TIO, नई दिल्ली।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी 14 जनवरी से ‘भारत न्याय यात्रा’ शुरू करने के लिए तैयार हैं। ये यात्रा मणिपुर से मुंबई तक 6200 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इसकी जानकारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने हाल ही में दी। तभी से सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। इस बीच, राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने यात्रा के बदले मार्ग पर चिंता जताई है। उन्होंने साल 2008 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के कांग्रेस के फैसले सहित विभिन्न मुद्दों पर अपनी आपत्ति व्यक्त की और साथ ही जयराम रमेश से जवाब मांगा।
रमेश के विचारों को पढ़ना अजीब लगता है
जेठमलानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर जयराम पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अरुणाचल प्रदेश पर जयराम रमेश के विचारों को पढ़ना अजीब लगता है। अब यह कहा जा रहा है कि पर्यावरण मंत्री के रूप में वह राज्य में सभी मौजूदा जल विद्युत परियोजनाओं की समीक्षा करना चाहते थे और किसी भी नई परियोजना को रोकना चाहते थे। रमेश ने तब जोर देकर कहा था कि भारत अपने दम पर बांधों का निर्माण करने में सक्षम नहीं होगा और उसे राज्य में अपनी जल विद्युत परियोजनाओं में चीन को शामिल करना चाहिए। जब उनकी हर तरफ आलोचना हुई, तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को एक पत्र लिख दिया, जिसे पढ़कर लगता है कि जैसे कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग नहीं था।
भारत जोड़ो यात्रा के बाद…
भाजपा नेता ने कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद जयराम ने इस साल फरवरी में एक और यात्रा की घोषणा की। इस बार अरुणाचल के पासीघाट से गुजरात के पोरबंदर तक की यात्रा तय की गई। इस बीच अप्रैल में खबरें आईं कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करते हुए राज्य में 11 स्थानों के नाम बदल दिए। जयराम ने चीन की इस कार्रवाई के लिए पीएम मोदी को जिम्मेदार बताया। उनका आरोप था कि राज्य की अनदेखी की गई इसलिए चीन ने कब्जा कर लिया। हालांकि, इन आरोप को विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि नाममात्र के दावे ‘जमीनी हकीकत’ से मेल नहीं खाते। हमेशा की तरह जयराम एक गैर मुद्दे पर विरोध दर्ज करा रहे थे।
राज्यसभा सदस्य जेठमलानी ने आगे कहा, ‘कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने हाल ही में देश को बताया कि राहुल मणिपुर से मुंबई तक भारत न्याय यात्रा करने वाले हैं। मतलब अब यह यात्रा अरुणाचल प्रदेश से होकर नहीं गुजरेगी। ऐसे में मेरे कुछ सवाल हैं, जिनके जवाब जयराम दें।’
यह सवाल पूछे-
1. मार्ग परिवर्तन का तर्क: आखिरकार यात्रा के मूल मार्ग को क्यों बदला गया?
2. अरुणाचल प्रदेश का बहिष्कार: क्या आपने जानबूझकर अरुणाचल प्रदेश को यात्रा के मार्ग से बाहर रखा क्योंकि चीन ने राज्य के 11 स्थानों के नाम बदल दिए हैं?
3. अरुणाचल प्रदेश के साथ एकजुटता: चूंकि आप चीन के इस कदम पर भड़के हुए थे, तो क्या कांग्रेस के लिए यह जरूरी नहीं था कि वह राज्य के लोगों को दिखाते थे कि वह उनके साथ हैं और यात्रा की शुरूआत वहां से ही करते। या कम से कम यात्रा के मार्ग में आंध्र प्रदेश को शामिल करते?
4. उग्रवाद में चीन की भूमिका: क्या आप इस बात से सहमत हैं कि चीन पूर्वोत्तर में विद्रोह को बढ़ावा देता है और मणिपुर में हिंसा को बढ़ावा देने के लिए धन उपलब्ध कराता है?
5. मणिपुर हिंसा में चीन की भागीदारी: क्या आपको कम से कम एक संभावना के रूप में यह लगा है कि इस साल की शुरूआत में मणिपुर हिंसा में चीनी हाथ हो सकता है?
6. 2008 के एमओयू में भूमिका: क्या 2008 में सीसीसीपी के साथ समझौता ज्ञापन में प्रवेश करने के लिए कांग्रेस के निर्णय में आपकी व्यक्तिगत रूप से कोई भूमिका थी?
7. एमओयू के बारे में जागरूकता: क्या आप किसी भी घटना में इससे अवगत हैं?
8. चीनी संप्रभुता की मान्यता: क्या एमओयू में ऐसा कहा गया है कि आईएनसी अरुणाचल प्रदेश पर चीनी संप्रभुता को मान्यता देता है?
9. 2008 के एमओयू की वैधता: क्या आप मानते हैं कि 2008 में केंद्र में सत्ता में रहे एक भारतीय राजनीतिक दल के लिए सीसीसीपी के साथ एक समझौता ज्ञापन करना कानूनी था, जो चीनी राज्य का पर्याय है, जिसने 1962 से भारतीय क्षेत्र के एक बड़े हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है?
10. पारदर्शिता का आह्वान: क्या किसी भी स्थिति में इस समझौता ज्ञापन को पारदर्शिता के सिद्धांत पर सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए, जिसके बारे में आप और आपकी पार्टी लिपापोती करती हैं?