शशी कुमार केसवानी, भोपाल।

खाना बनाने के कई तरीके होते हैं। पर यह तरीका अलग ही होता है। ईरान से शुरू हुआ मुगलों के साथ में भारत में आया। हालांकि युवाओं को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। पर भारत में भी पहले से थोड़े अलग तरह से यह खाना बनता था। पर यह तरीका कुछ अलग ही था। अवध के रस्ते से होता हुआ पूरे देश में फैल गया। आज जो खाने की थोड़ी समझा रखते हैं। वह इस खाने को बड़े चाह के साथ खाते हैं। जी हां मैं बात कर रहा हूं दमपुख्त के खाने की। दमपुख्त खाना बनाने का तरीका अलग ही होता है। बहुत ही धीमी आंच पर कोयले पर बनता है। नीचे भी अंगेठी में कोयला रहता है और हांडी को आटे से सील कर दिया जाता है और ऊपर भी कोयला रहता है। इसको बीच में देखना नहीं पड़ता। हालांकि आज-कल प्रेशर कूकर का जमाना है। कई होटलों में प्रेशर कूकर में बने खाने को भी दमपुख्त खाने के नाम से परोस दिया जाता है। पर देश में कई घराने ऐसे भी हैं जो आजतक पुराने तौर तरीकों से यह खाना बनाते हैं। इस खाने की खूबी यह है कि यह किचन के अंदर नहीं बन पाता।

लखनऊ से आर्इं शेफ अंजुम बताती है कि दमपुख्त का मतलब ही है ऐसा खाना, जिसमें दम लगता है। यह धीमी आंच पर पकता है। इसे कोयले पर पकाने पर ही स्वाद आता है। अवध की खासियत है कि दम वाले सभी खानों को हांडी में ही बनाया जाता है। दमपुख्त के प्रोसेस के बारे में अंजुम ने बताया कि दम कभी भी किचन के अंदर नहीं इसके लिए आपको प्रोपर चलता, लकड़ी और कोयला की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा इस खाने को पकाने के लिए ज्यादा पलटफेर नहीं करना होता है।

अंजुम ने बताया कि दमपुख्त का कोई सीक्रेट इंग्रेडिएंट तो नहीं है। अगर आप कथाब, सब्जी या कोई भी वेज या नॉनवेज डिश बना रहे हैं बन इसमें खुशबू का मसाला जरूर एड करें। यानी इलाइची, जायफल, जावित्री, रोज व दालचीनी का इस्तेमाल करने से एक शटल फ्लेवर आता है। दमपुख्त 300 साल पहले अवध में लाया गया है। इसे नॉर्थ-वेस्ट कंट्री से एडॉप्ट किया गया है। खास तौर पर नॉन वेज बनाने के लिए इसे मुगल लेकर आए थे। मैं इस कुजीन से 35 वर्षों से जुड़ी हूं, जिसका श्रेय मेरे ननिहाल और ददिहाल को जाता है।

जहानुमा पैलेसे के शाहनाम रेस्टोरेंट में 27 से 30 जून तक रिवायत-ए दमपुख्त फूड फेस्टिवल रहेगा। रोज शाम 7 से रात 11 बजे तक चलने वाले इस फेस्टिवल का जायका लिया जा सकता है। रिवायत में उनक खानों को परोसा जाता है, जिसे लोग भूलते जा रहे हैं। परंपराओं से जुड़े यह व्यंजन देशभर के समय-समय पर जहानुमा पैलेसे में आयोजित किए जाते हैं। इस बार आप स्पेशल दम बिरयानी, दम कोरमा, गलोटी कबाब, कोरमा पनीर, अचारी पनीर, काकोरी कबाब, दम मुर्ग। मीठे में सीर कोरमा, शाही टुकड़ा, जैसे अनगिनत व्यंजन रहते हैं, जिसका स्वाद आप ले सकते हैं।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER