TIO, लखनऊ।

लोकसभा चुनाव में बसपा को मिली करारी शिकस्त के बाद पार्टी में घमासान मचा है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है। सभी सीटों पर मिली शिकस्त का ठीकरा जोनल कोआॅर्डिनेटेरों पर फोड़ा जा सकता है, क्योंकि प्रत्याशी चयन का जिम्मा उन्हें ही सौंपा गया था। वहीं जिन सीटों पर बसपा को दलित वोट बैंक भी हासिल नहीं हुआ, वहां के जिलाध्यक्षों को हटाया जा सकता है।

सूत्रों की मानें तो माया जल्द ही यूपी और अन्य प्रदेशों के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ हार की समीक्षा के लिए बैठक करेंगी। बता दें कि बसपा को लोकसभा चुनाव में यूपी की 14 सीटों पर 50 हजार से भी कम वोट मिले हैं। इनमें इलाहाबाद, अमेठी, बाराबंकी, देवरिया, डुमरियागंज, फैजाबाद, फरुर्खाबाद, कैसरगंज, कानपुर, लखनऊ, महराजगंज, वाराणसी, रायबरेली और नगीना शामिल हैं। इन सीटों पर बसपा प्रत्याशियों को दलित वोटरों ने पूरी तरह नकार दिया। अब इसकी वजहों की तलाश करने की तैयारी है।

पार्टी सूत्रों की मानें तो नेशनल कोआॅर्डिनेटर आकाश आनंद की भी दोबारा वापसी हो सकती है, ताकि आजाद समाज पार्टी की ओर दलित युवाओं के झुकाव को रोका जा सके। आकाश ने अपनी चुनावी जनसभाओं में अपने तेवरों से युवाओं को खासा आकर्षित किया था, उनके प्रचार पर पाबंदी लगने के बाद से लगातार उनकी वापसी की मांग की जा रही है। साथ ही, युवाओं के साथ महिलाओं को भी पार्टी के साथ जोड़ने की नई मुहिम शुरू करने की तैयारी है।

गठबंधन नहीं करने से नुकसान
जानकारों की मानें तो बसपा का किसी भी दल से गठबंधन नहीं करना नुकसान का सबब बन गया। इसकी वजह से पार्टी ने अपना काडर वोट बैंक भी तकरीबन गंवा दिया। कई सीटों पर बसपा के परंपरागत जाटव वोटरों ने भी पार्टी प्रत्याशी को वोट नहीं दिया। बीते लोकसभा चुनाव में करीब 19 फीसदी वोट हासिल करने वाली बसपा इस बार 9.39 फीसदी वोट पर ही सिमट गयी, जिसे दोबारा हासिल करने में खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER