TIO, वॉशिंगटन

अमेरिकी सीनेट ने जय भट्टाचार्य को नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ हेल्थ (एनआईएच) का निदेशक बनाने को अपनी मंजूरी दे दी है। मंगलवार को इसे लेकर सीनेट में मतदान हुआ और जय भट्टाचार्य 53-47 वोटों से जीत गए। इसके साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने जो उनकी एनआईएच पद पर नियुक्ति की थी, उस पर भी अंतिम मुहर लग गई। अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री रॉबर्ट एफ केनेडी ने भी जय भट्टाचार्य के नाम को मंजूरी मिलने पर खुशी जताई।

स्वास्थ्य और रिसर्च क्षेत्र का बड़ा नाम
जय भट्टाचार्य स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हेल्थ पॉलिसी के प्रोफेसर हैं। साथ ही वे नेशनल ब्यूरो आॅफ इकोनॉमिक रिसर्च में रिसर्च एसोसिएट और स्टैनफोर्ड इंस्टीट्यूट आॅफ इकोनॉमिक पॉलिसी रिसर्च, स्टैनफोर्ड फ्रीमैन स्पोग्ली इंस्टीट्यूट और हूवर इंस्टीट्यूट में सीनियर फेलो के पद पर तैनात हैं। जय भट्टाचार्य स्टैनफोर्ड सेंटर फॉर डेमोग्राफी एंड इकोनॉमिक्स आॅफ हेल्थ एंड एजिंग का भी नेतृत्व करते हैं। जय भट्टाचार्य ग्रेट बेरिंगटन डिक्लेयरेशन के भी सह-लेखक हैं, इसमें जय भट्टाचार्य ने अक्तूबर 2020 में कोरोना महामारी के समय लगाए गए लॉकडाउन का विकल्प बताया था। जय भट्टाचार्य के अर्थव्यवस्था, कानूनी, मेडिकल, सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वास्थ्य नीतियों को लेकर जर्नल भी छप चुके हैं।

कोरोना महामारी में की थी लॉकडाउन की आलोचना
जय भट्टाचार्य का नाम उस समय चर्चा में आया था जब उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान सरकार के लॉकडाउन लगाने, मास्क पहनने और कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज लगाने का विरोध किया था। उनका कहना था कि लॉकडाउन का लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा। इस वजह से भट्टाचार्य को आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। उनके आलोचकों में डॉक्टर फ्रांसिस कॉलिंस भी शामिल हैं, डॉक्टर कॉलिंस उसी एनआईएच के पूर्व निदेशक हैं, जिसके लिए भट्टाचार्य को नियुक्त किया गया है। कोरोना से निपटने के तरीको को लेकर भट्टाचार्य जो बाइडन सरकार के मुखर आलोचक रहे। इसे लेकर उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी। भट्टाचार्य की दलील थी कि बाइडन प्रसाशन सोशल मीडिया पर कोविड-19 को लेकर रूढ़िवादी विचारों को गलत तरीके से दबा रहा है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER