TIO, नई दिल्ली।
केन्द्र सरकार ने बीते सोमवार को देशभर में नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया है। कानून को लेकर देश की सियासत गरमाई हुई है। जहां कुछ राजनैतिक दल सीएए कानून का समर्थन कर रहे हैं। तो वहीं कुद विरोध में भी उतर आए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस कानून का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। वहीं एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट सीएए कानून को लागू करने पर रोक लगाने की मांग की है। इसके अलावा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने भी सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है।
सीएए के खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर हैं 200 से ज्यादा याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में असदुद्दीन ओवैसी ने मांग की है कि सीएए कानून के तहत सरकार किसी को भी नागरिकता संशोधन कानून की धारा 6बी के तहत नागरिकता प्रदान न करे। सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं में सीएए कानून को संविधान के खिलाफ और भेदभावपूर्ण बताया गया है। शीर्ष अदालत में नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई हैं। सीएए कानून को साल 2019 में ही संसद से मंजूरी मिली थी और उसके बाद से ही इस कानून का विरोध हो रहा है।
क्यों हो रहा है सीएए का विरोध
नागरिकता संशोधन कानून 2019 के तहत सरकार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इस कानून के तहत हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है, लेकिन इस कानून से मुस्लिम वर्ग को बाहर रखा गया है। इसी वजह से इस कानून का विरोध हो रहा है। कानून का विरोध करने वाले लोगों का आरोप है कि इसमें धर्म के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है, जो कि भारतीय संविधान के खिलाफ है। हालांकि सरकार का तर्क है कि सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है और सरकार ने साफ कहा है कि सीएए कानून वापस नहीं होगा।