TIO, कोटपूतली

कोटपूतली में भैरूबाबा के 16वें वार्षिक मेले को लेकर भव्य तैयारी चल रही है। इस धार्मिक आयोजन में एक बात जो सामने निकल आ रही है वो है भंडारे के लिए चूरमे की महाप्रसादी। जी हां, इस महाप्रसादी को लेकर जेसीबी मशीन, थ्रेसर, ट्रैक्टर-ट्रॉली, फावड़े और 100 से ज्यादा लोग दो शिफ्ट में लगातार काम में लगे हुए हैं।

सवाल ये भी है कि इस महाप्रसादी के लिए जेसीबी, थ्रेसर और ट्रैक्टर-ट्रॉली की क्या आवश्यकता है। बता दें कि इन सब मशीनों से यहां 551 क्विंटल की प्रसादी बनाई जा रही है। बड़ी बात ये है कि इस प्रसादी के लिए 3 हजार किलों से ज्यादा घी का इस्तेमाल किया जाएगा। जिसे, करीब दो लाख से ज्यादा लोग खाएंगे।

कब लगेगा मेला?
बता दें कि नारेहड़ा के कुहाड़ा के छापाला भैरूजी बाबा मंदिर में गुरुवार को भरने वाले इस मेले के लिए ग्रामीणों में उत्साह है। गुरुवार को ही भण्डारा व दोपहर में धमाल कार्यक्रम आयोजित होगा। इतना ही नहीं भैरू बाबा मंदिर पर हेलीकॉप्टर से पुष्वपर्षा की जाएगी। इसके लिए पिछले एक माह से ग्रामीण जन सहयोग व भंडारे की तैयारियों में जुटे हुए हैं।

कोटपूतली-सीकर स्टेट हाईवे पर स्थित है मंदिर
भैरव जी का यह मंदिर कोटपूतली-सीकर स्टेट हाईवे पर स्थित है। इसके लिए मुख्य सड़क से 2 किलोमीटर अंदर जाना होता है। इन दो किमी में 3 भव्य दरवाजों से गुजरना पड़ता है। इसके बाद तलहटी से एक पहाड़ पर चढ़ना होता है। करीब 116 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर परिसर तक पहुंचा जा सकता है। मंदिर परिसर में सवाई भोज, शेड माता और हनुमान जी की भी मूर्ति स्थापित हैं।

हर घर से एक सदस्य देगा सेवा
मेला कमेटी अध्यक्ष जयराम जैलदार ने बताया ,कि ये आयोजन गांव अपने स्तर पर करता है। यहां सभी वर्ग और जाति के लोग अपने श्रद्धा के अनुसार सहयोग करते हैं। इस बार मेले में करीब 2 लाख से ज्यादा भक्तों के आने की संभावना है। गांव के हर घर से एक व्यक्ति रोजाना अपना समय निकालकर यहां अपनी सेवा दे रहा है।

दिल्ली-हरियाणा से दर्शन करने आएंगे श्रद्धालु
करीब 400-500 लोग लगातार महाप्रसादी बनाने के अलग-अलग काम में सेवाएं दे रहे हैं। मेले के दिन करीब 14 हजार लोग प्रसादी वितरण में सहयोग करेंगे। मेले में हर साल की तरह सवाई माधोपुर, ग्वालियर, झालावाड़, कोटा, पीपलखेड़ा, मुरैना, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली समेत दूर-दराज से श्रद्धालु दर्शन करने आएंगे।

ऐसे शुरू हुई महाप्रसादी की परंपरा
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सोनगिरी पोसवाल नाम के व्यक्ति भैरू जी के भक्त थे। वह भैरू बाबा की मूर्ति को ग्राम कुहाडा में स्थापित करवाना चाहते थे। भक्त भैरव बाबा की मूर्ति लाने काशी चले गए। भैरू बाबा ने उसे सपने में दर्शन देकर सोनगिरी से बड़े बेटे की बलि मांगी। जिस पर वह बेटे की बलि देकर भैरूजी की मूर्ति लेकर चल देते हैं। भैरू बाबा परीक्षा से खुश होकर पुत्र को जीवित कर देते हैं। इसके बाद भक्त और उसके बेटे ने पंच पीरों के साथ गांव में मूर्ति की स्थापना विधि विधान से जागरण और भंडारे के साथ की गई। आज भी प्राचीन पंचदेव खेजड़ी वृक्ष की पूजा होती है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER