TIO, नई दिल्ली।

चिकित्सा उपकरणों को लेकर चीन सहित दुनिया के कई देशों के आयात में बड़ा उछाल आया है। अकेले चीन के आयात में 33% की वृद्धि हुई है। यह दावा करते हुए एसोसिएशन आॅफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (एआईएमईडी) ने केंद्र सरकार से 12 प्रमुख चिकित्सा उपकरण श्रेणियों पर सुरक्षा शुल्क लगाने की अपील की है।

एसोसिएशन का मानना है कि अनियंत्रित आयात घरेलू निमार्ताओं को जोखिम में डाल रहे हैं। अगर तत्काल इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो भारत की निमार्ता कंपनियां न सिर्फ वित्तीय संकट का सामना करेगी, बल्कि लाखों की संख्या में युवाओं को नौकरी गंवानी पड़ सकती है। एआईएमईडी के फोरम समन्वयक राजीव नाथ का कहना है कि अगर अमेरिका और भारत जैसी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं ने रणनीतिक क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा शुल्क का इस्तेमाल किया है, तो भारत के चिकित्सा उपकरण उद्योग को क्यों असुरक्षित छोड़ना चाहिए? उन्होंने कहा कि सरकार को हमारे विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को दीर्घकालिक नुकसान से बचाने के लिए अभी कार्रवाई करनी चाहिए। दरअसल चीन, जर्मनी, सिंगापुर, अमेरिका और नीदरलैंड में चिकित्सा उपकरणों के आयात को लेकर अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। इस कुल वृद्धि में अकेले चीन की 33.47% हिस्सेदारी है, जो भारत के घरेलू उद्योग पर दबाव में सबसे बड़ी भूमिका निभा रहा है।

चिकित्सा उपकरणों पर ऐसे कर रहे तरक्की
इन देशों में सबसे ज्यादा वृद्धि सिरिंज और सुइयों को लेकर हुई है जिसका आयात 500 से बढ़कर 955 करोड़ रुपये से भी अधिक पहुंचा है। इसमें चीन (69%), यूएसए (91%) और सिंगापुर का योगदान 64% है। इसी तरह, अन्य सर्जिकल उपकरणों की बात करें तो इसके आयात में 49% का इजाफा हुआ है जिसमें स्विट्जरलैंड ने 722% तक की चौंकाने वाले बढ़ोतरी की है।

सीटी स्कैन उपकरणों के आयात में 39% का उछाल आया है जिसमें जर्मनी (152%) सबसे आगे रहा, उसके बाद यूएसए (25%), चीन (11%) और जापान (12%) का स्थान है। इतना ही नहीं, डायग्नोस्टिक रिएजेंट किट को लेकर भी बड़ा उछाल है जिसका आयात करीब 23% बढ़ा है। इसे लेकर नीदरलैंड ने आयात में रिकार्ड 424% की वृद्धि की है जबकि चीन (24%), यूएसए (23%), और सिंगापुर (38%) का स्थान है। इंजेक्शन के लिए खोखली सुइयों के आयात में 62%, आॅक्सीजन थेरेपी उपकरणों में 36% और आथोर्पेडिक उपकरणों में 47% का इजाफा हुआ है जिसमें जर्मनी (295%) और यूएसए (87%) का योगदान है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER