TIO, लखनऊ।

लोकसभा चुनाव परिणाम से उत्साहित सपा ने अपने समाजवादी बुलेटिन में पहली बार अंग्रेजी में लेख को स्थान दिया है। वहीं, यह भी बताया है कि सपा ने पीडीए के साथ-साथ अगड़ों को भी प्रतिनिधित्व देने का पूरा ख्याल रखा। अंग्रेजी में यंग माइंड्स आॅन द राइज यानी उभरते युवा सितारों का जिक्र करते हुए युवा सांसद इकरा हसन, प्रिया सरोज और पुष्पेंद्र सरोज पर फोकस किया गया है। सपा संसद के अंदर और बाहर अंग्रेजी के प्रभुत्व का विरोध करती रही है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव संसद के अंदर भी अंग्रेजी के खिलाफ बोला करते थे।

हिंदी जानने वाले जो सांसद अंग्रेजी में बोलते थे, उनसे इस आधार पर अपनी नाइत्तफाकी भी जाहिर कर देते थे। लेकिन, इस बार सपा ने अपने मासिक समाजवादी बुलेटिन में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का संदेश अंग्रेजी में दिया है। इसमें उच्च शिक्षित युवा सांसदों इकरा हसन, प्रिया सरोज और पुष्पेंद्र सरोज के चयन के पीछे की वजह भी दी गई हैं।

सपा के एक नेता नाम न छापने के आग्रह के साथ कहते हैं कि यह अखिलेश के नेतृत्व में नए जमाने के अनुरूप आगे बढ़ती सपा के निर्णय हैं। सपा गैर हिंदी भाषी दक्षिण के प्रदेशों में भी विस्तार की रणनीति के साथ आगे बढ़ना चाहती है और इसके लिए हिंदी के मुकाबले अंग्रेजी ज्यादा मुफीद साबित होगी। बुलेटिन में अंग्रेजी के आलेख इसी बात के संकेत हैं। इसके अलावा जो लोग अंग्रेजी में ज्यादा सहज हैं, उनके बीच बुलेटिन आसानी से जगह बना सकेगा। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आए समाजवादी घोषणापत्र में कहा गया था-आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि भारत शायद विश्व का सबसे बड़ा गैरबराबरी वाला देश है।

अमीर और भी अमीर बनता जा रहा है। देश के 10 फीसदी समृद्ध (सामान्य वर्ग के लोग) 60 फीसदी राष्ट्रीय संपत्ति पर काबिज हैं। जून-2024 के समाजवादी बुलेटिन में कहा गया है कि बलिया से सनातन पांडेय, धौरहरा से आनंद भदौरिया, घोसी से राजीव राय और मुजफ्फरनगर से हरेंद्र मलिक का नाम भी यह बताने के लिए काफी है कि पिछड़ों को ज्यादा नुमाइंदगी देते हुए भी अखिलेश यादव ने अगड़ों का साथ नहीं छोड़ा। ये सभी चुनाव जीते। अखिलेश को इंडिया गठबंधन की जीत का श्रेय देते हुए कहा गया है कि सहयोगी कांग्रेस के हिस्से में आईं 17 सीटों पर भी उन्होंने पूरा ध्यान दिया।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER