भोपाल। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की । प्रचंड जीत के बाद भाजपा तीनों राज्यों में सरकार गठित करने की तैयारियों को तेज कर दिया है। इस बीच तीनों राज्यों से जीते हुए सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को इस्तीफा सौंप दिया है। मप्र से इस्तीफा देने वाले सांसदों में से नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, रीति पाठक, राव उदय प्रताप सिंह और राकेश सिंह का नाम शामिल है। इस्तीफा देने वाले सांसदों ने पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की। बताया तो यहां तक जा रहा है कि तोमर और पटेल के साथ बैठक भी की है। जिसके बाद से यह चर्चा जोरों पर है कि क्या तोमर या पटेल में से कोई एक नेता मप्र का मुख्यमंत्री बन सकता है।

मध्य प्रदेश की नरसिंहपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद मीडिया के सामने बड़ा बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी का ह्दय से धन्यवाद करता हूं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी से मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आशीर्वाद लिया। इसके बाद लोकसभा से त्यागपत्र अध्यक्ष को दिया है। उन्होंने कहा कि बहुत छोटी उम्र में संसद में आया था। यहां का तीन दशक का अनुभव है, जो जीवन का बहुत बड़ा है। यह अनुभव आने वाली जिंदगी में मुझे काम आएगा ऐसा मैं विश्वास करता हूं। उन्होंने प्रधानमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्रति आभार व्यक्त किया। पटेल ने कहा कि कुछ देर में वह मंत्री पद से भी इस्तीफा देंगे।

शीर्ष नेतृत्व ने 7 सांसदों को उतारा था मैदान में
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने सात सांसदों को उम्मीदवार बनाया था। केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते को मंडला की निवास सीट पर पराजय का सामना करना पड़ा। इसी तरह सतना में सांसद गणेश सिंह की भी हार हुई। यह दोनों ही सीटें 2018 में कांग्रेस के पास थी। पार्टी ने प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर सीट पर, नरेंद्र सिंह तोमर को मुरैना की दिमनी सीट पर, रीति पाठक को सीधी सीट पर, राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम सीट पर और राव उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा विधानसभा सीट पर उम्मीदवार बनाया गया था। गणेश सिंह और कुलस्ते को छोड़कर शेष पांचों सांसद चुनाव जीत चुके हैं।

इस नियम के चलते देना पड़ा इस्तीफा
संविधान के अनुच्छेद 101 (2) में प्रावधान है कि विधायक बनने के नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर सांसद को इस्तीफा देना होगा। इसी तरह यदि कोई विधायक लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य बनता है तो उसे दस दिन में एक सदन से इस्तीफा देना होगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो उसकी सदस्यता खुद-ब-खुद खत्म हो जाती है। इस नियम का पालन करने के लिए बुधवार को नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, उदय प्रताप सिंह, रीति पाठक और राकेश सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वहीं छत्तीसगढ में अरुण साव, गोमती साय इस्तीफा दिया है। वहीं राजस्थान के सांसद दीया कुमारी, राज्यवर्धन राठौड़, और किरोड़ी लाल मीणा ने भी इस्तीफा दे दिया है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER