राजेश बादल

पाकिस्तान अब चीन की राह पर चल पड़ा है।हम मान लें कि भारत के साथ उसके संबंध अब सुधरने वाले नहीं हैं। बाक़ी दो पड़ोसियों अफ़ग़ानिस्तान और ईरान भी इन दिनों उससे आगबबूला हैं। ख़ौफ़ का कारोबार करने वाले लश्करों ने अपनी पनाहग़ाह पाकिस्तान को तो पहले से ही निशाने पर ले लिया था।अब उनसे ईरान निपट रहा है। ताज़ा वारदात ने ईरान को इस बात के लिए मजबूर कर दिया है कि वह पाकिस्तान को अब तक की सबसे सख़्त धमकी दे।उसने पाकिस्तान से दो टूक कहा है कि उसका अपनी सीमाओं पर नियंत्रण नहीं रह गया है। वह अपराधियों को संरक्षण देने वाला मुज़रिम मुल्क़ है। वहाँ दहशतगर्द बड़े सुरक्षित रहते हैं। उन पर काबू पाने में पाकिस्तान सरकार नाकाम रही है। अब ईरान इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।

ताज़ा वारदात ईरान के सिस्तान – बलूचिस्तान में हुई है। यह प्रान्त पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले बलूचिस्तान से सटा हुआ है।पाक के क़ब्ज़े की बात मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि यह प्रदेश हिंदुस्तान से अलग होते समय अँगरेज़ों ने पाकिस्तान को नहीं सौंपा था। बलूचिस्तान एक स्वतंत्र देश था और अँगरेज़ जब 1947 में अपने देश वापस गए तो बलूचिस्तान को आज़ाद कर गए थे। बाद में षड्यंत्रपूर्वक पाकिस्तान ने इस स्वतंत्र देश पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसके बाद से ही वहाँ की अवाम पाकिस्तान से मुक्त होने के लिए छटपटा रही है। अनेक संगठन अपनी आज़ादी के लिए दशकों से वहाँ काम कर रहे हैं। इन संगठनों से लड़ने के लिए पाकिस्तान के अपने पैदा किए हुए भी कुछ गिरोह हैं ,जो ईरान भी जाकर मार करते हैं। इनमें से एक जैश अल अदल है। यह संगठन दक्षिण पूर्व ईरान में सक्रिय है। ईरान ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया है ,लेकिन पाकिस्तान उसके विरुद्ध कार्रवाई से बचता रहा है। इस उग्रवादी गैंग ने हाल ही में रास्क के पुलिस मुख्यालय पर हमला किया था। इसमें ईरान के ग्यारह सुरक्षा अधिकारियों की मौत हो गई थी।अरसे बाद ईरान में इतना बड़ा आतंकवादी हमला हुआ है। इसके बाद ईरान ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया और उसकी भर्त्सना की।ईरान शिया बाहुल्य मुल्क़ है और पाकिस्तान में सुन्नियों का बोलबाला है। जैश अल अदल भी सुन्नी गिरोह है।उसने ईरान में बीते दिनों ईरानी सुरक्षा दलों पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं। यह तथ्य छिपा नहीं है कि पाकिस्तान में शियाओं की दुर्गति है।पाकिस्तान ने सुन्नी आतंकवादी गिरोहों को रोकने के लिए आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

ईरान के गृह मंत्री अहमद वाहिदी ने रास्क से जारी बयान में पाकिस्तान को खुली चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि ईरान चाहेगा कि पाकिस्तान अपनी सीमा पर ऐसे उग्रवादियों का सफाया करे और उन्हें ईरान में नहीं घुसने दे।उन्होंने जोड़ा कि दुश्मन ने भारी हमले की तैयारी की थी। ईरानी गार्ड्स ने उसे विफल कर दिया। उन्होंने तो यह भी कहा कि शिया होने के कारण ही पाकिस्तान ऐसे संगठनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई से बचता है।यही कारण है कि तीन चार महीने पहले इस संगठन ने चार पुलिस अधिकारियों कुमार डाला था । उससे पहले मुठभेड़ में भी ईरान के छह वरिष्ठ पुलिस अफसर मारे गए थे।इसके बाद दोनों देशों के बीच वार्ताओं के दौर चले। मगर उनका नतीज़ा नहीं निकला। पाकिस्तान के रक्षा सचिव हमूद उज़ ज़मां ख़ान ने ईरान के उप रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल मेहदी फ़राही से मिलकर सफाई दी। पर,ईरान का ग़ुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है।

इस भीषण हमले के बाद पाकिस्तान बचाव की मुद्रा में है।उसके विदेश विभाग ने कहा है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करने की ज़रुरत है।लेकिन उसके पास इस आरोप का उत्तर नहीं है कि पाकिस्तान सुन्नी गिरोहों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं करता। इसके पीछे एक ठोस कारण और है। पाकिस्तानी फौज ही इन गिरोहों को संरक्षण देती आई है। फौज के आला अधिकारी सेना की नौकरी करने के साथ साथ कई धंधे भी करते हैं। इनमें अफ़ीम और हेरोइन की तस्करी ,अवैध हथियारों का निर्माण और उनकी उग्रवादी संगठनों को तस्करी जैसे काली कमाई के स्रोत हैं। दशकों से यह सिलसिला चल रहा है। इसलिए पाकिस्तान की ओर से कार्रवाई तो होती है ,लेकिन वह सिर्फ़ दिखावे के लिए होती है। उसका कभी परिणाम देखने को नहीं मिला।

ग़ौरतलब है कि अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पर क़ाबिज़ तालिबान सरकार के साथ भी पाकिस्तान के रिश्ते बिगड़े हुए हैं। अफ़ग़ानिस्तान अपनी सीमा पर अशांति और तनाव के लिए भी लगातार पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराता रहा है। पाकिस्तान के अनेक नागरिक और सैनिक अफ़ग़ानी सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए हैं। इसके पीछे भी अफ़ीम और उसके सह उत्पादों की तस्करी है। पाक सेना इसमें शामिल है क्यों कि अफ़ग़ानिस्तान अफ़ीम के अवैध उत्पादन के लिए कुख्यात है। तीन महीने पहले अफ़ग़ानिस्तानी सुरक्षा बलों और पाकिस्तानी रेंजरों के बीच भीषण गोलीबारी हुई थी। इसके बाद तोरखम सीमा को एकदम सील कर दिया गया है।भारत के साथ पाकिस्तान के बिगड़े संबंध तो जगजाहिर हैं।आम तौर पर कहीं भी कार्यवाहक प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति कोई नीति विषयक बयान या निर्णय करता क्योंकि वह निर्वाचित नहीं होता।पाकिस्तानी संसद के चुनाव होने वाले हैं। इसलिए वहाँ के संविधान के मुताबिक़ एक काम चलाऊ प्रधानमंत्री चुनाव तक मुल्क़ का बोझ खींचता है। हाल ही में वहाँ के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक़ काकर ने अपने क़ब्ज़े वाले कश्मीर की विधानसभा में कहा कि भारत एक पाखंडी देश है। उसे संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहना सबसे बड़ा झूठ है। साफ़ है कि पाकिस्तान अपने सारे पड़ोसियों को नाराज़ कर चुका है।हम चीन को उसका पड़ोसी इसलिए नहीं मान सकते क्योंकि उसकी जो सीमा चीन से लगती है ,वह भारतीय क्षेत्र है और पाकिस्तान उस पर जबरन क़ब्ज़ा करके बैठा है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER