TIO, संयुक्त राष्ट्र।

निरंतर मजबूत सार्वजनिक खर्च और आसान मौद्रिक नीति के कारण भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। यह 2024 की 6.9 प्रतिशत की वृद्धि से थोड़ा कम है। फिर भी यह सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था रहेगी।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते व्यापार तनाव और निरंतर अनिश्चितता के कारण विश्व अर्थव्यवस्था मंदी के रास्ते पर है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास (यूएनसीटीएडी) ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा, 2025 में वैश्विक विकास दर धीमी होकर 2.3 फीसदी रहने का अनुमान है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में फंस सकती है। दक्षिण एशिया क्षेत्र 2025 में 5.6 फीसदी की दर से बढ़ेगा, क्योंकि महंगाई में गिरावट से क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में मौद्रिक ढील का रास्ता खुल जाएगा। फिर भी, खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव सभी देशों के लिए एक जोखिम बना रहेगा।

टैरिफ से प्रभावित हो रहा वैश्विक व्यापार
यूएनसीटीएडी ने कहा, बढ़ता टैरिफ वार वैश्विक व्यापार को प्रभावित कर रहा है।?आपूर्ति शृंखला बाधित हो रही है। पूवार्नुमान कमजोर हो रहे हैं। व्यापार नीति अनिश्चित रूप से ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है। इसका परिणाम निवेश निर्णयों में देरी और नियुक्तियों में कमी के रूप में सामने आ रहे हैं। रिपोर्ट में बढ़ते खतरों का हवाला दिया गया है, जिनमें व्यापार नीति संबंधी झटके, वित्तीय अस्थिरता व अनिश्चितता में वृद्धि शामिल है। इससे वैश्विक दृष्टिकोण के पटरी से उतरने का खतरा है।

ब्याज दर में कटौती से खपत में आएगी तेजी
यूएनसीटीएडी का अनुमान है कि फरवरी की शुरूआत में पांच साल में पहली बार ब्याज दर में 0.25 फीसदी की कटौती करने के केंद्रीय बैंक के फैसले से घरेलू खपत को समर्थन मिलेगा। निजी निवेश योजनाओं को भी बढ़ावा मिलेगा।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER