TIO, अहमदाबाद
12 जून 2025 को दोपहर 1:38 बजे, अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 (बोइंग 787-8, VT-ANB) के हादसे ने यह समझने का मौका दिया कि टेकऑफ के दौरान किसी छोटी सी तकनीकी या ऑपरेशन से जुड़ी गलती (कॉन्फिगरेशन एरर) कैसे एक बड़े विमान हादसे में बदल सकती है, वो भी तब, जब दोनों पायलट (कैप्टन सुमीत सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर) अनुभवी थे और मौसम बिल्कुल साफ था (तापमान 43°C, कोई खराब मौसम नहीं)।
कॉन्फिगरेशन एरर क्या होती है?
टेकऑफ के समय कॉन्फिगरेशन एरर का मतलब होता है विमान की उन सेटिंग्स में गलती, जो उसे सही ढंग से उड़ान भरने से रोक देती हैं। इसमें फ्लैप्स की गलत सेटिंग, कम थ्रस्ट, समय से पहले टेकऑफ (रोटेशन), या लैंडिंग गियर न उठाना जैसी गलतियां शामिल होती हैं। ये सभी चीजें विमान के उठने और ऊंचाई पकड़ने की क्षमता पर असर डालती हैं, जिससे विमान स्टॉल कर सकता है या नियंत्रण खो सकता है।
हादसे को समझते हैं
विमान: बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, एक अत्याधुनिक, लंबी दूरी वाला विमान था जिसमें GE GEnx इंजन लगा हुआ था।
उड़ान: अहमदाबाद से लंदन गैटविक, करीब 4,200 किमी की दूरी. विमान पूरी तरह ईंधन भरा हुआ था।
परिस्थितियां: साफ मौसम, 43°C तापमान, रनवे समुद्र तल से सिर्फ 180 फीट ऊपर. गर्मी के कारण हवा पतली थी, जिससे लिफ्ट और थ्रस्ट कम हो जाता है।
हादसा: टेकऑफ के 5–9 मिनट बाद मेघानी नगर (अहमदाबाद का रिहायशी इलाका) में विमान गिर पड़ा। विमान सिर्फ 825 फीट ऊंचाई तक पहुंच पाया और उसकी रफ्तार 174 नॉट (320 किमी/घंटा) ही थी, जबकि 787 को इस वजन पर कम से कम 200-250 नॉट की रफ्तार चाहिए होती है. क्रैश वीडियो में विमान का लैंडिंग गियर (पहिए) नीचे दिखाई दे रहा था, जो टेकऑफ में नहीं होना चाहिए।
क्यों कॉन्फिगरेशन एरर सबसे बड़ा कारण मानी जा रही है?
टेकऑफ उड़ान का सबसे जोखिम भरा हिस्सा होता है. सही फ्लैप्स, थ्रस्ट और रोटेशन स्पीड (Vr) बेहद जरूरी होते हैं. गर्म मौसम में गलती की गुंजाइश और भी कम हो जाती है।
संभावित गलती: अगर फ्लैप्स बहुत कम लगाए गए (जैसे Flaps 0), तो विमान के लिए लिफ्ट बनाना मुश्किल हो जाता है। वहीं ज्यादा फ्लैप्स (जैसे Flaps 20) से ड्रैग इतना बढ़ जाता है कि विमान ऊपर नहीं जा पाता। अहमदाबाद जैसे गर्म मौसम में पायलट्स को बहुत सटीक सेटिंग्स रखनी होती हैं। अगर यहां फ्लैप्स गलत चुने गए होंगे तो विमान को सही ऊंचाई नहीं मिल पाई होगी।
मानवीय चूक: हो सकता है पायलट्स किसी अलर्ट या एटीसी के संदेश में उलझ गए हों या आपस में सही से क्रॉसचेक न कर पाए हों. भले ही बोइंग 787 में इलेक्ट्रॉनिक चेकलिस्ट होती है, मगर जल्दबाजी या दबाव में उसे भी नजरअंदाज किया जा सकता है।
थ्रस्ट में कमी
गर्मी के कारण इंजन की ताकत कम हो जाती है, इसलिए टेकऑफ के लिए सही थ्रस्ट सेट करना बेहद जरूरी होता है। अगर पायलट्स ने गलती से कम थ्रस्ट (Derated Thrust) चुनी हो या वजन का गलत हिसाब डाला हो, तो विमान तेजी से ऊपर नहीं जा पाया होगा. भारी ईंधन भरे होने के कारण भी विमान को अतिरिक्त ताकत चाहिए थी।
अहमदाबाद की घटना में क्या हुआ: यह 787 विमान लंबी दूरी की उड़ान पर जा रहा था और इसका वजन लगभग पूरी सीमा (227 टन) तक था। फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम (FMS) में कोई गड़बड़ हुई होगी या पायलट्स ने थ्रस्ट (इंजन की ताकत) सेट करने में गलती कर दी होगी, जिससे विमान को उड़ान भरने के लिए जरूरी ताकत नहीं मिल पाई। इसी वजह से विमान की गति (174 नॉट्स) और ऊंचाई कम रह गई होगी।
अगर विमान ने रनवे के पूरे 3,600 मीटर हिस्से की बजाय बीच से टेकऑफ किया हो (इंटरसेक्शन टेकऑफ), तो यह स्थिति और बिगड़ सकती थी, क्योंकि फिर गलती की गुंजाइश और कम हो जाती है।
ह्यूमन फैक्टर्स: पायलट आमतौर पर FMS में दर्ज किए गए आंकड़ों पर ही भरोसा करते हैं ताकि इंजन की ताकत तय कर सकें। लेकिन अगर वजन, तापमान या रनवे की लंबाई जैसी जानकारी गलत दर्ज हो जाए, तो इंजन से कम ताकत मिलती है। थकान या जल्दी उड़ान भरने का दबाव (जैसे उड़ान का समय निकला जा रहा हो) भी इसकी वजह बन सकता है- भले ही पायलट सबरवाल और कुंदर जैसे अनुभवी क्यों न हों।
समय से पहले रोटेशन
रोटेशन का मतलब होता है उड़ान भरते वक्त विमान के आगे वाले हिस्से (नोज) को ऊपर उठाना ताकि विमान जमीन से ऊपर उठ सके. यह काम तय की गई रफ्तार (Vr) पर किया जाता है, जो 787 जैसे विमान के लिए आमतौर पर 140-160 नॉट्स होती है (वजन पर निर्भर करता है)। अगर विमान इस रफ्तार से पहले ही ऊपर उठने की कोशिश करता है, तो विमान को ठीक से लिफ्ट (ऊपर उठने की ताकत) नहीं मिलती। इससे विमान का पिछला हिस्सा रनवे से टकरा सकता है या विमान हवा में अस्थिर होकर गिर भी सकता है, खासकर अगर टेकऑफ के बाद भी स्पीड कम रहे।
अहमदाबाद में क्या हुआ: विमान की जो गति दर्ज हुई (174 नॉट्स), उससे लगता है कि पायलट्स ने शायद तय रफ्तार से पहले ही विमान उठाने की कोशिश की, जिस वजह से वह जरूरी रफ्तार (200-250 नॉट्स) तक नहीं पहुंच सका।
अहमदाबाद की गर्मी ने भी विमान की लिफ्ट कम कर दी थी, जिस वजह से उसे जमीन पर ज्यादा दूरी तय करनी थी। अगर पायलट्स ने जल्दी रोटेशन कर दी, तो इसी वजह से विमान ऊंचाई (केवल 825 फीट) लेने में संघर्ष कर रहा था। लैंडिंग गियर (पहिए) नीचे ही थे, जिससे लगता है कि पायलट्स ने विमान को चढ़ाई (क्लाइंब) पर ले जाने की प्रक्रिया शुरू ही नहीं की थी- शायद किसी अचानक आई आपात स्थिति की वजह से।
