नई दिल्ली। रक्षा क्षेत्र में भारत तेजी से ‘आत्मनिर्भर’ हो रहा है। दुनिया के कई देश अब भारत की हथियार प्रणाली में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण ‘पिनाका’ मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (एमबीआरएल) है। इसमें दो दक्षिण अमेरिकी देशों ने इसमें रुचि दिखाई है। वहीं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ऐसे भी रॉकेट विकसित कर रहा है, जो 120 और 200 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्य को भेद सकेंगे।

पहले आर्मेनिया को भी निर्यात हो चुका पिनाका एमबीआरएल
पिनाका हथियार प्रणाली का नाम भगवान शिव के धनुष के नाम पर रखा गया है। इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है। रक्षा अधिकारियों ने बताया, ‘हम पहले ही आर्मेनिया को पिनाका एमबीआरएल निर्यात कर चुके हैं। इसकी क्षमताओं को देखते हुए दो दक्षिण अमेरिकी देशों ने भी पिनाका हथियार प्रणाली में दिलचस्पी दिखाई है।’ उन्होंने बताया कि डीआरडीओ ने अब दो तरह के लंबी दूरी के रॉकेट को विकसित करने का काम शुरू कर दिया है। जिसमें 120 किलोमीटर और 200 किलोमीटर तक के लक्ष्य भेदने वाले संस्करण शामिल हैं।

75 से 80 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकते मौजूदा रॉकेट
डीआरडीओ निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के उद्योगों में अपनी भागीदारी बढ़ाकर नए रॉकेटों का उत्पादन और विकास करेगा। मौजूदा रॉकेट 75 से 80 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकते हैं। रक्षा अधिकारियों ने कहा, डीआरडीओ अब लंबी दूरी के रॉकेटों पर काम कर रहा है। जिन्हें उन्हीं लॉन्चर से दागा जा सकेगा, जो पहले से ही भारतीय सेना में सेवा में हैं। यह लागत को बचाने में भी मदद करेंगे।

परियोजना में निजी क्षेत्र की कंपनियों के शामिल होने की उम्मीद
पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर डीआरडीओ द्वारा निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के साथ साझेदारी में विकसित स्वदेशी हथियार प्रणाली है। लॉन्चर वाहन टाटा समूह टाटा समूह और लार्सन एंड टुब्रो द्वारा बनाए जाते हैं। जबकि, रॉकेट सौर उद्योग और मुनिशन इंडिया लिमिटेड द्वारा बनाए जाते हैं। नए रॉकेट की परियोजना में निजी क्षेत्र की कंपनियों के शामिल होने की उम्मीद है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER