नई दिल्ली/पटना। बिहार में जदयू को साध कर विपक्षी इंडी गठबंधन को सबसे बड़ा झटका देने के बाद भाजपा के सामने आने वाली मुख्य चुनौती सीटों के बंटवारे की है। जदयू के साथ आने और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के भी राजग में शामिल होने के बाद राज्य में राजग के कुनबे में सात दल हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में सबसे अधिक घाटा जदयू को उठाना होगा, जबकि मिशन क्लीन स्वीप को अमली जामा पहनाने के लिए भाजपा को भी सहयोगियों को साधे रखने के लिए अपना दिल बड़ा करना होगा।
दरअसल, भाजपा की रणनीति राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन को यादव-मुस्लिम मतदाता वर्ग तक ही सीमित कर देने की है। जदयू के साथ छोड़ने के बाद पार्टी ने उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और लोजपा के दूसरे धड़े के नेता चिराग पासवान को साधा था, जबकि वीआईपी के मुकेश सहनी से बातचीत अंतिम दौर में थी। तब भाजपा ने खुद 28 सीटों पर लड़ने और सहयोगियों के लिए 12 सीटें छोड़ने का फॉमूर्ला तय किया था। हालांकि, जदयू के आने के बाद पार्टी को नया फॉमूर्ला तय करना होगा।
जदयू को होगा सबसे अधिक घाटा
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, बीते चुनाव में 17 सीटों पर लड़ने वाले जदयू को इस बार 10 से 12 सीटें मिलेंगी। खुद भाजपा अधिकतम 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बाकी बची सीटें लोजपा के दोनों धड़ों, वीआईपी, हम और आरएलजेडी को दी जाएगी। पार्टी की चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि विपक्षी महागठबंधन सीट बंटवारे में फूट का इंतजार कर रहा है। इसे भांपते हुए जदयू के इतर दूसरे सहयोगी पुराने फॉमूर्ले के तहत सीट मांग सकते हैं।
किसी को छोड़ने की स्थिति नहीं
पुराना प्रदर्शन दोहराने के लिए भाजपा किसी सहयोगी को छोड़ने की स्थिति में नहीं है। जदयू के साथ आने से पहले की तरह अति पिछड़ा वर्ग राजग से जुड़ेगा। हालांकि, दलित वोट को साधे रखने के लिए पार्टी को लोजपा के दोनों धड़ों के साथ मांझी को साधे रखने की जरूरत होगी। इसी तरह लव-कुश समीकरण को साधे रखने के लिए पार्टी को कुशवाहा की जरूरत है। जदयू के हटने के बाद इन्हीं पार्टियों के जरिये भाजपा नई सोशल इंजीनियरिंग तैयार कर रही थी।
ये हैं चुनौतियां
वीआईपी अगर राजग में आती है तो उसे दो सीटें देनी होंगी। भाजपा पहले ही कुशवाहा को दो और मांझी को एक सीट देने का वादा कर चुकी है। लोजपा के दोनों धड़े अलग-अलग छह-छह सीटें मांग रहे हैं। इनमें चिराग पासवान पर राजद की नजर है। ऐसे में अगर दोनों धड़े छह सीट पर भी माने तो भाजपा और जदयू के लिए 29 सीटें बचती हैं। अगर चिराग ने दबाव बढ़ाया तो यह संख्या और कम हो सकती है।