TIO, भोपाल।

रविवार शाम चूनाभट्टी स्थित छतनारा आर्ट होम में संवाद श्रंखला के अंतर्गत कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें आमंत्रित कलाकार के तौर पर शायर-गीतकार स्वप्निल तिवारी मौजूद थे। संवाद छतनारा की नियमित श्रंखला है जिसके अंतर्गत अनुभवी कलाकारों को आमंत्रित कर, उनकी कला और कलाविधा से जुड़े पहलूओं पर बातचीत की जाती है।

उर्दू शायरी की नई साहित्यिक पीढ़ी में स्वप्निल तिवारी का नाम स्वीकृत और जाना पहचाना दोनों है। अपने काव्यात्मक छंदों और अद्वितीय शैली के कारण उन्होंने काव्य प्रेमियों के दिलों में अपने लिए एक विशिष्ट स्थान बनाया है। उनसे बातचीत करने के लिए होस्ट की भूमिका में शहर के युवा शायर, अभय शुक्ला थे।

अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए स्वप्निल ने बताया कि उनका जन्म 6 अक्टूबर 1984 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में हुआ था। बचपन से ही कला के प्रति एक आकर्षण था। वर्तमान में वे मुंबई में रहते हुए, फिल्म उद्योग से जुड़े हुए हैं और एक गीतकार के साथ-साथ एक पटकथा लेखक के रूप में भी योगदान दे रहे हैं।

अभय ने जब उनकी रचना प्रक्रिया और गजल के खास अंदाज से जुड़ा सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि वह अपनी गजलों में नए-नए रूपांकनों को सुंदरता और परिष्कार के साथ प्रस्तुत करने को तरजीह देते हैं। यह शब्दों या कल्पना को इस तरह चित्रित करने की कोशिश होती है कि कविताएँ पढ़ते समय पूरा परिदृश्य आँखों के सामने खुलने लगे। शब्दों से सराबोर, वह कल्पना की घाटी के उन परिदृश्यों को चित्रित करते हैं जिनमें उनका दिल खुशी से भटकता है।

स्वप्निल का पहला कविता संग्रह “चांद डिनर पर बैठा है” शीर्षक के तहत प्रकाशित हुआ था और इसे साहित्यिक हलकों में खूब सराहा गया। उनका हाल ही में हॉरर उपन्यास – लल्ला लल्ला लोरी – हिन्दुस्तानी भाषा में अपनी तरह का अनोखा उपन्यास है। अभय ने उनसे हॉरर जॉनरा के प्रति झुकाव के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि भय या डर में एक अलग किस्म का तिलिस्म मौजूद है। डर, बाहरी कारणों से ज्यादा, व्यक्ति के अवचेतन में बैठे कारकों से संचालित होता है।

इसी के साथ साथ स्वप्निल से उनकी बनायी शॉर्ट फिल्मों पर भी श्रोताओं ने बातचीत की। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जिन कहानियों को वो सामने लाना चाहते हैं, उनमें से कुछ के लिए सिनेमा सबसे मजबूत माध्यम है। वे भोपाल में अभी अपनी अगली फिल्म की शूटिंग के लिए जगह देखने आये हुए हैं। उन्होंने कहा कि भोपाल हमेशा उन्हें एक सुकून भरी जगह लगती है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER