शशी कुमार केसवानी

नमस्कार दोस्तों, आइए आज बात करते हैं ऐसे एक हर दिल अजीज गायक की जिसने कभी जमकर हंसाया तो कभी रोने पर भी मजबूर कर दिया। पर यह गायक ऐसा गायक था, जिसने हर पल का खूब आनंद लिया। विपरीत परिस्थितियों में भी हास्य ढूंढ लेता था। हमारे अब्बा से लेकर बच्चों तक का पसंदीदा यह गायक इतना मजेदार और इतने किस्से हैं कि एक किताब तो किस्सों पर लिखी जा सकती है। उनके पुत्र से जब भी मेरी मुलाकात होती है, तब हर बार कुछ नए किस्से सुनने को मिलते हैं। मेरे बड़े भाई और मेरे कुछ किस्से उनसे जुड़े हुए हैं, पर हमने यह तय किया था कि वह किस्से अपने साथ ही लेकर जाएंगे। कभी भी उजागर नहीं करेंगे। इस गायक से जितनी मुलाकातें हुर्इं हर बार नया कुछ सुनने को और सीखने को मिलता था। वैसे तो किसी के भी जीवन पर लिखा जा सकता है, या उसके काम का विश्लेषण किया जा सकता है। उनके काम पर नजर तो फिर डालेंगे अभी तो उनके मजेदार किस्से पर बात करेंगे। आज हम बात कर रहे हैं हरफनमौला गायक, कलाकार और भी बहुत कलाओं के धनी व मेरे सबसे प्रिय किशोर कुमार की। इनके किस्से इतने मजेदार होते थे कि सुनकर आदमी हंसी से लोटपोट हो जाता था। कई प्रोड्यूसर-डायरेक्टर तो परेशान हो जाते थे। यहां तक उनके बड़े भाई अशोक कुमार भी सर पीटने के बाद हंसने लगते थे और कहते थे, यार ये काम तो मेरे से नहीं हो पाता, तुम कर कैसे लेते हो। तो आईए आज किशोर दा के चंद किस्सों के चस्कारे लेते हैं।

किशोर कुमार का जन्म 04 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खण्डवा शहर में वहाँ के जाने माने वकील श्री कुंजीलाल जी के यहाँ हुआ था। किशोर कुमार का मूल नाम आभास कुमार गांगुली था। किशोर कुमार चार भाई बहनों में चौथे नम्बर पर थे। उन्होंने अपने जीवन के हर क्षण में खण्डवा को याद किया, वे जब भी किसी सार्वजनिक मंच पर या किसी समारोह में अपना कर्यक्रम प्रस्तुत करते थे, गर्व से कहते थे किशोर कुमार खण्डवे वाले, अपनी जन्म भूमि और मातृभूमि के प्रति ऐसी श्रद्धा बहुत कम लोगों में दिखाई देता है।

किशोर कुमार भारतीय सिनेमा के मशहूर पार्श्वगायक समुदाय में से एक रहे हैं। वे एक अच्छे अभिनेता के रूप में भी जाने जाते हैं। हिन्दी फिल्म उद्योग में उन्होंने बंगाली, हिन्दी, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम, उड़िया और उर्दू सहित कई भारतीय भाषाओं में गाया था। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फिल्मफेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। उसी साल उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उस वर्ष के बाद से मध्यप्रदेश सरकार ने किशोर कुमार पुरस्कार(एक नया पुरस्कार) हिंदी सिनेमा में योगदान के लिए चालु कर दिया था।

किशोर कुमार इन्दौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़े थे और उनकी आदत थी कॉलेज की कैंटीन से उधार लेकर खुद भी खाना और दोस्तों को भी खिलाना। वह ऐसा समय था जब 10-20 पैसे की उधारी भी बहुत मायने रखती थी। किशोर कुमार पर जब कैंटीन वाले के पाँच रुपया बारह आना उधार हो गए और कैंटीन का मालिक जब उनको अपने पाँच रुपया बारह आना चुकाने को कहता तो वे कैंटीन में बैठकर ही टेबल पर गिलास और चम्मच बजा बजाकर पाँच रुपया बारह आना गा-गाकर कई धुन निकालते थे और कैंटीन वाले की बात अनसुनी कर देते थे। बाद में उन्होंने अपने एक गीत में इस पाँच रुपया बारह आना का बहुत ही भली-भांति प्रयोग किया। बहुत कम लोगों को पाँच रुपया बारह आना वाले गीत की यह मूल कहानी ज्ञात होगी।

किशोर दा की जिंदगी के किस्से

बीआर चोपड़ा के सामने रखी थी अजीब शर्त
किशोर दा के विनोदी स्वभाव का शिकार एक बार मशहूर फिल्मकार बलदेव राज चोपड़ा भी हुए थे। किशोर के भाई अशोक कुमार और बीआर चोपड़ा शुरू से ही दोस्त थे। लेकिन जब पारिवारिक रिश्ते के चलते किशोर चोपड़ा के पास काम मांगने गए तो उन्होंने कुछ शर्तें रख दी। इसके बाद किशोर ने कहा कि आज मेरा बुरा वक्त है तो आप शर्त रख रहे हैं, जब मेरा वक्त आएगा तो मैं शर्त रखूंगा। इस बात को बाकी सब तो भूल गए थे, लेकिन किशोर दा नहीं। जब बीआर चोपड़ा उनके पास अपनी एक फिल्म के लिए आए तो किशोर ने शर्त रख दी। किशोर की शर्त थी कि आप धोती पहनने के साथ ही अपने पैरों में मोजे और जूते डालकर आएं! मुझे साइन करने के लिए पान खाकर आइए। वह भी ऐसे कि लार टपकी हुई हो, जिससे आपका मुंह लाल-लाल नजर आए। दिलचस्प बात यह है कि चोपड़ा न तो पान खाते थे और न ही धोती पहनते थे।

जब ऋषिकेश को वाचमैन ने भगा दिया था
एक बार की बात है। एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में जाने-माने निर्देशक किशोर कुमार से मिलने उनके घर गए थे, लेकिन उनके वाचमैन ने उन्हें घर में घुसने से रोक दिया था और बेइज्जत करके भगा दिया था। दरअसल, ऐसा एक कंफ्यूजन के चलते हुआ था। किशोर कुमार ने एक बंगाली आॅर्गनाइजर के लिए शो किया थ, जिसने उन्हें पैसे नहीं चुकाए थे। गुस्से में आकर किशोर कुमार ने अपने गेट कीपर को सख्त हिदायत दे रखी थी कि अगर कोई बंगाली बाबू घर पर आए तो उसे भगा देना। ऋषिकेश मुखर्जी भी बंगाली थे। गेटकीपर ने उन्हें वही स्टेज शो आॅर्गनाइजर समझकर भगा दिया था।

सीन खत्म होने के बावजूद घंटों बैठे रहे कार में
किशोर कुमार की अजीबोगरीब हरकतों से परेशान एक डायरेक्टर ने कोर्ट की मदद मांगी थी।उसने बाकायदा कोर्ट से एक एग्रीमेंट लिया, ताकि अगर शूटिंग के दौरान किशोर उनकी बात न मानें तो वह उनपर केस कर सके। अगले दिन जब किशोर शूटिंग के लिए सेट पर पहुंचे और जैसा डायरेक्टर ने कहा वैसा ही करते रहे। एक शॉट के दौरान वह कार से सिर्फ इसलिए बाहर नहीं निकले, क्योंकि डायरेक्टर ने उन्हें बाहर निकलने के लिए नहीं बोला था। इसी फिल्म के एक और कार सीन में डायरेक्टर ने समझाया था-आपको कार से थोड़ी दूर तक जाना है और फिर उतर जाना है, सीन कट हो जाएगा। लेकिन किशोर दा कार से नहीं उतरे। उधर डायरेक्टर इंतजार करता रहा। अगले दिन पता चला कि वह कार से खंडाला चले गए थे।

किशोर कुमार से सावधान
लोग अक्सर घरों में कुत्ते से सावधान का बोर्ड लगाते हैं, लेकिन किशोर कुमार ने अपने घर के बाहर ‘किशोर कुमार से सावधान’ का बोर्ड लगवा कर रखा था। एक बार प्रोड्यूसर-डायरेक्टर एचएस रवैल उन्हें पैसे चुकाने घर गए। पैसे देने के बाद जब वह किशोर कुमार से हाथ मिलाने लगे तो उन्होंने रवैल का हाथ मुंह में डाला और काटने लगे, यह देखकर रवैल सकपका गए तो किशोर बोले-क्या आपने साइनबोर्ड नहीं देखा?

घर में लगवा रखे थे खोपड़ी और हड्डियां
किशोर दा को लाइमलाइट में रहना और मीडिया अटेंशन पाना बिलकुल पसंद नहीं था। वह एकांत में समय बिताना पसंद करते थे और इंटरव्यू देने से नफरत करते थे। लोग उनसे मिलने कम आएं, इसलिए उन्होंने अपने घर के लिविंग रूम में खोपड़ी और हड्डियां लगवा ली थीं। साथ ही कमरे में रेड लाइट लगा रखी थी। खास बात यह है कि खुद किशोर हॉरर फिल्में देखने से डरते थे।

आधा पैसा-आधा काम
एक बार की बात है किशोर कुमार किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे और प्रोड्यूसर ने उन्हें आधे ही पैसे दिए थे। कहते हैं कि इससे खिन्न होकर किशोर आधा मेक-अप करके ही शूटिंग सेट पर आ गए। जब डायरेक्टर ने उनसे पूरा मेक-अप करने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि ‘आधा पैसा, आधा काम। पूरा पैसा, पूरा काम’।

हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार
किशोर कुमार की जिंदगी का एक मजेदार किस्सा फिल्म निमार्ता आर. सी. तलवार से जुड़ा हुआ है। एक बार वे उनके साथ काम कर रहे थे, लेकिन आर. सी तलवार ने उन्हें आधे पैसे दिए। फिर क्या किशोर दा तो थे ही अपने उसूल के पक्के, वे रोज सुबह तलवार लेकर निमार्ता के घर के सामने पहुंच जाते थे और जोर-जोर से चिल्लाने लगते थे, “हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार… हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार…।”

ऐसा था किशोर कुमार का सपनों का आशियाना
बॉलीवुड में सफलता पाते ही हर एक्टर और सिंगर खुद के लिए एक आलीशान घर बनवाना चाहता है, किशोर कुमार भी उन्हीं में से एक थे। हालांकि किशोर कुमार का सपनों का आशियाना दूसरों से काफी अलग था। रिपोर्ट्स की मानें तो किशोर कुमार ने एक बार अपने घर में आर्किटेक्चर को बुलाया और उन्हें कहा कि वह ऐसा घर चाहते हैं, जहां बस हर कमरे में पानी हो यहां तक कि उनका बेडरूम भी। इतना ही नहीं सिंगर की तो ये भी ख्वाहिश थी कि उनके बेडरूम में एक नांव हो जिसमें वह बैठकर डायनिंग हॉल तक जा सके, हालांकि उनका ये सपना साकार नहीं हुआ।

राजेश खन्ना से किशोर कुमार की थी अच्छी दोस्ती
सुपरस्टार राजेश खन्ना और किशोर कुमार आपस में काफी अच्छे दोस्त थे। दोनों ने साथ में 1976 में आई फिल्म ‘महबूबा’ में काम किया था। इस फिल्म का गाना ‘मेरा नैना सावन भादो’ काफी बड़ा हिट हुआ था, लेकिन ये बात शायद ही आप जानते होंगे कि इस गाने को पहले मुहम्मद रफी गाने वाले थे। लेकिन राजेश खन्ना ने प्रोड्यूसर से ये गाना किशोर कुमार से गंवाने के लिए कहा, इसके लिए उन्होंने लगभग एक महीने तक अपने प्रोड्यूसर को मनाया था। बाद में ये गाना एक बहुत ही बड़ा हिट साबित हुआ।

किशोर कुमार ने प्रोड्यूसर के सामने रखी ऐसी शर्त
दिग्गज एक्टर अशोक कुमार के भाई होने के बावजूद भी किशोर दा को इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। एक बार किशोर कुमार निमार्ता-निर्देशक बी आर चोपड़ा के पास काम मांगने के लिए गए थे, लेकिन उन्हें काम देने के लिए बी आर चोपड़ा ने उनके सामने कुछ शर्त रखीं, जिसे उन्होंने मानने से साफ इंकार कर दिया। इसके बाद जब किशोर कुमार बड़े सिंगर बन गए तो उन्होंने बीआर चोपड़ा की फिल्म में गाना गाने के लिए एक शर्त रखी। उन्होंने उनसे कहा कि धोती पहनकर, पान खाते हुए टेबल पर खड़े होकर उन्हें उनसे गाना गाने के लिए विनती करनी पड़ेगी।

मेल-फीमेल आवाज में गाते थे कुमार
किशोर कुमार उस सदी के एक ऐसे सिंगर थे जो मेल और फीमेल दोनों ही आवाज में गाना गाते थे। 1962 में रिलीज हुई फिल्म ‘हाफ टिकट’ में उन्होंने ‘आके सीधे लगी दिल पे जैसी’ गाने में उसका मेल और फीमेल वर्जन दोनों गाया था। दरअसल ये गाना वह सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ गाने वाले थे, लेकिन लता मंगेशकर किसी कारण वश रिकॉर्डिंग नहीं कर पाई जिसके बाद उन्होंने अकेले ही इस गाने को गाया।

लता मंगेशकर से 1 रुपए फीस कम लेते थे किशोर कुमार
दिग्गज सिंगर लता मंगेशकर को किशोर कुमार काफी मानते थे। जब भी वह लता मंगेशकर के साथ कोई गाना गाते थे, तो प्रोड्यूसर उनकी फीस के बारे में पूछा करते थे। ऐसा कहा जाता है कि किशोर दा प्रोड्यूसर से हमेशा ये कहते थे कि रिकॉर्डिंग के लिए जितना पैसा दिया गया है, मेकर्स उन्हें उससे एक रुपए कम दें।

मेहमूद से किशोर कुमार ने ऐसे लिया था बदला
ऐसा कहा जाता है कि किशोर दा अगर किसी से बदला लेने पर उतारू हो जाते थे, तो वह किसी की भी नहीं सुनते थे। फिल्म ‘प्यार किए जा’ में मेहमूद ने किशोर कुमार से ज्यादा पैसे लिए थे, बस यही बात उन्हें बिलकुल रास नहीं आई। फिल्म ‘पड़ोसन’ में डबल पैसा लेकर उन्होंने मेहमूद से अपना बदला लिया।

खंडवा की दूध-जलेबी के शौकीन थे
किशोर कुमार भले ही फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा थे, लेकिन वह खुद को बॉलीवुड की पार्टीज और चकाचौंध से खुद को दूर रखना ही पसंद करते थे। लेकिन उन्हें खंडवा(मध्य प्रदेश) की दूध-जलेबी बहुत पसंद थी। वह हमेशा ये कहा करते थे कि जब वह फिल्मों से संन्यास लेंगे तो खंडवा में जाकर ही बस जाएंगे। उनकी इच्छा अनुसार उनका अंतिम संस्कार भी खंडवा में ही किया गया था। (क्रमश:)

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER