TIO, टोक्यो।

जापान द्वारा एक बड़ा फैसला लिया गया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब जापान ने अपने शांतिवादी सिद्धांतों को छोड़कर लड़ाकू विमान बेचने का फैसला लिया है। जापान अपने लड़ाकू विमानों को ब्रिटेन और इटली के साथ अन्य देशों में विकसित कर रहा है। इस फैसले के बाद जापान संयुक्त लड़ाकू जेट परियोजना में अपनी भूमिका को सुनिश्चित करेगा।

पहली बार लिया बड़ा फैसला
जापान की कैबिनेट ने हथियार उपकरण के दिशानिदेर्शों में संशोधन का भी समर्थन किया। इससे लड़ाकू विमान समेत घातक हथियारों को अन्य देशों को बेचने की अनुमति मिल सकेगी। बता दें कि इससे पहले जापान में शांतिवादी संविधान के तहत हथियारों के निर्यात को प्रतिबंधित किया गया था। अब चीन से बढ़ते वैश्विक तनाव के बीच उसने यह कदम उठाए हैं।

नए लड़ाकू विमान तैयार कर रहा है जापान
इस समय जापान अमेरिका द्वारा डिजाइन किए गए ऋ-2 लड़ाकू विमानों और ब्रिटेन द्वारा उपयोग किए जाने वाले यूरोफाइटर टाइफून को बदलने के लिए नई तकनीकि के लड़ाकू विमानों को तैयार कर रहा है। इस काम में इटली और ब्रिटेन जापान का सहयोग कर रहे हैं। इस कार्य योजना को ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम नाम दिया गया है, जिसका मुख्यालय ब्रिटेन में है। इससे पहले जापान एफ-एक्स नाम के एक घरेलू डिजाइन पर काम कर रहा था। जापान को उम्मीद है कि उसके द्वारा तैयार किया गया नया विमान रूस और चीन के खिलाफ बढ़ते तनाव के बीच उन्नत हथियार साबित होगा।

संविधान में किया गया यह संशोधन
जापान की कैबिनेट ने हथियारों और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण दिशानिदेर्शों में भी संशोधन का समर्थन किया है। इससे घातक हथियारों को अन्य देशों को बेचने की अनुमति मिल सकेगी। जापान ने शांतिवादी संविधान के तहत लंबे समय से हथियारों के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन चीन से बढ़ते क्षेत्रीय और वैश्विक तनाव के बीच देश ने तेजी से कदम उठाए हैं। जेट विमानों को बेचने के निर्णय से जापान को पहली बार अपने द्वारा उत्पादित घातक हथियारों को अन्य देशों में निर्यात करने की अनुमति मिलेगी।

दरअसल द्वितीय विश्व युद्ध में हुई तबाही की वजह से जापान ने एक संविधान बनाया था। इस संविधान के तहत जापान ने सैन्य उपकरणों और घातक हथियारों के सभी नियार्तों पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब जब जापान ने इस संविधान में संशोधन किया तो विरोधियों ने प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा सरकार की आलोचना की है। इसके बाद सरकार ने यह आश्वासन दिया कि संशोधित दिशानिर्देश फिलहाल केवल लड़ाकू विमानों पर लागू होते हैं। संभावित खरीदार भी उन 15 देशों के होंगे जिनके साथ जापान ने रक्षा साझेदारी सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। इस बदलाव ने जापान के लिए अमेरिका द्वारा डिजाइन की गई पैट्रियट मिसाइलों को अमेरिका को बेचने का रास्ता साफ कर दिया है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER