TIO, नई दिल्ली।
दुनिया में सेनाओं और हथियारों पर खर्च करने के मामले में भारत चौथा बड़ा देश है। कुल 10 देशों ने सैन्य हथियारों पर बेतहाशा खर्च किया है। इसमें अमेरिका शीर्ष पर है। स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने सोमवार को जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में इस वक्त हथियारों, गोला-बारूद और दूसरे सैन्य साजो-सामान पर विभिन्न देश जितना धन खर्च कर रहे हैं, उतना इससे पहले कभी नहीं हुआ।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में सैन्य खर्च 2022 के मुकाबले 6.8 फीसदी बढ़कर 24.4 खरब डॉलर पर पहुंच गया। जबकि, 2022 में यह 22.4 खरब डॉलर था। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2009 के बाद यह एक साल में सबसे बड़ी वृद्धि और लगातार नौवां साल है जब खर्च बढ़ा है। इस वृद्धि में जिन दस देशों का योगदान सबसे ज्यादा है, उनके सैन्य खर्च में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
अमेरिका शीर्ष पर तो चीन दूसरे स्थान पर
सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देशों में अमेरिका अब भी शीर्ष पर है। 2023 में अमेरिका ने 916 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च किए जो दुनियाभर के कुल खर्च का 37% से भी ज्यादा है। दूसरे नंबर पर चीन है, जिसका खर्च अमेरिका से लगभग एक तिहाई है। उसने 296 अरब डॉलर खर्च किए, जो कुल खर्च का 12% है। यह 2022 से 6% ज्यादा है। इन दोनों देशों ने ही कुल खर्च में आधे का योगदान दिया।
2023 में भारत ने 83.6 अरब डॉलर खर्च किए
सैन्य खर्च के मामले में चौथा सबसे बड़ा देश भारत है जिसने 83.6 अरब डॉलर खर्च किए। 2022 के मुकाबले यह 4.2 फीसदी ज्यादा था। 2022 में जो सबसे ज्यादा खर्च करने वाले पांच देश थे, वे सभी 2023 में वैसी ही स्थिति में बने हुए हैं। इसमें तीसरे नंबर पर रूस है। इसके बाद भारत और सऊदी अरब का नंबर है। 2023 में रूस का खर्च 2022 के मुकाबले 24 फीसदी बढ़कर 109 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2014 में जब रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन से अलग किया था, उसके बाद से यह 57 फीसदी की वृद्धि है। रूस अपनी जीडीपी का 5.9 फीसदी सेना पर खर्च कर रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध भी प्रमुख कारण
सिपरी के शोधकर्ता लॉरेंजो स्काराजातो ने कहा, सैन्य खर्चों के बढ़ने के मुख्य कारकों में से एक तो रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध है। यूक्रेन सैन्य खर्च के मामले में आठवां सबसे बड़ा देश रहा है। उसका खर्च 51 फीसदी बढ़कर 64.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो उसकी कुल जीडीपी का 37 फीसदी है। सैन्य खर्च में सबसे बड़ी वृद्धि डेमोक्रैटिक रिपब्लिक आॅफ कांगो में देखी गई, जहां सरकार और विद्रोहियों के बीच युद्ध जारी है. उसका खर्च 105 फीसदी बढ़ा है।