TIO, कोलकाता।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और तीन अन्य लोगों पर गवर्नर सीवी आनंद बोस के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी पर रोक लगाई है। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार मनमाना नहीं है। बोलने की आजादी की आड़ में अपमानजनक बयान देकर किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा धूमिल नहीं कर सकते। जस्टिस कृष्ण राव ने अपने आदेश में कहा कि 14 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई होगी। तब तक किसी पब्लिकेशन या सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के जरिए गवर्नर के खिलाफ अपमानजनक या गलत बयानबाजी नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि अगर इस स्टेज पर अंतरिम आदेश नहीं दिया गया, तो आरोपियों को बयानबाजी जारी रखने की छूट मिल जाएगी। जस्टिस कृष्ण राव ने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक पद पर हैं। वे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर सीएम ममता की तरफ से किए जा रहे व्यक्तिगत हमलों का जवाब नहीं दे सकते।
गवर्नर पर लगे यौन शोषण के आरोपों से जुड़ा मामला
दरअसल, बंगाल गवर्नर ने ममता बनर्जी, TMC नेता कुणाल घोष और और दो विधायकों- सयंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। पूरा विवाद बंगाल गवर्नर पर लगे यौन शोषण के आरोपों और पिछले महीने दो TMC विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह स्थल को लेकर विवाद से जुड़ा है। ममता ने बंगाल गवर्नर पर लगे यौन शोषण के आरोपों के बाद 27 जून को कहा था कि महिलाएं राजभवन जाने से डरती हैं। इसलिए, उन्होंने विधायकों का शपथ ग्रहण विधानसभा में कराने की मांग की, जबकि राज्यपाल राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने के पक्ष में थे।
गवर्नर ने 28 जून को सीएम ममता पर मानहानि केस किया
ममता की इस टिप्पणी पर गवर्नर आनंद बोस ने 28 जून को ममता समेत 4 लोगों के खिलाफ हाईकोर्ट में मानहानि का केस दर्ज किया। बोस ने अपने ऊपर गलत टिप्पणियों को लेकर ममता की आलोचना की। 3 जुलाई को मामले पर पहली बार सुनवाई होनी थी। हालांकि, उस दिन कोर्ट ने निर्देश दिया कि जिन मीडिया हाउस की रिपोर्ट मानहानि का आधार थी, उन्हें मामले में पक्ष बनाया जाना चाहिए। फिर, सुनवाई की अगली तारीख 4 जुलाई तय की गई।
4 जुलाई को राज्यपाल के वकील ने कोर्ट को बताया कि मामले की सुनवाई कलकत्ता हाईकोर्ट के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं की गई है। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी और अगली तारीख 10 जुलाई तय की। 10 जुलाई को जस्टिस कृष्ण राव ने मानहानि की याचिका को अपनी कोर्ट में रजिस्टर करने की इजाजत दी। 15 जुलाई को मामले की सुनवाई हुई थी। तब ममता बनर्जी अपने बयान पर कायम रहीं, जिसमें उन्होंने कहा था कि महिलाओं ने यहां राजभवन में जाने को लेकर डर जताया था। ममता ने कहा कि उनकी टिप्पणी में कुछ भी अपमानजनक नहीं है।