TIO, पुणे।
पुणे की एक अदालत ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के खिलाफ गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया है, क्योंकि जारांगे 2013 के धोखाधड़ी के एक मामले में अदालत में पेश होने में असफल रहे।
बता दें कि जरांगे और दो अन्य के खिलाफ 2013 में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले में अदालत में पेश न होने पर जरांगे के खिलाफ पहले भी एनबीडब्ल्यू जारी किया जा चुका है। अपने खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद जारांगे 31 मई 2024 को अदालत में पेश हुए थे, जिसके बाद अदालत ने उनके खिलाफ जारी एनबीडब्ल्यू रद्द कर दिया गया था और अदालत ने उनके खिलाफ 500 रुपये का जुमार्ना लगाया था।
आज इस मामले में दोबारा सुनवाई थी, लेकिन जरांगे ने 20 जुलाई से जालना जिले के अपने गांव में आरक्षण की मांग को लेकर एक नई अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की है, जिसके चलते वह अदालत में पेश नहीं हो सके। इस पर अदालत ने दोबारा उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।
जरांगे के वकील हर्षद निंबालकर ने कहा, ‘मामले में आज यहां न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सुनवाई होनी थी, लेकिन जरांगे इस समय भूख हड़ताल पर हैं, इसलिए वह उपस्थित नहीं हो सके।’ निंबालकर ने कहा, हम जरांगे के अदालत में पेश कर एनबीडब्ल्यू रद्द कराएंगे।
बता दें कि जरांगे और सह-आरोपी ने 2012 में शिकायतकर्ता से संपर्क किया था, जो जालना जिले में ‘शंभुराजे’ के छह शो के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज पर नाटक का मंचन करता है और उसे 30 लाख रुपये की पेशकश की थी। जबकि 16 लाख रुपये का भुगतान किया गया था, शेष पैसे पर कुछ विवाद था, जिसके कारण शिकायत हुई। इसके बाद कोर्ट ने पुलिस को मामला दर्ज करने का आदेश दिया।
वकील निंबालकर ने कहा, ‘जरांगे ने 2013 में मामले में अग्रिम (गिरफ्तारी से पहले) जमानत हासिल कर ली थी। पुलिस ने आरोप पत्र दायर किया, लेकिन जारांगे को कोई समन जारी नहीं किया गया। अदालत ने जनवरी 2024 में मामले का संज्ञान लिया और उन्हें दो समन जारी किए।’