ह्यूमन फैक्टर्स: अगर Vr (रोटेशन की रफ्तार) गलत वजन या तापमान दर्ज करने की वजह से गलत तय कर ली गई हो, या पायलट्स ने स्पीड मीटर को ठीक से नहीं पढ़ा हो, तो वह विमान को जल्दी उठाने की कोशिश कर सकता है। इसके अलावा, अगर को-पायलट (फर्स्ट ऑफिसर) ने कैप्टन की गलती को रोका नहीं (CRM यानी क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट में कमी), तो यह गलती किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
लैंडिंग गियर न उठाना
टेकऑफ के बाद पहिए ऊपर कर लिए जाते हैं ताकि ड्रैग कम हो और विमान आसानी से चढ़ सके। हादसे की वीडियो में पहिए नीचे दिखे, यानी या तो पायलट्स उन्हें भूल गए, या कोई इमरजेंसी की वजह से जानबूझकर ऐसा किया गया। मगर इससे विमान की रफ्तार और चढ़ाई क्षमता और कमजोर हो गई।
ह्यूमन फैक्टर्स: किसी ध्यान भटकाने वाली चीज (जैसे स्टॉल अलर्ट या इंजन की गड़बड़ी) की वजह से पायलट्स लैंडिंग गियर (पहिए) ऊपर करना भूल सकते हैं। या फिर पायलट्स ने जानबूझकर गियर नीचे ही रखा होगा ताकि अगर जरूरत पड़े तो जल्दी से वापस रनवे पर उतर सकें। लेकिन MAYDAY कॉल और हादसे से लगता है कि उनके पास समय खत्म हो गया था।
क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट (CRM) में गड़बड़ी
सही CRM का मतलब है कि दोनों पायलट्स के बीच साफ-साफ बातचीत हो और एक-दूसरे की बातें जांच-परख कर आगे बढ़ें. अगर कैप्टन सबरवाल ने फ्लैप्स या थ्रस्ट जैसी कोई सेटिंग गलत कर दी और फर्स्ट ऑफिसर कुंदर ने उसे ठीक से चेक नहीं किया, तो गलती नजर में नहीं आ सकती थी। कई बार कुछ एयरलाइनों में सीनियर पायलट का ज्यादा सम्मान करने की वजह से जूनियर कुछ कहने से हिचकिचाते हैं. हालांकि एयर इंडिया का ट्रेनिंग सिस्टम ICAO (अंतरराष्ट्रीय मानक) के हिसाब से है।
MAYDAY कॉल से साफ है कि पायलट्स को कोई बड़ी समस्या समझ में आ गई थी, लेकिन हादसा सिर्फ 5–9 मिनट में हो गया, जिससे लगता है कि शायद टीम मिलकर समय पर फैसला नहीं ले पाई या तालमेल कमजोर रहा।
ऑटोमेशन पर भरोसा
787 विमान में फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम (FMS) टेकऑफ से जुड़ी गणनाएं करता है, लेकिन अगर उसमें गलत जानकारी (जैसे वजन या तापमान) डाली गई हो तो सारी गणना गलत हो सकती है। कई बार पायलट्स जल्दबाजी में मशीन पर भरोसा कर लेते हैं और उसके नतीजों को दोबारा जांचते नहीं हैं। हालांकि 787 जैसे आधुनिक विमानों में गड़बड़ी बहुत कम होती है, फिर भी अगर सिस्टम में कोई दिक्कत आ जाए तो पायलट्स को मैन्युअली संभालना पड़ता है।
पर्यावरण से जुड़ा तनाव
43°C की तेज गर्मी में पायलट्स को शारीरिक परेशानी (जैसे पानी की कमी) हो सकती है, जो फैसले लेने की क्षमता को धीरे-धीरे प्रभावित कर सकती है। लंबी ड्यूटी या शेड्यूलिंग प्रेशर (जो लंबी दूरी की उड़ानों में आम है) से थकान भी आ सकती है, जिससे सतर्कता कम हो जाती है।
हालांकि थकान का कोई पक्का सबूत नहीं है, लेकिन हादसे का अचानक होना यह इशारा करता है कि कोई बड़ी गलती समय रहते ठीक नहीं की जा सकी- संभव है कि उस समय पायलट्स उतने सजग न रहे हों जितना ज़रूरी था।
