100 करोड़ है। इनमें डॉ. रेड्डीज लैब, टोरेंट फार्मा, नाटको फार्मा, डिविस लैब, अरबिंदो फार्मा, सिप्ला, सनफार्मा लैब, हेट्रो ड्रग्स, जायडस हेल्थकेयर, मैनकाइंड फार्मा हैं।
शराब कंपनियों ने 34 करोड़ दिए
शराब कंपनियों ने पांच साल में 34.54 करोड़ रुपए चंदा दिया। कोलकाता की केसल लिकर ने 7.5 करोड़, भोपाल के सोम ग्रुप ने 3 करोड़, छत्तीसगढ़ डिस्टलरीज ने 3 करोड़, मध्य प्रदेश से जुड़ी मा. एवरेस्ट बेवरीज ने 1.99 करोड़ और एसो अल्कोहल ने 2 करोड़ दिए।
छापेमारी के बाद चंदा देने वाली कंपनियां
कंपनी कार्रवाई कब हुई बॉन्ड कब खरीदे
फ्यूचर गेमिंग 2 अप्रैल 2022 को छापा 7 अप्रैल 2022
अरबिंदो फार्मा 10 नवंबर 2022
शिर्डी साई इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड 20 दिसंबर 23 को छापा 11 जनवरी 2024
टोरेंट पावर मार्च 2024 को प्रोजेक्ट मिला 10 जनवरी 2024
डॉ. रेड्डीज 13 नवंबर 2023 को छापा 17 नवंबर 2023
कल्पतरू प्रोजेक्ट्स 4 अगस्त 2023 को छापा 10 अक्टूबर 2023
माइक्रो लैब्स 14 जुलाई 2022 को छापा 10 अक्टूबर 2022
हीरो मोटोकॉर्प 31 मार्च 2022 को छापा 7 अक्टूबर 2022
एपको इंफ्रा 24 जनवरी को टेंडर मिला 10 जनवरी 2022
यशोदा हॉस्पिटल 26 दिसंबर 2020 को छापा अप्रैल 21-अक्टूबर 23
कई कंपनियों के तो रिकॉर्ड ही अपडेट नहीं
अभिजीत मित्रा: 4.25 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। इनके नाम पर कोलकाता में सीरॉक इंफ्रा प्रोजेक्ट नामक कंपनी पंजीकृत है। इसकी कुल शेयर पूंजी महज 6.40 लाख है। अंतिम बोर्ड मीटिंग 2022 में हुई थी। दो साल से कोई अपडेट नहीं है।
एस. अर्बन डेवलपर्स: हैदराबाद की कंपनी ने 2022 में मेहुल चौकसी की कंपनी एपी जेम्स एंड ज्वेलरी को खरीदा। अनिल शेट्टी की कंपनी ने 17 नवंबर 2023 को 10 करोड़ चंदा दिया।
चेन्नई ग्रीनवुड: गौतम होरा की कंपनी ने 105 करोड़ रुपए चंदा दिया। शेयर पूंजी 43 करोड़ है।
क्रिसेंट पावर: 34 करोड़ रुपए चंदा दिया। सालाना प्रॉफिट 346 करोड़ है। यानी 10% मुनाफा दान दिया।
अगली सूची कल, जिसमें 4,002 करोड़ रुपए का हिसाब
स्टेट बैंक आॅफ इंडिया ने 1 मार्च 2018 से 15 फरवरी 2024 तक 16,518 करोड़ रुपए के 28,030 बॉन्ड बेचे। अभी 18,871 बॉन्ड की ही जानकारी आई है। बचे 4002 करोड़ रुपए के 9,159 बॉन्ड की जानकारी 17 मार्च तक सार्वजनिक करने के आदेश हैं।