TIO, नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के 10 वर्ष पूरे हो गए हैं। शुरूआत के बाद से एक दशक में कुल 53.13 करोड़ पीएमजेडीवाई खाते खोले गए हैं, जिसमें से 55.6 प्रतिशत (29.56 करोड़) जन-धन खाताधारक महिलाएं हैं और 66.6 प्रतिशत (35.37 करोड़) जन-धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी।
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जनधन योजना के सफलतापूर्वक 10 वर्ष पूरे करने पर लोगों को बधाई दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पीएम ने कहा, “आज देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है- #10ीं१२डाखंल्लऊँंल्ल.इस अवसर पर मैं सभी लाभार्थियों को शुभकामनाएं देता हूं। इस योजना को सफल बनाने के लिए दिन-रात एक करने वाले सभी लोगों को भी बहुत-बहुत बधाई। जन धन योजना करोड़ों देशवासियों, विशेषकर हमारे गरीब भाई-बहनों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर देने में सफल रही है।”
15 अगस्त 2014 को किया गया जनधन योजना का एलान
वित्त मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार पीएमजेडीवाई खातों के तहत कुल जमा राशि 2,31,236 करोड़ रुपये है। 14 अगस्त 2024 तक खातों में 3.6 गुना वृद्धि के साथ जमा राशि में लगभग 15 गुना वृद्धि हुई। वित्त मंत्रालय के अनुसार, 14 अगस्त 2024 तक प्रति खाता औसत जमा राशि 4,352 रुपये थी। 15 अगस्त के बाद प्रति खाता जमा राशि में 4 गुना वृद्धि हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में पीएमजेडीवाई की घोषणा की।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर को गरीबों को दुष्चक्र से मुक्ति दिलाने का उत्सव बताया था। पीएमजेडीवाई के तहत 36.06 करोड़ से अधिक रूपे डेबिट कार्ड जारी किए गए हैं। 89.67 लाख पॉइंट-आॅफ-सेल मशीनों की स्थापना और यूपीआई जैसी मोबाइल-आधारित भुगतान प्रणालियों की शुरूआत के साथ, डिजिटल लेनदेन की कुल संख्या वित्तीय वर्ष 18-19 में 2,338 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 23-24 में 16,443 करोड़ हो गई है। यूपीआई वित्तीय लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2018-19 में 535 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 13,113 करोड़ हो गई है। इसी तरह, पीओएस और ई-कॉमर्स पर रूपे कार्ड लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 में 67 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 96.78 करोड़ हो गई है।
पीएमजेडीवाई वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन
पीएमजेडीवाई वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन है , जिसका उद्देश्य किफायती तरीके से बैंकिंग, बचत और जमा खाते, धन प्रेषण, ऋण, बीमा और पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना है। इस अवसर पर, केंद्रीय वित्त और कॉपोर्रेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक संदेश में कहा, “वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण को प्राप्त करने के लिए औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक सार्वभौमिक और सस्ती पहुँच आवश्यक है। यह गरीबों को आर्थिक मुख्यधारा में एकीकृत करता है और हाशिए पर पड़े समुदायों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, ” पीएम जन धन योजना ने बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को सार्वभौमिक, सस्ती और औपचारिक वित्तीय सेवाएं- जिसमें बैंक खाते, छोटी बचत योजनाएं, बीमा और ऋण जैसी सुविधाएं शामिल हैं- प्रदान करके पिछले एक दशक में देश के बैंकिंग और वित्तीय परिदृश्य को बदल दिया है।” उन्होंने कहा, “इस पहल की सफलता इस बात में झलकती है कि जन धन खाते खोलने के माध्यम से 53 करोड़ लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाया गया है। इन बैंक खातों में 2.3 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि जमा हुई है, और इसके परिणामस्वरूप 36 करोड़ से अधिक नि:शुल्क फ४ढं८ कार्ड जारी किए गए हैं, जो 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर भी प्रदान करते हैं।
67 प्रतिशत खाते ग्रामीण और अर्द्धशहरी क्षेत्रों में
सीतारमण ने कहा, “उल्लेखनीय रूप से, खाता खोलने या रखरखाव को कोई शुल्क देय नहीं है और न्यूनतम शेष राशि बनाए रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।” उन्होने कहा, “यह जानकर खुशी हुई कि 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं, और 55 प्रतिशत खाते महिलाओं द्वारा खोले गए हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “जन धन-मोबाइल-आधार को जोड़कर बनाई गई सहमति-आधारित पाइपलाइन वित्तीय समावेशन पारिस्थितिकी तंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक रही है। इसने पात्र लाभार्थियों को सरकारी कल्याण योजनाओं के त्वरित, निर्बाध और पारदर्शी हस्तांतरण को सक्षम किया है और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया है। पीएमजेडीवाय प्रत्येक बिना बैंक वाले वयस्क को एक बुनियादी बैंक खाता प्रदान करता है। इस खाते के लिए कोई शेष राशि बनाए रखने की आवश्यकता नहीं है और इस खाते पर कोई शुल्क भी नहीं लगाया जाता है।