TIO, नई दिल्ली

महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावी नतीजों को लेकर विपक्ष ईवीएम और चुनाव आयोग पर लगातार सवाल उठा रहा है। हालांकि आयोग इस तरह के आरोपों को खारिज कर चुका है और अब चुनाव आयोग ने इस विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद साबित भी कर दिया है। आयोग ने रैंडम तरीके से ईवीएम का वीवीपैट पर्ची का मिलान किया जो 100 फीसदी सही निकला, यानि कहीं भी कोई भी अंतर देखने को नहीं मिला। महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी किरण कुलकर्णी ने कहा है कि पिछले महीने हुए राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान कुल 1,440 वोटर वेरिफिएबल पेपर आॅडिट ट्रेल्स (वीवीपैट) का सत्यापन किया गया और उनके परिणाम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की गिनती से पूरी तरह मेल खाते हैं।

विपक्ष के दावों की निकली हवा
पीटीआई को दिए साक्षात्कार में किरण कुलकर्णी ने कहा कि ईवीएम की शुरूआत ने ऐसे दावों को अप्रासंगिक बना दिया है क्योंकि मतदान केंद्रों पर किसी भी व्यवधान को तुरंत हल कर दिया गया है। कुलकर्णी ने कहा, “इन विधानसभा चुनावों में हमने 288 निर्वाचन क्षेत्रों में 1,440 वीवीपैट का सत्यापन किया जो प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में वीवीपैट का 5 प्रतिशत है। सभी वीवीपैट की काउंटिंग ईवीएम के परिणामों से पूरी तरह मेल खाती हैं, जिससे सिस्टम की विश्वसनीयता को बल मिलता है।”

ईवीएम की बैटरी को लेकर विपक्ष के आरोपों पर दिया ये जवाब
कुछ ईवीएम में 99 प्रतिशत बैटरी चार्ज दिखाने और इसे संभावित छेड़छाड़ से जोड़ने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “पावर पैक के बारे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह मोबाइल बैटरी की तरह नहीं है। इसकी लाइप पांच वर्ष है और इसकी क्षमता बहुत अधिक है।” उन्होंने कहा, “निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (ईवीएम बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में से एक) जैसी कंपनियों द्वारा दी गई जानकारी के माध्यम से इन तकनीकी विवरणों को समझाया है। आप ईसीआई की वेबसाइट पर पावर पैक के बारे में उत्तर पा सकते हैं, खासकर अक्सर पूछे जाने वाले सवालों को लेकर।” आईएएस अधिकारी ने कहा कि पावर पैक का उपयोग वोल्टेज पर निर्भर नहीं करता है और कोई भी इस जानकारी को तकनीकी रूप से सत्यापित कर सकता है।

रैंडम तरीके से ऐसे होता है मिलान
कुलकर्णी ने बताया, “चुनाव आयोग जनता और राजनीतिक दलों के साथ विश्वास बनाने के लिए वीवीपैट सत्यापन भी करता है। यह प्रक्रिया मतगणना के दौरान होती है। मतगणना के बाद, ईवीएम से सभी वोटों, कई मतदान केंद्रों से एक निश्चित संख्या में वीवीपैट की जांच की जाती है। इसके लिए चुनाव आयोग ने एक प्रक्रिया तय की है।” उन्होंने पूरी मतदान प्रक्रिया में विश्वसनीयता की पुष्टि करने की कोशिश की और कहा, “वे प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के पांच मतदान केंद्रों से पांच वीवीपैट को काउंटिंग एरिया में ले जाते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान मतगणना एजेंट, उम्मीदवार और अधिकारी जैसे लोग मौजूद रहते हैं। वीवीपैट पर्चियों को उम्मीदवार के अनुसार छांटा जाता है और प्रत्येक उम्मीदवार को मिले वोटों की गिनती की जाती है। फिर इन गणनाओं की तुलना ईवीएम में दर्ज वोटों से की जाती है।

इन पांच वीवीपैट का चयन एक स्पष्ट प्रक्रिया का पालन करता है और यह चुनाव आयोग के एक पर्यवेक्षक, मतगणना एजेंट, उम्मीदवार और रिटर्निंग अधिकारी की मौजूदगी में होता है। उन्होंने कहा कि वीवीपैट का चुनाव लॉटरी के जरिए किया जाता है, यानि रैंडम होता है और एक विधानसभा क्षेत्र के सभी मतदान केंद्रों को क्रमांकित किया जाता है, जो आमतौर पर 1 से 250 या 300 तक होता है। कुलकर्णी ने जोर देकर कहा, “मैं ईवीएम की विश्वसनीयता पर जोर देना चाहता हूं।”

क्या होता है वीवीपैट
वीवीपैट एक प्रिंटर पोर्ट के माध्यम से ईवीएम से जुड़ी होती है।जैसे ही वोटर वोट डालता है, वैसे ही एक पर्ची निकलती है। इस पर्ची में उस कैंडिडेट का नाम और चुनाव चिन्ह होता है, जिसे उसने वोट दिया होता है।श्श्ढअळ की स्क्रीन पर ये पर्ची 7 सेकंड तक दिखाई देती है। ऐसा इसलिए ताकि वोटर देख सके कि उसका वोट सही उम्मीदवार को गया है। 7 सेकंड बाद ये पर्ची श्श्ढअळ के ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है।

‘स्टैंडअलोन डिवाइस है ईवीएम’
किरण कुलकर्णी ने ईवीएम की विश्वसनीयता की पुष्टि करते हुए कहा कि वे स्टैंडअलोन डिवाइस हैं जिनमें हैकिंग की कोई संभावना नहीं है। यह दावा कुछ विपक्षी दलों द्वारा इन मशीनों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने और मतपत्रों की वापसी की मांग की पृष्ठभूमि में आया है। कुलकर्णी ने बताया कि विधानसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन से संबंधित 659 मामले दर्ज किए गए और उनकी जांच की जा रही है। ईवीएम के बारे में विपक्षी दलों द्वारा लगाए जा रहे छेड़छाड़ के आरोपों और उनकी विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर सवाल उठाने के बारे में पूछे जाने पर, कुलकर्णी ने उनकी चिंताओं को दूर करने की कोशिश की और कहा कि ये उपकरण छेड़छाड़-रोधी हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, “ये मशीनें स्टैंडअलोन डिवाइस हैं, जिनमें कोई बाहरी कनेक्टिविटी नहीं है, जिससे हैकिंग असंभव है। ईवीएम में चिप एक बार प्रोग्राम करने योग्य है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। सख्त सुरक्षा और प्रशासनिक प्रोटोकॉल किसी भी तरह की छेड़छाड़ को रोकते हैं।”

पिछले महीने मतदान के दौरान मध्य महाराष्ट्र के बीड जिले में प्रसारित कुछ वीडियो के संदर्भ में बूथ कैप्चरिंग की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, अतिरिक्त सीईओ ने कहा कि महाराष्ट्र में ऐसी घटनाओं का कोई इतिहास नहीं है। उन्होंने कहा, “ये वीडियो या तो मौजूदा चुनावों से संबंधित नहीं थे या राज्य से नहीं थे। बीड के 6 मतदान केंद्रों पर व्यवधानों को तुरंत दूर किया गया और एक घंटे के भीतर मतदान फिर से शुरू हो गया। हमारी टीम ने तुरंत कार्रवाई की और चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास करने वाले व्यक्तियों को पकड़ लिया।”

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER