शशी कुमार केसवानी
नवरात्रि हर वर्ष नई खुशियां, नया उत्साह लेकर तो आती ही है, साथ में आने वाले कई त्योहारों की सौगात भी देकर जाती है। नवरात्रों में जहां लोग सात्विक और शुद्ध शाकाहारी हो जाते हैं। साथ में शाकाहारी व्यंजन वो भी सेंधे नमक के साथ में बने फलाहारी और खाने में एक ऐसा स्वाद समा जाता है, जो दिलों दीमाग में बसने के साथ-साथ एक अलग ताजगी भी देता है। यही स्वाद भोपाल के होटल रेडीसन के प्योर रेस्टोरेंट में खाने का अलग ही अनुभव रहता है। इसका किचिन के साथ साथ बर्तन और स्टॉफ के लोग भी वहीं केवल शुद्धता के साथ व्यंजन परोसते हैं। ऊपर से राजस्थान और गुजरात के महाराज शंकर सिंह के हाथों का का कमाल साथ ही साथ में शैफ दिवायन की जानकारी स्वाद में चार चांद लगा देती है। मैंने तो कई जगहों पर वेज थाली या सात्विक थालियां खार्इं है, पर जो स्वाद हमें प्योर में मिला कही और नहीं मिल पाया। खाने की प्रस्तुति के साथ साथ स्वाद का बहुत ध्यान रखा गया है। जिसके चलते साबूदाने -आलू की टिक्की धनिए-पुदीने की चटनी के साथ अलग स्वाद दे रही थी।
साथ ही टमाटर का शोरबा या कहें तो पनीर से बने सभी व्यंजन एक अलग स्वाद के साथ परोसे गए थे। खासतौर पर समक के चावलों के साथ में कद्दू की खट्टी-मीठी सब्जी , आलू की सब्जी, रायता, कट फ्रूट, साबूदाने के पापड़, साथ में सिंघाड़े के आटे की पूड़ी यह सब खाने के बाद अगर मन पसंद मीठा मिल जाए तो व्रत का मजा कुछ अलग ही हो जाता है। जहां मीठे साबूदाने की खीर थी तो वहीं लौकी का हलवा कम मिठास के साथ में ऐसा स्वाद दे रहा था, जैसे सब छोड़कर इन्हीं से पेट भरा जाए। मेरा तो पेट भर पर दिल नहीं भर पाया। स्वाद ऐसा जो हमेशा याद रहे। आने वाले नवरात्रों तक ऐसे खाने का इंतजार ही रहेगा। हमने तो यह स्वाद ले लिया है, आप भी यह स्वाद ले सकते हैं।