शशी कुमार केसवानी
भोपाल। मध्य प्रदेश के हरदा में मंगलवार को अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट होने से 11 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए हैं। अवैध पटाखा फैक्ट्री बैरागढ़ वार्ड में है। फैक्टी के आसपास बस्ती भी है। जिनमें 15 से ज्यादा मकानों को बनाने के लिए पीएम आवास योजना का लाभ भी मिला। वे भी धमाके की चपेट में आ गए। रहवासी क्षेत्र में पटाखा फैक्टी कैसे चल रही थी? इस पर अफसरों ने चुप्पी साध रखी है।
जिस तरह से घनी आबादी के बीचों बीच भोपाल में यूनियन कार्बाइड का एमआईसी प्लांट चल रहा था, उसी तरह से हरदा में अवैध पटाखा फैक्ट्री भी शहर की घनी आबादी के बीचों बीच चल रही थी। जबकि ढाई साल पहले इस फैक्ट्री में हुए धमाकों में दो की मौत हो चुकी थी, जिसके बाद फैक्ट्री को बंद करा दिया गया था। कुछ दिनों बाद कलेक्टर ने कलेक्टर आरोपियों का पक्ष सुनकर मामले का निराकरण करने के निर्देश दिए थे। दीपावली की वजह से सिर्फ अगली पेशी तक के लिए स्टे दे दिया गया था। हालांकि पूरी तरह से लाइसेंस नहीं दिया गया था। यह कहना है नर्मदापुरम के तत्कालीन कमिश्नर माली सिंह का। जहां तक मौतों का सवाल है, स्थानीय लोगों का कहना है कि जिन लोगों की मौतें हुई हैं वह तो फैक्ट्री के बाहर के लोग हैं, लेकिन अंदर जो काम कर रहे थे उनके बारे में जानकारी न तो फैक्ट्री मालिक को है और न ही जिला प्रशासन को। अंदर कितनी मौते हुई हैं वह रहस्य ही बना रहेगा।
सवाल यह उठता है कि क्या संबंधित थाने को इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह फैक्ट्री दिवाली के बाद भी चल रही है या फिर संबंधित एसडीएम या एडीएम या फिर प्रशासन के बड़े अधिकारियों को नहीं थी। यह एक बड़ा सवाल है। जबकि अग्रवाल बंधु लगातार प्रशासनिक अधिकारियों के संपर्क में रहते हैं। उनकी सेवा में हमेशा तत्पर रहते हैं। इस घटना के लिए न केवल अग्रवाल बंधु जिम्मेदार हैं, बल्कि पूरा जिला और पुलिस प्रशासन व स्थानीय नेता सभी जिम्मेदारी हैं। जांच के दायरे में यह सब भी आने चाहिए वरना हमेशा की तरह एक व्यक्ति को टारगेट करके कुछ हल्के-फुल्के इल्जाम लगाकर मामला कोर्ट में चलेगा पेशी दर पेशी होती रहेग और एक दिन मामला खत्म हो जाएगा। जिन लोगों की जान गई वे केवल कोर्ट की पेशियों के इंतजार में जीते-मरते रहेंगे। स्थानीय लोगों कहा कि प्रशासन को पूरी जानकारी थी, पर सभी आंखें मूंदे रहे।