TIO, कोच्चि

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार ने एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति सीजा थॉमस की पेंशन रोककर उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि दो सप्ताह के भीतर उन्हें पेंशन और सभी अन्य फायदे दिए जाएं।

न्यायमूर्ति ए मोहम्मद मुस्ताक और जॉनसन जॉन की पीठ ने कहा कि सरकार ने सीजा थॉमस को परेशान करने के लिए अपने अधिकार और शक्ति का प्रयोग किया, क्योंकि उन्होंने तत्कालीन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के कहने पर कुलपति का पद संभाला था। कोर्ट ने कहा, ‘न्यायालय ऐसे प्रतिष्ठित सरकारी कर्मचारी के साथ किए गए घोर अन्याय को नजरअंदाज नहीं कर सकता। हमें उनके पेंशन संबंधी अधिकार की रक्षा करनी होगी। इसे बिना किसी कानूनी कारण के नहीं रोका जा सकता।’

पीठ ने ब्याज का फैसला प्रशासनिक न्यायाधिकरण पर छोड़ा
पीठ ने कहा कि हम सरकार को निर्देश देते हैं कि वह आज से दो सप्ताह के भीतर सीजा थॉमस को देय संपूर्ण टर्मिनल लाभ जारी करें। पीठ ने यह भी कहा कि राशि पर देय ब्याज का फैसला प्रशासनिक न्यायाधिकरण करेगा।

हाईकोर्ट ने रद्द की थी अनुशासनात्मक कार्यवाही
दरअसल, सीजा थॉमस के खिलाफ मार्च 2023 में तिरुवनंतपुरम के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की प्रिंसिपल के पद से रिटायर होने के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई थी। सरकार का मानना था कि उन्होंने कुलपति का पद ग्रहण करके सरकारी कर्मचारी आचरण नियमों का उल्लंघन किया है। हालांकि, हाईकोर्ट ने थॉमस के खिलाफ शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही को रद्द कर दिया था। अब उनके खिलाफ कोई न्यायिक कार्यवाही लंबित नहीं है। इसके बावजूद भी सरकार ने उनकी पेंशन रोक दी।

थॉमस की याचिका पर आया कोर्ट का फैसला
पीठ ने कहा कि केरल सेवा नियम राज्य सरकार को केवल तभी पेंशन रोकने की अनुमति देता है जब विभागीय कार्यवाही या न्यायिक कार्यवाही लंबित हो। पीठ ने कहा कि किसी भी लंबित विभागीय या न्यायिक कार्यवाही की अनुपस्थिति में, सरकार डॉ. सीजा थॉमस के पेंशन संबंधी लाभों को रोक नहीं सकती है। कोर्ट का यह आदेश थॉमस द्वारा दायर याचिका पर आया है, जिसमें सरकार को उनकी नियमित पेंशन, बकाया और अन्य सभी टर्मिनल लाभ वितरित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER