TIO, वाशिंगटन
अमेरिकी संसद सदस्य रह चुकीं भारतवंशी तुलसी गबार्ड अब नेशनल इंटेलिजेंस निदेशक (डीएनआई) का पद संभालेंगी। सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी में मतदान के बाद उनकी नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। द हिल की रिपोर्ट के अनुसार, गबार्ड की नियुक्ति के लिए पूर्ण सीनेट में मतदान होना बाकी है। सीनेट कमेटी में करीबी मुकाबले के दौरान तुलसी को 9-8 से जीत मिली। वोट डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी लाइनों के अनुसार डाले गए।
इन दोनों सीनेटरों के वोट निर्णायक रहे
रिपब्लिकन नेता और सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष टॉम कॉटन ने बताया कि समिति ने नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक बनने के लिए वोट किया। उनके नाम की पुष्टि के बाद अमेरिका को सुरक्षित रखने के लिए हम उनके साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं। इंडियाना से निर्वाचित सीनेटर टॉड यंग ने एलान किया था कि वह गबार्ड का समर्थन करेंगे। इसे बेहद अहम स्विंग वोट माना गया। इनके अलावा सीनेटर सुसान कोलिन्स ने भी गबार्ड का समर्थन किया। इन दोनों सीनेटरों के वोट निर्णायक माने जा रहे थे।
अमेरिकी सेना को भी सेवाएं दे चुकी हैं तुलसी
बता दें कि गबार्ड एक पूर्व आर्मी रिजर्व लेफ्टिनेंट कर्नल रही हैं। डेमोक्रेटिक खेमे से अमेरिकी कांग्रेस सदस्या रह चुकीं गबार्ड ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में बतौर उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमाई थी। पिछले साल ही ट्रंप का दामन थामने वाली तुलसी गबार्ड ने कई मौकों पर कहा है कि हजारों खुफिया कर्मी “डीप स्टेट” सदस्य हैं। अब इनकी जिम्मेदारी तुलसी के पास ही होगी।
नियुक्ति को औपचारिक तौर पर मंजूरी मिलने का इंतजार
बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 43 वर्षीय तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (डीएनआई) के पद के लिए नामित किया था। सीनेट के समक्ष पेशी और कठिन सवाल-जवाब के बाद सीनेट में मतदान होता है। इसके बाद तुलसी की नियुक्ति को औपचारिक तौर पर मंजूरी मिलेगी।
2024 में तुलसी ने ट्रंप को औपचारिक समर्थन देने का एलान किया
यह भी दिलचस्प है कि भारतवंशी गबार्ड चार बार कांग्रेस की सदस्य रह चुकी हैं। उन्होंने मध्य पूर्व और अफ्रीका के युद्ध क्षेत्रों में भी अपनी सेवाएं दी हैं। वह हाल ही में डेमोक्रेट से रिपब्लिकन सदस्य बनी हैं। अक्तूबर 2022 में उन्होंने डेमोक्रेट खेमा छोड़कर निर्दलीय प्रत्याशी बनने की घोषणा की थी। राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले अगस्त, 2024 में तुलसी ने ट्रंप को औपचारिक समर्थन देने का एलान किया था।
ट्रंप मंत्रिमंडल के गठन के बाद वायोवृद्ध मामलों के सचिव बने डग कोलिन्स
अमेरिकी सीनेट ने मंगलवार को डग कोलिन्स को वयोवृद्ध मामलों के सचिव के रूप में नियुक्त किया। कोलिन्स, जो इराक युद्ध के वयोवृद्ध और पूर्व कांग्रेसी हैं, अब उस विभाग के प्रमुख होंगे जो अमेरिका के वयोवृद्धों को महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करता है। उन्हें 77-23 मतों से पुष्टि मिली और वे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मंत्रिमंडल के एक नए सदस्य बने।
राष्ट्रपति ट्रंप ने की सराहना
राष्ट्रपति ट्रंप ने कोलिन्स के नामांकन की घोषणा करते हुए कहा कि कोलिन्स वयोवृद्धों और अमेरिका के लिए एक महान वकील साबित होंगे। वयोवृद्ध मामलों का विभाग 350 बिलियन डॉलर के बजट का प्रबंधन करता है और अमेरिका भर के लगभग 200 चिकित्सा केंद्रों और अस्पतालों की देखरेख करता है।
वायोवृद्धों की गुणवत्ता बढ़ाने का वादा- कोलिन्स
कोलिन्स ने कहा कि वह विभाग में विनियमनों में सुधार करेंगे और वयोवृद्धों की देखभाल की गुणवत्ता बढ़ाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वह इराक युद्ध का अनुभव रखने वाले सैनिकों की नई स्वास्थ्य चुनौतियों को समझते हैं, क्योंकि वे स्वयं भी इराक युद्ध में शामिल थे।
बता दें कि कोलिन्स ने 2013 से 2021 तक प्रतिनिधि सभा में काम किया और ट्रंप प्रशासन के करीबी सहयोगी रहे। उन्हें सीनेट के लिए 2020 में असफल रूप से चुना गया था। सीनेटर केविन क्रैमर ने कोलिन्स की सहानुभूति और आकर्षक व्यक्तित्व की तारीफ करते हुए कहा कि वह वयोवृद्धों के साथ अच्छी तरह से काम करेंगे।