अन्य संभावनाएं
-पायलट की गलती या टेकऑफ में गड़बड़ी (70–80%)
विमान की बहुत कम ऊंचाई (825 फीट), कम गति (174 नॉट्स), और लैंडिंग गियर नीचे होने से साफ संकेत मिलता है कि टेकऑफ की सेटिंग में कोई बड़ी गलती हुई (जैसे फ्लैप्स गलत सेट होना, इंजन की ताकत कम होना, जल्दी रोटेशन करना, या टेकऑफ के बाद गियर ऊपर न करना)। 43°C की गर्मी और भारी ईंधन भार ने स्थिति को और मुश्किल बना दिया, जिससे छोटी-सी गलती भी बड़ा हादसा बन गई।
-इंजन फेल होना या बर्ड स्ट्राइक (10–15%)
हादसे के वीडियो में इंजन की आवाज नहीं सुनाई दी और MAYDAY कॉल से लगता है कि विमान में ताकत (थ्रस्ट) की कमी थी. अहमदाबाद में बर्ड स्ट्राइक का खतरा भी रहता है या इंजन में कोई तकनीकी खराबी हो सकती थी. लेकिन दोनों इंजनों का एक साथ फेल होना बहुत ही दुर्लभ घटना है (10 लाख में 1 बार)। 787 के GEnx इंजन काफी भरोसेमंद हैं। विमान की गलत स्थिति को देखते हुए पायलट की गलती ज्यादा संभव लगती है।
-गर्म मौसम की वजह से परफॉर्मेंस में कमी (5–10%)
43°C की गर्मी ने विमान की लिफ्ट और ताकत कम कर दी थी, जिससे टेकऑफ के लिए बिल्कुल सटीक सेटिंग जरूरी थी। हालांकि यह हादसे का अकेला कारण नहीं हो सकता क्योंकि 787 जैसे विमान गर्म और ऊंचाई वाले इलाकों के लिए ही डिजाइन किए गए हैं। FMS सिस्टम तापमान को ध्यान में रखता है। हां, अगर रनवे का पूरा हिस्सा इस्तेमाल नहीं किया गया (इंटरसेक्शन टेकऑफ), तो यह समस्या और बढ़ गई होगी. फिर भी सीधा कारण पायलट्स की गलती ही लगता है।
-तकनीकी या स्ट्रक्चर में खराबी (2–3%)
विमान में किसी तकनीकी या स्ट्रक्चर खराबी की वजह से अचानक गिरावट आ सकती थी, लेकिन 787 का सुरक्षा रिकॉर्ड बेहतरीन है और ऐसी कोई घटना पहले नहीं हुई। विमान की हालत (गति कम, गियर नीचे) देखकर लगता है कि यह अचानक तकनीकी खराबी से नहीं, बल्कि इंसानी गलती से हुआ।
-साजिश या आतंकी हमला
ऐसी कोई जानकारी या सबूत नहीं है कि इस घटना में किसी तरह की साजिश या आतंकी हमले का हाथ हो।
-रनवे पर कोई दूसरी घटना (1%)
विमान 825 फीट तक उड़ चुका था, इसलिए रनवे से टकराने जैसी किसी घटना की संभावना नहीं है। हवाई यातायात नियंत्रण (ATC) सिस्टम इन जोखिमों को पहले ही रोक देता है।
तो हादसे की वजह क्या है?
अहमदाबाद हादसे में Boeing 787-8 की कम ऊंचाई (825 फीट), कम गति (174 नॉट्स), और गियर नीचे होने के कारण यह सबसे ज्यादा संभव है कि टेकऑफ के दौरान विमान की सेटिंग में बड़ी गलती हुई (जैसे फ्लैप्स गलत, इंजन की ताकत कम, जल्दी रोटेशन या गियर ऊपर न करना). इसकी संभावना 70-80% मानी जा रही है।
43°C की गर्मी ने हालात को और खराब कर दिया, जिससे पायलट की गलती और भारी पड़ गई। इंजन फेल (10–15%) या गर्मी से जुड़ी समस्याएं (5–10%) दूसरे संभावित कारण हो सकते हैं, लेकिन मुख्य वजह टेकऑफ में गलती ही लगती है।