TIO, वॉशिंगटन।
अमेरिका का रक्षा विभाग आए दिन भारत के साथ अपने संबंधों को सराहाता दिखता है। एक बार फिर पेंटागन ने साफ कर दिया कि भारत एक रणनीतिक सहयोगी है और अमेरिका इस साझेदारी को विकसित करने के लिए तत्पर है। पेंटागन के प्रेस सचिव पैट राइडर ने मंगलवार को वाशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘भारत एक रणनीतिक साझेदार है। हम इस साझेदारी को आगे विकसित होते देखना चाहते हैं।’
यूक्रेन-रूस संघर्ष पर राइडर ने कहा, ‘जब बात यूक्रेन और रूस के अवैध कब्जे और यूक्रेन पर हमले की बात आती है। आखिरकार यह यूक्रेन पर निर्भर करता है कि वह कब शांति के लिए बातचीत करने के लिए तैयार है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अभी हमारा ध्यान यूक्रेन के साथ काम करने पर है ताकि उन्हें अपने देश की रक्षा करने, अपनी संप्रभुता की रक्षा करने और अपने क्षेत्र को वापस लेने के लिए जरूरी मदद की जा सके। हालांकि, यूक्रेन के बिना यूक्रेन के बारे में कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है।’
सितंबर में होगा तीसरा सम्मेलन
एक अधिकारी ने पिछले महीने बताया था कि तीसरा इंडस-एक्स शिखर सम्मेलन सितंबर 2024 में सिलिकॉन वैली में होगा, जिसमें रक्षा नवाचार के लिए निजी पूंजी का इस्तेमाल करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। शिखर सम्मेलन की सह-मेजबानी यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (वरकरढऋ) और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा की जाएगी।
कुछ वर्षों में कई सुरक्षा समझौते
दोनों देशों ने पिछले कुछ वर्षों में कई रक्षा और सुरक्षा समझौते किए हैं, जिसमें 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम आॅफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) भी शामिल है, जो उनकी सेनाओं को मरम्मत और आपूर्ति की पुन:पूर्ति के लिए एक-दूसरे के अड्डों का उपयोग करने की अनुमति देता है। दोनों पक्षों ने 2018 में कॉमकासा (संचार संगतता और सुरक्षा समझौता) पर भी हस्ताक्षर किए, जो दोनों सेनाओं के बीच अंतर-क्षमता प्रदान करता है और अमेरिका से भारत को उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकी की बिक्री का भी प्रावधान करता है।
अक्तूबर 2020 में भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और बढ़ावा देने के लिये बेसिक एक्सचेंज एंड कोआॅपरेशन एग्रीमेंट समझौते पर मुहर लगाई। यह समझौता दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय सैन्य तकनीक, रसद और भू-स्थानिक मानचित्रों को साझा करने का प्रावधान करता है।