TIO, श्योपुर।
अभी तक आपने राजनेताओं के सरकारी आवासों के मोह के बारे में अक्सर सुना होगा। बड़े से बड़े नेता मंत्री पद, सांसदी या विधायकी जाने के बाद भी अपना सरकारी आवास आसानी से खाली नहीं करते हैं। मगर अब ऐसा ही मोह सरकारी अधिकारी कर्मचारियों में दिखाई देने लगा है। इसकी बानगी श्योपुर जिला मुख्यालय में देखने को मिली है। यहां पर कई विभागों के अफसर ऐसे हैं, जिन्हें एक से दो साल का समय बीतने के बाद सरकारी आवास नहीं मिल सका है। क्योंकि कई अफसर ऐसे अफसर ऐसे हैं, जिनका तबादला तो चुका है, पर सरकारी आवास खाली करने को तैयार नहीं हैं।
खास बात यह है कि जिले में कुछ अधिकारी कर्मचारी ऐसे भी हैं, जिनके खुद के अपने निजी मकान शहर में बन गए हंै, इसके बाद भी वे सरकारी आवासों को छोड़ने के बजाए उनमें कब्जा जमाए बैठे हैं। चंबल कॉलोनी में बने सरकारी आवासों का कुछ ऐसा ही हाल है, यहां कई लोग अवैध रूप से सरकारी आवासों में कब्जा जमाए बैठे है। ऐसी स्थिति में कई विभागों के अधिकारी कर्मचारियों को किराए के मकानों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसमें जिला योजना अधिकारी से लेकर शिक्षा विभाग और कृषि विभाग सहित अन्य कई विभागों के अधिकारी शामिल है। यहां बता दें कि जिला अस्पताल में पदस्थ कई डॉक्टर ऐसे हैं जिनके शहर में अपने खुद के मकान बन गए हैं लेकिन इसके बाद भी वे स्वास्थ्य विभाग के सरकारी आवासों को घेरकर बैठे हैं और जिले के जिम्मेदार अफसर इस मामले में खामोश बने हैं।
जिला योजना अधिकारी, एक साल से किराए के मकान में बसेरा
श्योपुर जिले में काफी लंबे अर्से के बाद जिला योजना अधिकारी के रूप में डॉ सुनील चौहान की पदस्थापना हुई है। डॉ सुनील चौहान की श्योपुर जिले में पदस्थापना को एक साल से ज्यादा वक्त बीत गया है, लेकिन वह अभी भी किराए के मकान में रहने को मजबूर है। उन्हें अभी सरकारी आवास नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि अभी कुछ दिनों पहले उन्हें सरकारी आवास मिला है। लेकिन जिन अधिकारी का आवास मिला है, उन अधिकारी का अभी उसी आवास में निवास है। ऐसे में जिला योजना अधिकारी आवास आवंटन के बाद भी किराए के मकान में रह रहे हैं।
एक साल से किराए के मकान में रह रहे जिला शिक्षा अधिकारी
जिला शिक्षा अधिकारी रविन्द्र सिंह तोमर की पदस्थापना श्योपुर जिले में एक साल बीतने को है, लेकिन उन्हें अभी तक भी सरकारी आवास नहीं मिल सका है। जिसकारण उन्हें एक किराए के मकान में रहने को मजबूर होना पड रहा है। बताया जा रहा है कि श्योपुर में अब तक पदस्थ रहे जिला शिक्षा अधिकारी पहले जिस सरकारी आवास में रहते थे, वह सरकारी आवास किसी दूसरे विभाग के कर्मचारी को आंवटित कर दिया गया है। जिसकारण अब जिले के शिक्षा विभाग के मुखिया बिना सरकारी अॅबावास के हो गए है।
सामाजिक न्याय विभाग की महिला अफसर का किराए के मकान में डेरा
जिले के सामाजिक न्याय विभाग में भी बडे इंतजार के बाद शशिकरण एक्का के रूप में महिला अधिकारी की पदस्थापना बीते माह अप्रैल 2023 में हुई है। जिन्हें 8 महीने से ज्यादा वक्त श्योपुर जिले में बीत गया है,लेकिन उन्हें भी अभी तक सरकारी आवास नहीं मिल पाया है। बताया जा रहा है कि बीते माह उनके लिए आवास का आवंटन हो गया है,जिन अधिकारी का आवास मिला है,वे अधिकारी अभी उसी आवास में रहते है। जिसकारण शशिकरण एक्का का डेरा बीते 8 महीने से किराए के मकान में ही बना हुआ है।
कृषि विभाग के अधिकारी भी साले से किराए के मकान में
कृषि विभाग के कई अधिकारियों को भी सरकारी आवास सालो बीतने के बाद भी नहीं मिल सका है। जिसकारण उन्हें किराए के मकान में रहना पड रहा है। कृषि विभाग के सहायक संचालक जीके पचोरिया को श्योपुर में दो साल हो गए है,लेकिन अभी वे किराए के मकान में ही रह रहे है। सहायक संचालक कृषि पीएस करोरिया, मुनेश शाक्य सहित अन्य कई कृषि विभाग के अधिकारियों को सरकारी आवास के अभाव में किराए के मकानों में रहने को विवश होना पड़ रहा है।