TIO, MUMBAI

हिंदी के एक कवि-कथाकार थे, वसु मालवीय। इकत्तीस-बत्तीस साल की उम्र में वह इस दुनिया को अलविदा कह गये। यह जो फिल्म है, इन गलियों में, उन्हीं वसु मालवीय की कहानियों के किरदारों की जिदगियां हैं। वसु का एक गीत है, जो मुझे बेहद प्रिय है और जो इस फिल्म की प्रेरणा भी है, कहो अनवर क्या हुआ?

बहुत दिन से नहीं आये घर
कहो अनवर क्या हुआ

वो सिवइयां प्यार से लाना टिफिन में
दस मुलाकातें हमारी एक दिन में
और अब चुप्पी तुम्हारी
तोड़ती जाती निरंतर
क्या हुआ

टूटने को बहुत कुछ टूटा, बचा क्या
छा गयी है देश के ऊपर अयोध्या
धर्मग्रंथों से निकलकर
हो गये तलवार अक्षर
क्या हुआ

बहुत दिन से नहीं आये घर
कहो अनवर क्या हुआ?

तो यह जो फिल्म है, इन गलियों में, वसु मालवीय के सुपुत्र पुनर्वसु की तरफ से अपने पिता को श्रद्धांजलि है। पटकथा पुनर्वसु ने लिखी है, ज्यादातर गीत उसने लिखे है, गीतों की शुरूआती धुन भी उसी ने तैयार की है। मैं तो बस निमित्त मात्र हूं। मेरी तरफ से यह फिल्म हिंदी साहित्य को एक उपहार है। शुक्रिया यदुनाथ फिल्म्स, इसे प्रोड्यूस करने के लिए। शुक्रिया जावेद जाफरी, इश्तियाक खान, सुशांत सिंह, अवंतिका दसानी, विवान शाह, राजीव ध्यानी, हिमांशु वाजपेयी इस फिल्म में सुंदर किरदार निभाने के लिए। अरविंद कन्नाबिरन, जबीन मर्चेंट, अमाल मलिक, संजय चौधुरी और अरुण नांबियार इन सबने मिल कर ये फिल्म बनायी है। सबके लिए जिÞंदाबाद। इन गलियों में 28 फरवरी को थिएटर्स में रीलीज होगी। आपलोग देखिएगा जरूर।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER