राकेश अचल
भारत में अल्पसंख्यकों के पूजाघरों को खोदने और मुसलमानों को मुख्यधारा से अलग करने में लगी भाजपा और आरएसएस के लिए अपने ही कदम ‘ उलटे बांस बरेली के ‘ साबित हो रहे हैं. भाजपा की प्रवक्ता रही नूपुर शर्मा से लेकर दिल्ली के भाजपा नेता नवीन कुमार जिंदल तक को पैगंबर मोहम्मद के बारे में की गयी टिप्पणी के बाद उनके पदों से हटाना पड़ा .यहाँ तक की संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत को भी अपने सुर बदलने पड़े .
भाजपा नेताओं की भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की व्यग्रता पर दुनिया भर में जो प्रतिक्रियाएं हो रहीं है उससे अब भाजपा के बड़बोले नेता परेशान नजर आ रहे हैं और दुनिया को संतुष्ट करने के लिए उसे अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना पड़ रही है.अन्यथा अब तक ऐसे बड़बोले नेताओं को पार्टी खुलकर न सिर्फ संरक्षण देती थी बल्कि उनकी पीठ भी थपथपाती थी . काशी के जिस ज्ञानवापी मसाजिद को लेकर भाजपा और उसके समर्थक आक्रामक दिखाई दे रहे थे उनके तेवर भी ढीले पड़ गए हैं .
आपको याद होगा की पिछले कुछ दिनों से सत्तारूढ़ भाजपा मुस्लिम विरोधी राजनीति को लेकर कुछ ज्यादा ही उग्र हो गयी थी .उत्तर प्रदेश में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे और खुदाई के साथ वहां कथित रूप से शिवलिंग मिलने के मुद्दे को भाजपा ने जिस तरह से प्रचारित किया था उससे देश में अशांति बढ़ रही थी .देश की 18 करोड़ मुस्लिम आबादी की बेचैनी को भाजपा समझने के लिए तैयार नहीं थी .भाजपा ने इस बीच राज्यसभा चुनावों के लिए एक भी मुस्लिम को अपना प्रत्याशी न बनाकर अपना मुस्लिम विरोधी रुख और कठोर कर लिये था .नूपुर शर्मा ने इस मामले को आगे बढ़ते हुए पैगंबर मुहम्मद के बारे में एक विवादास्पद टिप्पणी कर आग में घी डालने का काम किया .
इन सब घटनाओं की बाहरी दुनिया में जिस तरह की प्रतिक्रिया हुई उसे देखकर भाजपा और भाजपा सरकार की हवा खराब हो गयी .भारत में मुस्लिम विरोधी कृत्यों को लेकर इस्लामिक देशों को तो छोड़िये महाबली अमेरिका तक ने भारत के खिलाफ प्रतिक्रिया जताई .अमेरिका को तो मान लीजिये भारत विरोध का बहाना चाहिए था किन्तु इस्लामिक देशों को तो घर बैठे भारत विरोध का अवसर मिल गया .हारकर अब सबके सब शतुरमुर्ग बने हुए हैं.सबके सिर रेत में हैं. सब आंधी के गुजरने का इन्तजार कर रहे हैं .
भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के खिलाफ की गयी कार्रवाई से भले ही भारत के मुसलमान खुश न हों लेकिन पश्चिमी एशिया का छोटा सा इस्लमिक देश क़तर खुश है और भाजपा द्वारा अपने नेताओं के खिलाफ की गयी कार्रवाई से संतुष्ट दिखाई दे रहा है. आपको याद होगा कि कतर के विदेश मंत्रालय ने सबसे पहले भारतीय राजनयिक दीपक मित्तल को तलब किया और उन्हें इस मुद्दे पर आधिकारिक ज्ञापन सौंपा। इसमें कतर ने सत्तारूढ़ बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ दिए गए बयान की निंदा की और निराशा व्यक्त की थी. ये सिलसिला और आगे बढ़ता इसके पहले ही भाजपा को समझ आ गया कि उसकी मुस्लिम विरोधी कार्रवाइयों से दुनिया में बखेड़ा खड़ा हो सकता है .
क़तर ही क्या अधिकाँश इस्लामिक देशों और भारत के मुसलमानों का मानना है कि जिस तरह के भाजपा नेताओं के बोल हैं उससे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ सकती है इसलिए सरकार को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही इस सबके लिए माफी मांगना चाहिए .मुझे लगता है कि भारत सरकार नूपुर और जिंदल की गलतियों के लिए माफी तो नहीं मांगेगी किन्तु भविष्य में ऐसे बयानों की पुनरावृत्ति न हो इसका ध्यान अवश्य रखेगी .
सत्तारूढ़ दल भाजपा की रणनीति का हिस्सा है कि पार्टी पहले अपने एजेंडे को लागू करने के पहले कुछ प्रयोग करती है और बाद में उसपर प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा करती है .ज्ञानवापी के मामले में भी अनुकूल प्रतिक्रियांएं न मिलने के बाद संघ प्रमुख को एक अलग सा बयान देना पड़ा .संघ प्रमुख के बयान का ये मतलब बिलकुल नहीं निकाला जा सकता कि उनका या संघ का या भाजपा का अल्पसंख्यकों को लेकर दृष्टिकोण अचानक बदल गया है .अल्पसंख्यकों के प्रति भाजपा के नजरिये में न तब्दीली आयी है और न भविष्य में आएगी ,क्योंकि देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने में भाजपा और संघ की सबसे बड़ी बाधा अल्पसंख्यक ही तो हैं .
आने वाले दिनों में आप देखेंगे कि भाजपा मजबूरी में ही सही किन्तु अल्पसंख्यकों के बारे में अपनी नीति में तब्दीली करेगी .संसद को अल्पसंख्यक विहीन बनाने के अपने सपने में रंग भरने में लगी भाजपा आने वाले दिनों में गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनावों में अल्पसंख्यंकों का प्रतिनिधित्व बढ़ाएगी .मान लीजिये कि यदि भाजपा इन दो राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी किसी मुस्लिम को विधायक प्रत्याशी नहीं बनाती तो साफ़ हो जायेगा कि हाथी के खाने और दिखाने के दांत सचमुच पहले जैसे ही हैं .
भाजपा के नूपुर बजे तो क़तर ही नहीं ओमान ने भी अपनी जराजगी जताई .दुनिया में 2 अरब मुसलमान हैं जो पैगंबर मोहम्मद के अनुयायी हैं वे नूपुर धुन को दुनिया के मुसलमानों का अपमान मानते हैं .स्थिति ऐसी बनी कि
विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि-‘ किसी व्यक्ति विशेष या किसी पार्टी के प्रवक्ताओं का बयान भारत सरकार के विचार को नहीं दर्शाता है। भारत सरकार संविधान के मूल्यों पर चलता है। भारत एकता में विश्वास रखता है।’
भाजपा को भविष्य में भारत को ,भारत की सरकार को ऐसी विषम परिस्थितियों से बचने के लिए अपना मुस्लिम विरोधी राग बदलना पडेगा .भारत कोई टर्की जैसा छोटा सा देश नहीं है कि फटाफट अपना नाम बदलने का फैसला कर ले. भारत दुनिया का एक विविधताओं वाला बड़ा देश है. वहां सबसे पुराना लोकतंत्र है. वहां वसुधैब कुटुंबकम का सनातन जीवन दर्शन है .इसलिए भारत में गड़े मुर्दे उखाड़कर,औरंगजेब के कुकृत्यों का बदला आज के मुसलमानों को प्रताड़ित कर नहीं लिया जा सकता .ताजमहल और कुतुबमीनार को जमींदोज नहीं किया जा सकता .यानि अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा से अलग नहीं किया जा सकता .यदि ऐसा करना मुमकिन होता तो अब तक किया जा चुका होता .