TIO, बेंगलुरु।
कर्नाटक के विश्व वोक्कालिगा महासमस्ताना मठ के संत कुमार चंद्रशेखरनाथ स्वामीजी ने 27 जून को डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के लिए सिद्धारमैया से मुख्यमंत्री पद छोड़ने की मांग की थी। इसे लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से पत्रकारों ने सवाल किए, जिसके जवाब में उन्होंने कहा- आलाकमान जो भी फैसला करेगा, हम उसका पालन करेंगे। सिद्धारमैया ने कहा- यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है। मैं स्वामीजी के बयान पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। हम राष्ट्रीय पार्टी हैं। एक आलाकमान है। यह लोकतंत्र है।
उधर, डीके शिवकुमार ने कांग्रेस नेताओं को कहा कि मुख्यमंत्री बदलने को लेकर कोई बयान न दें। सीमा लांघी गई तो कार्रवाई होगी और नोटिस जारी किया जाएगा। इससे पहले शिवकुमार ने कहा था- कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सीएम सिद्धरमैया के साथ मैंने तय किया है कि राज्य में जनता के लिए और पार्टी की मजबूती के लिए कैसे काम करना है। मामले को लेकर किसी विधायक-मंत्री या स्वामीजी को बोलने की जरूरत नहीं है। वे हमें आशीर्वाद दें, यह काफी होगा।
वोक्कालिगा संत की अपील ऐसे समय में आई है जब राज्य में वीरशैवा-लिंगायत, एससी/एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय से तीन और डिप्टी सीएम बनाए जाने की मांग उठ रही है। राज्य में फिलहाल डीके शिवकुमार अकेले डिप्टी सीएम हैं। वे दक्षिणी कर्नाटक के प्रभावी समुदाय वोक्कालिगा से आते हैं।
कर्नाटक कांग्रेस में खींचतान को 4 पॉइंट में समझिए…
1. वोक्कालिगा संत बोले- सब सत्ता भोग चुके, शिवकुमार ही बाकी हैं
संत ने मंच पर कहा कि हर कोई मुख्यमंत्री बन चुका है और सत्ता भोग चुका है, लेकिन हमारे डीके शिवकुमार अब तक मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं। इसलिए सिद्धारमैया से निवेदन है कि वे इस पद का अनुभव कर चुके हैं, तो अब उन्हें सत्ता शिवकुमार को सौंप देनी चाहिए और उन्हें अशीर्वाद देना चाहिए।
2. वोक्कालिगा संत के बयान पर ‘अहिंदा’ समुदाय ने नाराजगी जताई
सिद्धरमैया के सबसे बड़े समर्थ गुट अहिंदा ने वोक्कालिगा संत की मांग का विरोध किया। दरअसल, अहिंदा कर्नाटक में अल्पसंख्यक, ओबीसी और दलितों का एक संगठन है। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, अहिंदा के कर्नाटक अध्यक्ष प्रभुलिंग डोड्डामणि ने हुबली में रविवार 30 जून को कहा था कि सिद्धारमैया को पूरे पांच साल अपना कार्यकाल पूरा करना चाहिए। अगर उन्हें बदला जाता है तो कांग्रेस राज्य से अपना वजूद खो देगी। डोड्डामणि ने कहा कि स्वामीजी को ऐसे राजनीतिक बयान नहीं देने चाहिए थे। उन्हें खुद को प्रवचन और कर्मकांड तक ही लिमिटेड रखना चाहिए। संतों को यह समझना चाहिए कि यह पार्टी के अंदर का मामला है। ऐसे बयान समाज में तनाव पैदा करते हैं। संतों को समझना चाहिए कि वे पूरे समुदाय से जुड़े होते हैं, न कि किसी खास जाति से जुड़े होते हैं।
3. कर्नाटक में तीन और डिप्टी CM बनाने की मांग
को-आॅपरेशन मिनिस्टर केएन राजन्ना, हाउसिंग मिनिस्टर बीजेड जमीर अहमद खान, पब्लिक वर्क्स मिनिस्टर सतीश जारकीहोली समेत कई अन्य नेताओं ने इस हफ्ते राज्य में तीन और डिप्टी सीएम बनाए जाने का मामला उठाया। ये सभी नेता सिद्धारमैया के करीबी माने जाते हैं।
4. कांग्रेस नेताओं का दावा- 3 डिप्टी शिवकुमार को काबू में रखने का प्लान
राज्य में कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि मंत्रियों का तीन नए डिप्टी सीएम की मांग करना सिद्धारमैया कैंप के प्लान का हिस्सा है, ताकि मौजूदा डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को काबू में रखा जा सके और सरकार और पार्टी में उनके प्रभाव को कम किया जा सके। दरअसल पिछले साल मई में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के समय से ऐसी चर्चाएं हैं कि सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद शिवकुमार सीएम पद पर दावेदारी कर सकते हैं।
मई में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जीतने के बाद सीएम पद के लिए सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार- दोनों ने दावेदारी पेश की थी। कांग्रेस ने सिद्धारमैया को सीएम पद देते हुए तय किया था कि डीके शिवकुमार राज्य के इकलौते डिप्टी सीएम रहेंगे। यह सीएम पद की दावेदारी छोड़ने और डिप्टी सीएम बनने के लिए डीके शिवकुमार के प्रति कांग्रेस लीडरशिप का कमिटमेंट था।