TIO, नई दिल्ली।
हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद बाजार नियामक सेबी चीफ माधरी पुरी बुच चर्चा के केंद्र में बनी हुई हैं। इनपर एक के बाद एक आरोप लग रहे हैं। हालांकि, अभी तक लगे सभी आरोपों को सेबगी प्रमुख ने निराधार बताया है और सफाई पेश की है। पिछले दिनों कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी सेबी चेयरपर्सन पर आरोप लगाए थे। अब सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि इन खुलासों पर संसदीय एक्शन होने जा रहा है। सीनियर कांग्रेस नेता और लोकसभा सदस्य केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति ‘संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित नियामक निकायों’ जैसे कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (रएइक) के प्रदर्शन की समीक्षा करेगी। वहीं, सेबी से जुड़े मामले के लिए इसके चेयरपर्सन को समन किया जाएगा।
सेबी चीफ पर हिंडनबर्ग ने क्या लगाया था आरोप
हिंडनबर्ग का आरोप था कि अडानी ग्रुप के विदेशी फंड में सेबी चीफ माधवी पुरी बुच और उनके पति की हिस्सेदारी है। रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और सेबी के बीच मिलीभगत का भी आरोप लगाया था। हालांकि, सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने आरोपों को खारिज कर चुके हैं। बुच दंपति का कहना है कि कुछ भी नहीं छिपाया गया। आरोपों में कोई सच्चाई नहीं। वहीं, अडानी ग्रुप ने आरोपों को आधारहीन बताया और इसे मुनाफा कमाने और बदनाम करने की साजिश करार दिया था। इसी आरोप के बाद सेबी चीफ पर एक के बाद एक आरोपों का सिलसिला शुरू हुआ।
कंस्टेंसी फर्म से रेवेन्यू कमाने का आरोप
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, माधवी बुच ने अपने सात साल के कार्यकाल के दौरान एक कंसल्टेंसी फर्म से रेवेन्यू कमाना जारी रखा, जो संभावित रूप से नियामक अधिकारियों के लिए नियमों का उल्लंघन था। रॉयटर्स ने सार्वजनिक दस्तावेजों के रिव्यू के बाद ये रिपोर्ट जारी की थी। कुछ इसी से मिलता-जुलता आरोप हिंडनबर्ग ने भी लगाया था, जिसके बाद बुच ने कहा था कि कल्सटेंसी फर्म की जानकारी सेबी को दी गई थी। 2019 में उनके पति यूनिलीवर से रिटायर होने के बाद इस कंसल्टेंसी बिजनेस को संभाल रहे थे।
सेबी चीफ रहते हुए आईसीआईसीआई बैंक से सैलरी लेने का आरोप
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बुच ने 2017 से 2024 के बीच आईसीआईसीआई बैंक, आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल, ईएसओपी से 16.80 करोड़ रुपये हासिल किए थे। कांग्रेस का दावा था कि बुच ने सेबी चीफ रहते इतनी सैलरी नहीं पाई, जितनी कि उन्हें प्राइवेट बैंक से मिल रहे थे। हालांकि बैंक ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि रिटायरमेंट के बाद उन्हें सैलरी नहीं दी जा रही थी, बल्कि रिटायरमेंट बेनिफिट दिए जा रहे थे।
कर्मचारियों के लिए टॉक्सिक माहौल
वित्त मंत्रालय को सेबी के 500 कर्मचारियों ने पत्र लिखा था कि माधबी पुरी बुच मीटिंग्स में चिल्लाती है और डांटती है। सेबी प्रमुख पब्लिकली बेइज्जती भी करती हैं। उनका आरोप था कि पिछले दो-तीन साल से सेबी में टॉक्सिक माहौल है। वर्क कल्चर खराब हो चुका है। कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को यह लेटर 5 पन्नों में दिया था। वहीं बुधवार को सेबी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई, जिसमें कर्मचारियों को ‘बाहरी तत्वों द्वारा गुमराह’ बताया गया, जिसे लेकर कर्मचारियों ने कर्मचारियों ने मुंबई में प्रदर्शन किया और माधवी पुरी बुच से इस्तीफे की मांग की है। इन सभी आरोपों के बाद सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच चौतरफा घिरती हुई नजर आ रही हैं।