TIO, भोपाल

मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार के मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा की तलाश में पुलिस और जांच एजेंसियों के हाथ खाली ही हैं। दूसरी ओर इंदौर में पार्षद के बेटे के साथ मारपीट करने के मामले में पार्षद जीतू यादव को बयान के लिए नोटिस दिया जा चुका है, लेकिन उसका भी कोई पता नहीं चल सका है। कुल मिलाकर लोकायुक्त पुलिस, ईडी और एटीएस सहित सभी एजेंसियां नाकाम रही हैं।

मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में हुए काले धन के घोटाले के मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा की तलाश तेजी से जारी है, लेकिन अब तक उसकी गिरफ्तारी में कोई सफलता नहीं मिली है। जांच में शामिल विभिन्न केंद्रीय और राज्य एजेंसियां-लोकायुक्त पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग भी अब तक खाली हाथ हैं। सौरभ शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है, जबकि दोनों केंद्रीय एजेंसियों ने समन जारी किए हैं। इसके साथ ही एजेंसियों ने उसको पकड़ने की खानापूर्ति पूरी कर दी है। सौरभ शर्मा के बारे में लोकायुक्त की तरफ से बताया गया था कि वह संभवत: दुबई में हो सकता है, लेकिन अब एजेंसियों को सौरभ शर्मा और उसकी पत्नी दिव्या शर्मा के भारत में ही छिपे होने के इनपुट मिले हैं। यह भी बताया जा रहा है कि वह अपने परिजनों से भी संपर्क में है।

काली कमाई के कुबेर की नियुक्ति पर भी सवाल
सौरभ शर्मा के पिता स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर थे, उनकी मृत्यु के बाद सौरभ ने अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। स्वास्थ्य विभाग में पद नहीं होने पर सौरभ को परिवहन विभाग में आरक्षक के पद पर 2016 में नियुक्ति मिली थी। इस बीच सौरभ शर्मा की नियुक्ति की तरफ से दिए गए शपथ पत्र को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जिसमें बताया जा रहा है कि उसमें गलत जानकारी देकर नौकरी पाई गई। सौरभ ने सिर्फ 2023 तक सात साल काम किया और अकूत संपत्ति कमाई। सौरभ परिवहन विभाग की चेकपोस्ट से होने वाली अवैध कमाई का कलेक्शन करने काम करता था।

35 दिन पहले लोकायुक्त ने मारा था छापा
सौरभ शर्मा के भोपाल स्थित अरेरा कॉलानी स्थित निवास और आॅफिस पर लोकायुक्त ने छापेमारी की थी। इस दौरान लोकायुक्त ने उसके निवास से 7.98 करोड़ रुपए की चल संपत्ति जब्त की थी। इसमें 235 किलो चांदी और 2.87 करोड़ रुपए नगद मिले थे। शर्मा ने भ्रष्ट तरीके से अर्जित आय का उपयोग अपनी मां, पत्नी, रिश्तेदारों और करीबियों के नाम पर संपत्ति बनाने में किया था। उसके करीबी चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल के नाम पर स्कूल और होटल स्थापित करना भी शामिल है। सौरभ के खिलाफ विभिन्न राज्यों में प्रॉपर्टी निवेश की जानकारी भी सामने आई है और अब इस पर भी जांच जारी है।

सोना लदी कार आईटी ने जब्त की
लोकायुक्त की कार्रवाई के बीच ही भोपाल के मेंडोरी गांव में आयकर विभाग की टीम ने सोना लदी कार जब्त की। इस कार में 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए जब्त किए गए। यह कार सौरभ के करीबी चेतन सिंह गौर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। इस कार्रवाई के सात दिन बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सौरभ और उसके करीबियों के भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर स्थित ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में ईडी ने 23 करोड़ रुपए की चल संपत्ति जब्त की। हाल ही ईडी ने भोपाल, ग्वालियर और पुणे में सौरभ शर्मा से जुड़े लोगों के ठिकानों पर कार्रवाई की। इसमें 12 लाख रुपये केस, 9.9 किलोग्राम चांदी और डिजिटल डिवाइस, प्रापर्टी के दस्तावेज डिजिटल डिवाइस में भी बरामद किए गए हैं। इसके अलावा बैंक खातों में 30 लाख रुपये जब्त किए हैं।

तीन हफ्ते बाद भी पार्षद पुलिस की गिरफ्त से बाहर
इंदौर में भाजपा पार्षद कमलेश कालरा के घर पर हुए हमले और उनके बेटे के साथ बदसलूकी करने वाला मुख्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। पुलिस ने 40 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। अभी तक 20 आरोपी जेल के भीतर पहुंच चुके हैं, लेकिन जीतू यादव का भाई और हमले का मुख्य आरोपी अभिषेक उर्फ अवि को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई। पुलिस ने अभी तक पार्षद जीतू यादव को भी आरोपी नहीं बनाया है। उसे बयान देने के लिए नोटिस जारी किया गया है, लेकिन वह भी घटना के छठे दिन फरार हो गया।

पुलिस बना सकती है जीतू को आरोपी
कालरा की शिकायत पर दर्ज प्रकरण में जीतू फिलहाल आरोपी नहीं है, लेकिन पुलिस उसे हमले के षड़यंत्रकारी के तौर पर आरोपी बना सकती है। जीतू के भाई ने ही दूसरे आरोपियों को एकत्र किया था और कालरा के घर हमला कराने पहुंचा था। घटना के समय जीतू की गाड़ी भी घटनास्थल के पास खड़ी थी। यादव को इस बात का अंदेशा है, इस कारण वह फरार हो गया।

दिल्ली तक मचा हल्ला, फिर एफआईआर
पार्षद कालरा और यादव के बीच हुए विवाद को पहले पुलिस और भाजपा संगठन हलके में ले रहा था, लेकिन जब सोशल मीडिया पर विवाद से जुड़े आपत्तिजनक फुटेज और भाजपा संगठन को लेकर की गई यादव की कॉल रिकार्डिंग वायरल हुई तो फिर संगठन की भी किरकिरी होने लगी। इस घटनाक्रम को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय से जानकारी मांगी गई तो फिर ताबड़तोड़ पांच आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। इसके बाद जीतू यादव को पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER