TIO, नई दिल्ली।
ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, जो हर चुनाव में खासा चर्चा में रहती है। विपक्षी नेता इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं। वहीं, चुनाव आयोग को बार-बार इसे लेकर सफाई देनी पड़ती है। अब लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। इसके साथ ही आचार संहिता भी हट गई है। इसी बीच मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने ईवीएम को लेकर पूछे गए सवाल पर मुस्कुराते हुए कुछ ऐसा कह दिया, जिसका अब वीडियो वायरल हो रहा है।
थोड़े दिन ईवीएम को आराम करने दिजिए
सीईसी कुमार ने मजाकिया अंदाज में कहा, ‘अब तो सबके सामने है। अब तो सबको पता है तो अब क्यों पीटना है। अब थोड़े दिन ईवीएम को आराम करने दिजिए। उसे अगले चुनाव तक आराम करने दीजिए। फिर बाहर आएगी, बैटरी बदलेंगे, पेपर बदलेंगे। फिर वो गाली खाएगी और फिर रिजल्ट अच्छे से बताएगी। शायद गलत मुहूर्त में उसका जन्म हुआ है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘पिछले 20-22 सालों से ईवीएम सही नतीजे दिखाती आ रही है। वह बहुत भरोसेमंद है, वह हर प्रकार से तटस्त हो चुकी है और अपना काम करती है।’
वोटिंग मशीनें शत प्रतिशत सुरक्षित
इससे पहले भी मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़े तमाम सवालों एवं दावों को खारिज करते हुए कहा था कि वोटिंग मशीनें शत प्रतिशत सुरक्षित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देश की अदालतों ने 40 बार ईवीएम को लेकर दी गई चुनौतियों को खारिज किया है और अब तो अदालतें जुमार्ना भी लगाने लगी हैं।
राष्ट्रपति से की मुलाकात
बता दें, चुनाव आयोग ने ‘हिंसा मुक्त’ रहे लोकसभा चुनाव को महात्मा गांधी को समर्पित किया है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और डॉ. सुखबीर सिंह संधू के साथ राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मुलाकात की। उन्होंने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 73 के तहत भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी अधिसूचना की एक प्रति राष्ट्रपति को सौंपी। इस प्रति में 18वीं लोकसभा के आम चुनावों के बाद लोकसभा के लिए चुने गए सदस्यों के नाम शामिल हैं। इसके बाद कुमार ने महात्मा गांधी की समाधि राजघाट का दौरा किया।
आम आदमी की बुद्धि की जीत हुई
चुनाव आयोग ने कहा, ‘हमने अफवाहों और निराधार संदेहों के साथ चुनावी प्रक्रिया को दूषित करने के सभी प्रयासों को खारिज कर दिया, जिससे अशांति फैल सकती थी। भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं में अपार आस्था रखने वाले आम आदमी की ‘इच्छा’ और ‘बुद्धि’ की जीत हुई है। हम स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव कराकर हमेशा इसे बनाए रखने के लिए नैतिक और कानूनी रूप से बाध्य हैं।’