TIO, नई दिल्ली

दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले शराब नीति मामले पर आई कैग रिपोर्ट का मुद्दा अब दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। भाजपा विधायकों ने कैग रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा करवाने की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई, जिसपर सोमवार को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई।

दिल्ली हाईकोर्ट कोर्ट ने कहा- कैग रिपोर्ट पर विचार करने में जिस तरह से दिल्ली सरकार ने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे इनकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है। दिल्ली सरकार को कैग रिपोर्ट को तुरंत स्पीकर को भेजना चाहिए था और सदन में चर्चा शुरू करनी चाहिए थी। कोर्ट ने कहा कि मामले पर आज दोपहर 2:30 बजे सुनवाई करेंगे।

दरअसल, 11 जनवरी को दिल्ली में शराब नीति को लेकर कैग की रिपोर्ट लीक हुई थी। इसमें सरकार को 2026 करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस होने की बात कही गई थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि शराब नीति में काफी गड़बड़ियां थीं, जिनमें लाइसेंस देने में खामी भी शामिल है। इसके साथ ही आप लीडर्स को कथित तौर पर घूस के जरिए फायदा पहुंचाया गया।

दिल्ली में 2021 में नई शराब नीति लागू की गई थी। इसमें लाइसेंस आवंटन को लेकर कई सवाल खड़े हुए। नीति वापस लेनी पड़ी। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा। दोनों जेल भी गए। सीएम और डिप्टी सीएम पद छोड़ना पड़ा। फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।

कैग रिपोर्ट में क्या…

  • आप सरकार ने नई शराब नीति को रद्द करने के फैसले में न कैबिनेट की मंजूरी ली और न उपराज्यपाल से राय मांगी।
  • कोविड प्रतिबंधों के कारण जनवरी 2022 के लाइसेंस शुल्क के रूप में 144 करोड़ रुपए की छूट रिटेल लाइसेंस धारियों को कैबिनेट की मंजूरी लिए बिना दी गई।
  • जिन वार्ड में शराब खोलने की अनुमति नहीं थी। वहां भी शराब की दुकान के लाइसेंस बांटे गए। ये फैसला भी उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना लिया गया।
  • डिप्टी चीफ मिनिस्टर जिस ग्रुप आॅफ मिनिस्टर्स की अगुआई कर रहे थे, उसने एक्सपर्ट पैनल के सुझावों को खारिज कर दिया था। कैबिनेट ने नीति को मंजूरी दे दी थी और कई अहम फैसलों पर तब के उप-राज्यपाल की मंजूरी भी नहीं ली गई थी।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतों के बावजूद सभी को नीलामी की बोली लगाने की मंजूरी दे दी गई थी। जिन्हें घाटा हुआ था, उन्हें भी लाइसेंस दे दिए गए या रिन्यू कर दिए गए थे। उअॠ रिपोर्ट को अभी दिल्ली विधानसभा में रखा जाना है।
Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER