TIO, कानपुर।

रक्षा सामग्री एवं भंडार अनुसंधान तथा विकास स्थापना (डीएमएसआरडीई) कानपुर ने नई उपलब्धि हासिल की है। जवानों को 24 घंटे तक रसायनिक हमलों से सुरक्षित रखने के लिए देश में पहली बार एक्टिवेटेड कार्बन फैब्रिक (एसीएफ) की नई तकनीक पर आधारित केमिकल प्रोटेक्टिव सूट विकसित किया गया है। केवल दो किलोग्राम भार का यह अत्याधुनिक सूट अग्निरोधी होने के साथ जैविक और हल्के न्यूक्लियर हमले में भी कारगर साबित होगा। इस तरह के सूट विकसित देशों की सेनाओं के पास हैं। अभी तक के सूट केवल चार घंटे ही सुरक्षा देने में सक्षम हैं।

ये सूट सक्रिय कार्बन पाउडर और बीड्स, स्फीयर लेपित कपडों पर आधारित बने हैं। कार्बन शेडिंग के झड़ने के कारण ये कम प्रभावशील होते हैं। डीआरडीओ की विंग डीएमएसआरडीई कानपुर ने सक्रिय कार्बन फैब्रिक (एसीएफ) आधारित रासायनिक सुरक्षात्मक सूट की तकनीक विकसित की है। विकसित सूट डांगरी डिजाइन पर आधारित है। इसमें कार्बन शेडिंग के झड़ने की समस्या नहीं होगी। छह बार धुलाई के बाद भी खूबी में कोई गिरावट नहीं आएगी। इस सूट में शारीरिक आराम, बेहतर आयाम स्थिरता और रख-रखाव को बढ़ावा दिया गया है। यह सूट चार नापों (छोटा, मध्यम, बड़ा और अतिरिक्त बड़ा) में उपलब्ध है। कुल मिलाकर सूट का वजन लगभग दो किलोग्राम है। इससे पहले के सूट तीन से चार किलोग्राम के हैं।

अंतरराष्ट्रीय एजेंसी से कराया गया परीक्षण
इस सूट का कार्यात्मक परीक्षण अंतरराष्ट्रीय एजेंसी, नीदरलैंड संगठन (टीएनओ) नीदरलैंड से कराया गया है। भारतीय सेना से इसकी प्रारंभिक सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिली है। पेटेंट का भी आवेदन किया गया है और विभिन्न उद्योगों को इसकी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर कार्य किया जा रहा है।

दो साल में बनकर हुआ तैयार
डीएमएसआरडीई कानपुर के निदेशक डॉ. मयंक द्विवेदी के मार्गदर्शन में टीम लीडर अशोक कुमार यादव, वैज्ञानिक हरीश चंद्र जोशी, उत्तम साहा और तकनीकी अधिकारियों की टीम ने इस सूट को दो साल में तैयार किया है।

ओपीएफ में हो सकता है उत्पादन
इस सूट का उत्पादन ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड की इकाई आयुध पैराशूट निमार्णी में हो सकता है। संस्थान और कंपनी के बीच ट्रांसफर और टेक्नोलॉजी (टीओटी) की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जल्द ही इस पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। ओपीएफ में मौजूदा समय में एनबीसी सूट मार्क चार का उत्पादन होता है। देश में पहली बार एसीएफ तकनीक का इस्तेमाल करके केमिकल प्रोटेक्टिव सूट विकसित किया गया है। आत्मनिर्भर अभियान की दिशा में यह बहुत बड़ी कामयाबी है। इस तरह के सूट केवल विकसित देशों की सेनाओं के पास हैं। – डॉ. मयंक द्विवेदी, निदेशक, डीएमएसआरडीई कानपुर

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER