TIO, पटना।
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को गड़ेरिया जाति का बताया था। इस पर पलटवार करते हुए लालू ने बृहस्पतिवार को अपने ही अंदाज में सवाल उठाया-ऊ मुसहर हैं क्या? इस पर मांझी ने भी जवाब देने में देरी नहीं लगाई। उन्होंने कहा कि वह मुसहर हैं और उन्हें अपनी जाति पर गर्व है।
जाति को लेकर यह सारा विवाद नवादा जिले में दलितों के घर जलाए जाने के बाद शुरू हुआ था, जिसमें दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की जाति और डिग्री तक को लेकर वार-पलटवार किए जाते रहे। राज्य में चुनाव में अभी कुछ समय बाकी है, लेकिन जाति की राजनीति को धार देने की कोशिशें तेज हो गई हैं। उधर, मांझी ने सोशल मीडिया पर लिखा, हम मुसहर-भुईयां हैं, हमारे पिता मुसहर-भुईयां थे, हमारे दादा मुसहर-भुईयां थे, हमारे परदादा मुसहर-भुईयां थे। और हम तो गर्व से कहतें हैं कि हम मुसहर, भुईयां हैं। मांझी का बयान उनकी उस रणनीति को दशार्ता है, जिसके तहत वह महादलित और अन्य पिछड़ी जातियों के मतदाताओं को साधने का प्रयास कर रहे हैं। मांझी और लालू की यह बयानबाजी आगामी चुनावों के जातिगत ध्रुवीकरण की बुनियाद रखने वाली है।
मांझी की रणनीति स्पष्ट रूप से महादलितों और पिछड़ी जातियों के मतदाताओं को अपने पक्ष में करना है, जबकि लालू यादव अपने पुराने वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। लालू के इस बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि वह अपने वोट बैंक को लेकर चिंतित हैं और किसी भी चुनौती को गंभीरता से ले रहे हैं।