TIO, नई दिल्ली

पॉडकास्ट की दुनिया में कदम रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिरोधा के सहसंस्थापक निखिल कामथ के साथ पहले पॉडकास्ट में अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज भारत का वक्त है। पूरी दुनिया हमारी ओर उम्मीद से देख रही है। दुनिया भारतीय वीजा लेने के लिए एक दिन कतार में खड़ी होगी।

निखिल कामत ने पूछा कि, दुनियाभर में भारत के प्रति धारणा कैसे बदली है? इस सवाल के जवाब में मोदी ने कहा, राज्य के प्रमुख के रूप में अमेरिका ने मुझे वीजा देने से इन्कार कर दिया था। मैंने उस दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, एक दिन दुनिया भारतीय वीजा के लिए कतार में खड़ी होगी। मैंने यह बयान 2005 में दिया था। अब, यह 2025 है। मैं देख सकता हूं कि यह भारत का वक्त है। पीएम मोदी ने कहा, मैं हाल में कुवैत गया था। मैं एक मजदूर कॉलोनी में गया। वहां एक मजदूर ने मुझसे पूछा कि उसके जिले (भारत में) में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा कब बनेगा। यही आकांक्षा है जो 2047 में भारत को विकसित देश?बनाएगी।

पीएम मोदी ने फरवरी, 2002 में गोधरा में ट्रेन में 59 लोगों को जिंदा जलाने की घटना को याद करते हुए कहा, वहां का वह दर्दनाक मंजर…हर ओर फैले चीथड़े…आप उसकी कल्पना कर सकते हैं। मैं भी इन्सान हूं, मुझे भी चीजें महसूस होती हैं। लेकिन मुझे पता था कि मैं जिस पद पर हूं, मुझे अपनी भावनाओं पर काबू रखना होगा। गोधरा के बाद गुजरात चुनाव मेरे जीवन की सबसे बड़ी चुनौती थी। मैंने कह रखा था कि 12 बजे से पहले नतीजों के बारे में न बताएं, लेकिन ढोल नगाड़ों की आवाज पूरी कहानी बता रही थी।

जोखिम लेने की क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं
क्या समय के साथ जोखिम लेने की क्षमता बढ़ी है? पीएम ने इस सवाल पर कहा, मैं कभी भी कम्फर्ट जोन में नहीं रहा और मेरी जोखिम लेने की क्षमता का अभी तक पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं हुआ है। मैं अपने बारे में चिंता नहीं करता। जो अपने बारे में नहीं सोचता, उसके पास जोखिम लेने की अनगिनत क्षमताएं होती हैं, मेरा मामला भी ऐसा ही है। जोखिम लेने की मानसिकता एक प्रेरक शक्ति है।

गांधी-सावरकर के रास्ते अलग, लक्ष्य एक…स्वतंत्रता
पीएम ने विचारधारा से अधिक आदर्शवाद की अहमियत पर जोर दिया। कहा, गांधी व सावरकर के रास्ते अलग-अलग थे, पर लक्ष्य स्वतंत्रता थी। पीएम ने अपनी विचारधारा पर कहा, मैंने सदैव राष्ट्र को सर्वोपरि रखा है। मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं, जो सुविधा के अनुसार अपना रुख बदल ले। मैं सिर्फ एक ही विचारधारा के साथ बड़ा हुआ हूं, राष्ट्र प्रथम। इस टैगलाइन में फिट होने वाली कोई भी चीज मुझे विचारधारा व परंपरा की बेड़ियों में नहीं बांधती।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER