अरविंद तिवारी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने तमाम गणित समझने के बाद ही अक्षय कांति बम को इंदौर से कांग्रेस का टिकट दिलवाया था। इसके पीछे लाभ शुभ का गणित तो था ही साथ ही इंदौर की राजनीति में अपना अलग धड़ा तैयार करने के समीकरण। पटवारी को अंदाज था कि बम जब तक उन्हें और कांग्रेस को समझेंगे तब तक गंगा में काफी पानी बह जाएगा लेकिन बम ज्यादा समझदार निकले और पटवारी के बत्ती लगाते ही फुस्सी हो गए।
संकेत साफ है, समझने वाले सब समझ गए
सागर की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री मोहन यादव और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंच पर मौजूुद थे। यहां मोदी ने जो कुछ कहा उससे मुख्यमंत्री के आगे के सफर का रास्ता बहुत आसान होता दिख रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ की और कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद इनके काम की गति और बढ़ेगी। प्रधानमंत्री ने शिवराज जी को अपना बहुत पुराना साथी बताते हुए कहा कि इन्होंने मध्यप्रदेश में बहुत अच्छा काम किया है। हम संगठन में भी साथ-साथ काम कर चुके हैं। अब मैं इन्हें दिल्ली ले जाना चाहता हूं। संकेत साफ है, समझने वाले सब समझ गए।
भाजपा के अति उत्साह का फायदा तो मिला नकुलनाथ को
छिंदवाड़ा में जिस आक्रामक अंदाज में भाजपा ने कमलनाथ की घेराबंदी करते हुए नकुलनाथ को निशाने पर लिया वह कांग्रेस के लिए एक तरह से फायदे का सौदा साबित होता दिख रहा है। भाजपा छिंदवाड़ा में अति उत्साह में आ गई थी और पार्टी के दिग्गजों को लग रहा था कि वे जितना ज्यादा आक्रामक रहेंगे और कमलनाथ पर वार करेंगे, उसका उन्हें बहुत फायदा मिलेगा। मतदान की तारीख नजदीक आते-आते भाजपा का यह दाव उल्टा पड़ता नजर आया। जितनी आक्रामकता भाजपा ने दिखाई, उतनी ही ज्यादा जनता की सहानुभूति नकुलनाथ के साथ होती गई। भाजपा उम्मीदवार से उनकी ही पार्टी के लोगों की नाराजगी का नकुलनाथ को पूरा फायदा मिला।
सख्त हिदायत… मध्यप्रदेश में 29 सीट से कम मंजूर नहीं
अबकी बार 400 पार के नारे के साथ चुनाव में उतरी भारतीय जनता पार्टी इस आंकड़े को लेकर खासी गंभीर है। पार्टी आलाकमान और पार्टी के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक सीट पर कड़ी नजर बनाए हुए है। स्पष्ट शब्दों में नीचे तक यह संदेश दे दिया गया है कि पिछली बार से एक भी सीट कम नहीं होना चाहिए। 2019 में जो सीट हार गए थे, वहां भी जीत होनी चाहिए। मध्यप्रदेश की बात करें तो सभी 29 सीटों को जीतने के लिए कमर कसी गई है और इसे लेकर लगातार सीट दर सीट समीक्षा बैठक हो रही है। ताजा स्थिति से आलाकमान को अवगत कराया जा रहा है। दूसरे चरण के मतदान के ठीक पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अमित शाह भोपाल आकर सख्त हिदायत दे चुके हैं।
अब ड्राइविंग सीट पर आ गए हैं संघ के नए प्रांत प्रचारक राजमोहन
काम करने का संघ का अपना एक तरीका है। घोषित तौर पर नए प्रांत प्रचारक राजमोहन संघ के अलग-अलग प्रशिक्षण वर्ग समाप्त होने के बाद नए दायित्व ग्रहण करेंगे। तब तक लोकसभा के चुनाव भी निपट जाएंगे। लेकिन अघोषित रूप से प्रांत प्रचारक के रूप में राजमोहन ड्राइविंग सीट पर आ गए हैं। लोकसभा चुनाव के लिए संघ की जो तैयारियां हैं उसमें वे अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। वर्तमान प्रांत प्रचारक बलिराम पटेल और प्रांत के संघ चालक विनित नवाथे के साथ मिलकर राजमोहन आने वाले समय की अपनी भूमिका को समझ तो रहे ही हैं, साथ ही असरकारक क्रियान्वयन की दिशा में भी बहुत ज्यादा सक्रिय हैं।
दिल्ली ने चमकाया हाथ नहीं आ रहे विधायकों को
मध्यप्रदेश में दिल्ली से तैनात किए गए भाजपा के दो दिग्गज नेताओं से मिले फीडबैक के बाद अमित शाह भोपाल आकर विधायकों को लेकर साफ और सख्त हिदायत दे गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष दोनों से कहा कि अपने विधायकों को यह स्पष्ट कर दो कि उनका राजनीतिक भविष्य लोकसभा चुनाव के नतीजों पर ही निर्भर करेगा। चुनाव के बाद एक-एक विधानसभा के नतीजों की समीक्षा की जाएगी और जिन विधायकों का परफार्मेंस अप-टु द मार्क नहीं रहेगा उन्हें अगले चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। शाह की इस हिदायत को अगले दिन अल सुबह ही विधायकों तक पहुंचा दिया गया। इसका नतीजा भी देखने को मिलने लगा है और कम से कम इंदौर में तो अभी तक चुनाव से दूरी बनाकर चल रहे विधायक एकाएक सक्रिय नजर आने लगे हैं।
पुराना हिसाब बराबर करने का अच्छा मौका है इंदौर का ड्रेनेज घोटाला
नगर निगम में 28 करोड़ रुपए का घोटाला पकड़ में आने के बाद चर्चा यह चल पड़ी कि मामला तत्कालीन आयुक्त हर्षिका सिंह ने पकड़ा था और उन्हीं ने सबसे पहले जांच के आदेश दिए थे। उनके जाने के बाद आयुक्त की भूमिका में शिवम वर्मा आ गए और उन्हीं ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस में प्रकरण भी दर्ज करवाया। महापौर पुष्यमित्र भार्गव को तो जैसे मौके का ही इंतजार था, उन्होंने सवाल उठाया है कि जब पूर्व आयुक्त हर्षिका सिंह ने इतनी बड़ी गड़बड़ी पकड़ ली थी तो फिर तब एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करवाई गई। मामला इतना गंभीर था तो जांच जल्दी क्यों नहीं करवाई गई। इस मामले में निगम में अपर आयुक्त रहे संदीप सोनी और लंबे समय से जल कार्य विभाग (ड्रेनेज) में पदस्थ सुनील गुप्ता की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
चलते-चलते
शंकर लालवानी चुनाव में अंटी ढीली नहीं कर रहे हैं। यह उस स्थिति में हो रहा है जब देश और विदेश के कई बड़े सिंधी कारोबारी उनकी खुलकर मदद करने को तैयार बैठे हैं। दबे स्वर में तो यह भी कहा जा रहा है कि कुछ की मदद तो इंदौर पहुंच भी चुकी है। हकीकत क्या है, यह तो लालवानी और उनके बेटे ही बता सकते हैं। यानि यह माना जाए कि भनक गौरव रणदिवे को भी नहीं लग पा रही है।
पुछल्ला
पुराने संभागायुक्त मालसिंह ने अभी तक संभागायुक्त वाला बंगला खाली नहीं किया है। शायद उम्मीद से हैं कि इंदौर में ही कहीं और पोस्टिंग मिल जाए। नए संभागायुक्त दीपक सिंह भले आदमी हैं और अपने रानी बाग स्थित निवास से ही काम चला रहे हैं। यह सब उस स्थिति में हो रहा है, जब पुराने संभागायुक्त का भी इंदौर में ही निजी निवास है।
बात मीडिया की
कभी-कभी ज्यादा सीनियर रिपोर्टर होना भी परेशानी का कारण बन जाता है। दैनिक भास्कर के इंदौर संस्करण में इन दिनों सीनियर रिपोर्टर की भरमार है और कई रिपोर्टर्स के पास बहुत कम काम है। जिनके पास ज्यादा काम है, वह शादी-ब्याह या बीमारी की स्थिति में भी इसलिए छुट्टी नहीं लेते कि कहीं उनकी एक-दो बीट किसी कम काम वाले साथी के खाते में न चली जाए।
कास्ट कटिंग की गाज अगले महीने दैनिक भास्कर इंदौर की संपादकीय टीम के चार लोगों पर गिर सकती है। इनमें डेस्क, रिपोर्टिंग तथा पेज डिजाइनर शामिल हैं।
नईदुनिया के सीईओ संजय शुक्ला, बीसीएम पैराडाइज बिल्डिंग में रहते हैं। यहां की सोसायटी ने उन्हें अपनी प्रबंधकारिणी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। अपने अखबारी रुतबे का उपयोग कर शुक्ला ने वापसी के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद बात बन नहीं पाई।