TIO, आगरा
जिस पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली को लागू करते वक्त कानून व्यवस्था में परिवर्तन के दावे किए गए थे। उस पुलिस कमिश्नरेट में सांसद तक सुरक्षित नहीं। सपा सांसद पर हुए हमले से कमिश्नरेट पुलिस की कार्यशैली पर ही अब सवाल खड़े हो रहे हैं। दो एफआईआर, धमकियों के आधा दर्जन वीडियो और अस्त्र-शस्त्रों का खुलेआम प्रदर्शन के बाद भी कार्रवाई शून्य है।
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन की सुरक्षा के मामले में हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी किए हैं। तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका में हाईकोर्ट से मांग की गई है कि पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिए जाएं कि दोबारा कोई घटना न हो। 26 मार्च को सांसद आवास पर हुए हमले में पुलिस भी पिटी थी। पुलिस की तरफ से एक मुकदमा भी लिखा गया। लेकिन, आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की गई।
यह उठ रहे सवाल
– 26 मार्च को सांसद आवास पर हमले से पहले आरोपियों ने वीडियो वायरल किए। पुलिस ने क्या कार्रवाई की।
– 26 मार्च को हमले के दिन एत्मादपुर से बुलडोजर लेकर आरोपी संजय प्लेस आ गए, पुलिस क्यों नहीं रोक पाई।
– 12 अप्रैल को जिन शर्तों के तहत सम्मेलन की अनुमति दी गई, उनके उल्लंघन पर पुलिस ने क्या कार्रवाई की।
– 27 अप्रैल को अलीगढ़ व बुलंदशहर सीमा पर सांसद पर दो हमले हुए। आरोपियों की गिरफ्तार क्यों नहीं की गई।