TIO, नई दिल्ली

मजबूत मांग व खपत के दम पर चालू वित्त वर्ष में दुनिया में हमारी अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ेगी। अप्रैल, 2024 से मार्च, 2025 के बीच सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर 6.3 फीसदी रह सकती है। तीसरी तिमाही में 6.2 से 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है। तीसरी तिमाही के आंकड़े 28 फरवरी को आएंगे।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, 2024-25 में वास्तविक व नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर क्रमश: 6.4 फीसदी व 9.7 फीसदी अनुमानित है। एसबीआई रिपोर्ट के अनुसार, 36 उच्च आवृत्ति संकेतक अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेत दे रहे हैं। स्वस्थ ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्थिरता को मजबूत कर रही है। तीसरी तिमाही में पूंजीगत खर्च में सुधार दिख रहा है। देशों के बीच तनाव व आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों से कैलेंडर वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में मंदी ने भारत सहित अन्य देशों को भी प्रभावित किया।

अर्थव्यवस्था में मजबूती के प्रमुख कारण
पूंजी निवेश में बेहतर सुधार, आईआईपी वृद्धि दर बढ़कर 4.3 फीसदी, उद्योग की बेहतरी और सेवा क्षेत्र में भारी तेजी, सरकार का नीतिगत हस्तक्षेप।

2024 से 2026 तक भारत की वृद्धि दर 6.5 फीसदी पर स्थिर: आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि 2025 में यूरो क्षेत्र की वृद्धि दर एक फीसदी, अमेरिका की 2.7 फीसदी, ब्रिटेन की 1.6 फीसदी और चीन की विकास दर 4.6 फीसदी रह सकती है। भारत की वृद्धि दर 6.5 फीसदी, रूस की 2.2 फीसदी व दक्षिण अफ्रीका की दर 1.5 फीसदी रहेगी। 2024 से 2026 तक भारत की जीडीपी 6.5 फीसदी के स्तर से बढ़ेगी।

अमेरिकी टैरिफ का ज्यादा असर नहीं
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा, अमेरिकी पारस्परिक टैरिफ का प्रभाव भारत पर सीमित होगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था निर्यात पर कम निर्भरता के साथ घरेलू स्तर पर केंद्रित है। भारत दो वर्षों में 6.7-6.8 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि हासिल करेगा। आभूषण, फार्मा, कपड़ा व केमिकल पर ज्यादा टैरिफ लग सकता है। अमेरिका जेनेरिक दवाओं पर अधिक टैरिफ नहीं लगाएगा, क्योंकि इससे उसके देश में स्वास्थ्य देखभाल की लागत बढ़ जाएगी। गोल्डमैन सैश ने कहा, ट्रंप के टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था पर 0.1 से 0.6 फीसदी के बीच असर पड़ सकता है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER