राघवेंद्र सिंह

मध्य प्रदेश की डॉ मोहन यादव सरकार पर प्रतिपक्ष के साथ भाजपा और संघ परिवार भी बारीक नजर है। इसलिए सरकार किन से सलाह ले रही है यह भी बहुत महत्वपूर्ण है। महाभारत में दुर्योधन के सलाहकार शकुनि थे और अर्जुन के सलाहकार थे कृष्ण। इसलिए बहुत सतर्क रहकर काम करने की जरूरत है। आए दिन चार बार के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान से तुलना हो रही है। ऐसा होना चाहिए यह स्वभाविक भी है। लेकिन कम से कम से छह माह बीतने के बाद। तुलना और छिद्रानुवेषण करना आसान है। लेकिन डॉ मोहन यादव के लिए मुख्यमंत्री की पदवी तक लोगों के लिए आसान हो मगर उनके लिए सब कुछ सहज नही है। सीएम बनने के बाद वे जाहिर तौर पर सख्त शासक बनना चाहते हैं। मौजूदा सियासत और समाज को भी उनसे यही अपेक्षा है। कलेक्टर-एसपी से लेकर एसडीएम तहसीलदार को हटाने और सस्पेंड करने की कार्यशैली तो यही संदेश देती है। सत्ता के महाभारत में नौकरशाही के मामले में शिशुपाल की भांति सौ गलतियां माफ करने के मूड में नही है। गृह विभाग की कमान खुद सीएम ने अपने हाथ मे ले रखी है। पुलिस की वर्किंग उत्तरप्रदेश की तरह होती दिखेगी लेकिन राजस्व महकमे में बड़े सुधार के लिए गुजरात के राजस्व विभाग की कॉपी करनी पड़ सकती है। सरकारी और कृषि भूमि सीमांकन सिस्टम की हालत खराब। इस कारण गांव व शहरों में झगड़े बढ़ेंगे।इस मुद्दे पर यह कहा जाए कि प्रदेश बारूद के ढेर पर बैठा है तो अतिश्योक्ति नही होगी। पटवारियों के हाथ के नक्शे-अक्स बंद है और डिजिटल सिस्टम सिर्फ अक्स की फोटोकॉपी पर चल रहा है।

सूबे के गांव देहात से लेकर दिल्ली तक लंबे समय से प्रशासन में कठोरता की दरकार रही है। शासनतंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामलों का तो यह हाल रहा है कि कांग्रेस कर्नाटक की भांति मध्य प्रदेश में भी भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बनाना चाहती थी। डॉ मोहन यादव के सामने चुस्त प्रशासन और भ्रष्टाचार पर कड़े फैसले करना चुनौती भरा काम है। इन्हीं दो मुद्दों पर मुख्यमंत्री और उनकी सरकार का रिपोर्ट कार्ड बनेगा। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व और मोदी सरकार मध्य प्रदेश भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बड़ी कार्रवाई की अपेक्षा रखेगी। राज्य की तहसील और कलेक्ट्रेट में व्याप्त भ्रष्टाचार ने सरकार की छवि देश भर में खराब कर रखी है। इसमे खसरे खतौनी और अक्स के रिकार्ड में प्रदेश गड़बड़ियों के ज्वालामुखी पर बैठा है। इस मामले में देश के जिस राज्य में बेहतर सिस्टम उसके विशेषज्ञ की सहायता लेकर सिस्टम सुधार पर काम की जरूरत पड़ेगी। सीएम डॉ यादव ने शपथ के बाद कहा था कि राम मंदिर बनने के बाद रामकाज पूर्ण होने के साथ अब कृष्ण के पथ पर काम करने की जरूरत है। साम दाम दंड और भेद के साथ कृष्ण सी चतुराई और कठोरता से निर्णय की।लोकसभा चुनाव पश्चात लगता है । इसके बाद फिर सिलसिला शुरू होगा दूरबीन से प्रशंसा और आलोचना का।

लोकसभा चुनाव की तैयारियों में भाजपा आगे…
भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों से बढ़त बनाए हुए है। प्रदेश में क्लस्टर प्रभारियों की जिम्मेदारी में बदलाव कर दिए गए हैं। इसके साथ सभी 29 संसदीय सीटों के संयोजक और प्रभारी घोषित कर दिए हैं। विधानसभा चुनाव की भांति चकित करने उम्मीदवार भी दिल्ली से घोषित होने के साफ संकेत हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 फरवरी को सभा करने आ सकते हैं। भोपाल- इंदौर में संघ से जुड़े प्रत्याशियों के मैदान में आने के आसार हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस में उम्मीदवार खोजने में कठिनाई आ रही है। कांग्रेस के दिग्गज चुनाव मैदान में उतरने से इंकार कर रहे हैं।

मोहन सरकार को मिलेगा प्रशिक्षण…
डॉ मोहन यादव की सरकार में करीब 16 मंत्री ऐसे हैं जिन्हें सरकार में काम करने का अनुभव नही है। मुंबई की रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी संस्था सदन में आए नए विधायको को प्रशिक्षित किया गया। यह संस्था पूर्व में भी यह कार्य करती रही है। प्रशिक्षण का कार्य विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सहित प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री ने अनुभव साझा किए । इनमें कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल जैसे दिग्गज भी शामिल रहे।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER