TIO, नई दिल्ली
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंध बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। भारत की ओर से संभावित सैन्य कार्रवाई से पाकिस्तान में हाई अलर्ट है। इस बीच पता चला है कि भारत के साथ युद्ध छिड़ने की स्थिति में पाकिस्तान सिर्फ चार दिन ही मैदान में टिक पाएगा, जिसकी एक बड़ी वजह यूक्रेन है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने अपने रणनीतिक भंडार से बड़े पैमाने पर गोला-बारूद यूक्रेन को बेच दिए हैं। इससे पाकिस्तानी सेना के गोला-बारूद में काफी कमी आई है। नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के पास सिर्फ चार दिन तक जंग लड़ने के योग्य ही हथियार बचे हैं। इनमें 155 मिमी के गोले या इट-21 सिस्टम के लिए 122 मिमी के रॉकेट भी शामिल हैं, जिन्हें यूक्रेन को बेच दिया गया है।
डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तान की यह स्थिति यूक्रेन को भारी मात्रा में हथियार बेचने और पाकिस्तान आॅर्डिनेंस फ्रैक्टरी (की उत्पादन क्षमता कमजोर होने की वजह से बनी है। पाकिस्तान की सैन्य रणनीति मुख्य रूप से तोपों और बख्तरबंद गाड़ियों पर टिकी हुई है। इस स्थिति की गंभीरता को देखते हुए दो मई को हुए विशेष कोर कमांडर्स सम्मेलन में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया था।
बता दें कि पाकिस्तान की सैन्य रणनीति आर्टिलरी और बख्तरबंद इकाइयों पर बहुत अधिक निर्भर है। गोला-बारूद की कमी से भारत जैसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ उसकी रक्षा करने की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हुई है।
खुफिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए सूत्रों ने दावा किया है कि पाकिस्तान ने संभावित भारतीय हमले की आशंका के चलते भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट गोला-बारूद के डिपो का निर्माण किया है। पूर्व पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने सेना के समक्ष चुनौतियों को स्वीकार करते हुए एक बार कहा था कि लंबे समय तक संघर्ष की स्थिति में भारत से निपटने के लिए पाकिस्तान के पास गोला-बारूद और आर्थिक ताकत की कमी है। पाकिस्तान के सामने सबड़े बड़ी चुनौती उसकी डांवाडोल अर्थव्यवस्था है। वहां महंगाई चरम पर है, जीडीपी के मुकाबले कर्ज का पहाड़ है और विदेशी मुद्रा भंडार भी निचले स्तर पर है। हालात ये हैं कि पाकिस्तानी सेना को ईंधन की कमी के कारण राशन में कटौती करनी पड़ रही है और सैन्य अभ्यास स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 16 लोग घायल हुए थे। इस हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच बहुत तनाव है। भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को लेकर प्रतिबद्ध है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंक के खिलाफ बिगुल बजा चुके हैं। वहीं, पाकिस्तान हाई अलर्ट मोड पर है।
पहलगाम अटैक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (उउर) ने सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया था। यह पहली बार है जब भारत ने इतनी बड़ी और सख्त कार्रवाई की गई। भारत और पाकिस्तान के बीच तीन बड़ी जंग हो चुकी है लेकिन पहले कभी भी इस संधि को स्थगित नहीं किया गया।
कैबिनेट कमेटी की बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया था कि 1960 की सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दी गई। यह रोक तब तक रहेगी, जब तक पाकिस्तान क्रॉस बॉर्डर टेरेरिज्म को अपना समर्थन देना बंद नहीं करता।