TIO, नई दिल्ली
मेहुल चोकसी की धोखाधड़ी के शिकार पीड़ितों को उम्मीद जगी है कि उसकी गिरफ्तारी से उन्हें न्याय मिलेगा और उनकी फंसी रकम वापस मिल सकेगी। गुजरात के भावनगर में दिव्य निर्माण ज्वेलर्स के मालिक दिग्विजय सिंह जडेजा ने दावा किया कि वह मेहुल की कंपनी में फाइनेंसर थे। उन्होंने उसकी कंपनी में 106 किलो सोने की छड़ें निवेश की थीं। उन्होंने भावनगर, अहमदाबाद, जामनगर, भुज, सूरत, मुंबई और वडोदरा में चोकसी के सभी स्टोर विकसित किए। चोकसी के पास उनकी 106 किलो सोने की छड़ें और 30 करोड़ रुपये हैं, जिनकी आज कीमत 128 करोड़ रुपये है।
जडेजा ने कहा कि उन्होंने 2014 में गुजरात राज्य सीआईडी अपराध अर्थव्यवस्था और अपराध शाखा में एफआईआर दर्ज कराई थी। गुजरात पुलिस को उसके खिलाफ सबूत मिले थे। सीआरपीसी 164 के बयान दर्ज होने के बाद भी उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। उसे गिरफ्तार करने के लिए डीजीपी स्तर के एक व्यक्ति ने 70 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। उन्होंने कहा कि वह पीड़ित थे। फिर भी उनसे रिश्वत मांगी। उन्हें न्याय नहीं मिला। 2016 में उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट में हलफनामा दिया था कि मेहुल पर 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है और उसने देश का पैसा विदेश में जमा कर दिया है। उसे जल्द गिरफ्तार किया जाए, वह भागने वाला है लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
मेहुल के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में एक और शिकायतकर्ता वैभव खुरानिया ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि मेहुल को न्याय के लिए भारत वापस लाया जाएगा। मैं बस उम्मीद करता हूं। मुझे नहीं लगता कि यह काम इतना आसान होगा। सरकार इतने लंबे समय तक विजय माल्या को नहीं पकड़ पाई, इसलिए मुझे नहीं लगता कि मेहुल को इतनी आसानी से भारत वापस लाया जा सकता है। इसमें बहुत सारी कानूनी जटिलताएं हैं।
इस बीच मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी के साथ ही उसकी कानूनी टीम की चालबाजियां भी शुरू हो गई हैं। उसके भारत प्रत्यर्पण को चुनौती देने में जुट गई है। भगोड़े कारोबारी के वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि चोकसी के प्रत्यर्पण को दो मुख्य आधारों पर चुनौती दी जाएगी। पहला, यह राजनीतिक मामला है और दूसरा, उसका स्वास्थ्य और भारतीय जेलों की मानवीय स्थिति अच्छी नहीं होना। वकील ने कहा कि उसे भारत भेजने से उसके मानवाधिकारों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।
हिरासत में न रखने की अपील
वकील ने कहा कि मेहुल फिलहाल जेल में है। बेल्जियम में प्रक्रिया जमानत के लिए आवेदन करने की नहीं, बल्कि अपील दायर करने की है। उस अपील में अनुरोध किया जाता है कि उसे हिरासत में न रखा जाए और उसे हिरासत में न रहते हुए खुद का बचाव करने तथा प्रत्यर्पण अनुरोध का विरोध करने की अनुमति दी जाए। अपील का आधार यह होगा कि मेहुल बहुत बीमार है और कैंसर का इलाज करा रहा है। साथ ही वह भारतीय एजेंसियों के एंटीगुआ से अगवाकर डोमिनिका ले जाने के दुष्परिणामों को झेल रहे हैं। उस समय की यातना के कारण वह क्लॉस्ट्रोफोबिक यानी बंद जगहों में डर महसूस कर रहे थे। उसे स्थायी विकृति हो गई है, वह पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसआॅर्डर से भी जूझ रहे हैं।
भगोड़ा घोषित नहीं
वकील ने दावा किया कि भारतीय कानून के तहत मेहुल को कभी भगोड़ा घोषित नहीं किया गया, क्योंकि वह भारतीय जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करता रहा। यह भारतीय एजेंसियों के प्रत्यर्पण आग्रह को कमजोर कर सकता है। उन्होंने कहा कि मेहुल जांच प्रक्रिया में शामिल होने के लिए तैयार हैं, लेकिन मेडिकल स्थिति के चलते यात्रा नहीं कर सकते। इसलिए हमने शुरू में कहा था कि वह जांच में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हो सकता है। हमने वर्चुअल माध्यम से सहयोग की पेशकश करते हुए कई आवेदन पेश किए हैं।